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इसरो जासूसी मामला : पूर्व आईबी अधिकारी वीके मैनी को जमानत - Delhi High Court grants transit bail

दिल्ली हाईकोर्ट ने इसरो जासूसी मामले में पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन के खिलाफ साजिश रचने के मामले में पूर्व आईबी अधिकारी वीके मैनी को ट्रांजिट जमानत दी है. मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी.

Delhi High
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Published : Jul 28, 2021, 11:18 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने इसरो जासूसी मामले में पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने के लिए साजिश रचने के मामले में पूर्व आईबी अफसर वीके मैनी को दो हफ्ते की ट्रांजिट जमानत दे दी है. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने वीके मैनी की गिरफ्तारी पर दो हफ्ते की रोक लगाई है. मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी.

वीके मैनी की ओर से पेश वकील पंकज मेहता ने कहा कि आरोपी 1994 में डिप्टी सेंट्रल इंटेलिजेंस अफसर के पद पर तैनात थे. आईबी के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर वे केरल पुलिस की ओर से गठित एसआईटी के आग्रह पर सहयोग करने गए थे. नंबी नारायणन की गिरफ्तारी में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.

पंकज मेहता की इस दलील के बाद कोर्ट ने सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने 13 अगस्त तक वीके मैनी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

पिछले 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज जस्टिस डीके जैन की अध्यक्षता में बनी कमिटी की रिपोर्ट सीबीआई को सौंपी थी. स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने में लगे नंबी नारायणन को 1994 में केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने तकनीक विदेशियों को बेची थी.

जिसके बाद सीबीआई जांच में पूरा मामला झूठा निकला था. सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर 2018 में नारायणन को 50 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया था.

इसे भी पढ़ें : इसरो जासूसी मामला: अदालत ने केरल पुलिस के दो पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तारी से दी अंतरिम राहत

नंबी नारायण ने अपनी अर्जी में केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यू और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. सिबी मैथ्यू ने जासूसी कांड की जांच की थी.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने इसरो जासूसी मामले में पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने के लिए साजिश रचने के मामले में पूर्व आईबी अफसर वीके मैनी को दो हफ्ते की ट्रांजिट जमानत दे दी है. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने वीके मैनी की गिरफ्तारी पर दो हफ्ते की रोक लगाई है. मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी.

वीके मैनी की ओर से पेश वकील पंकज मेहता ने कहा कि आरोपी 1994 में डिप्टी सेंट्रल इंटेलिजेंस अफसर के पद पर तैनात थे. आईबी के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर वे केरल पुलिस की ओर से गठित एसआईटी के आग्रह पर सहयोग करने गए थे. नंबी नारायणन की गिरफ्तारी में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.

पंकज मेहता की इस दलील के बाद कोर्ट ने सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने 13 अगस्त तक वीके मैनी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

पिछले 15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज जस्टिस डीके जैन की अध्यक्षता में बनी कमिटी की रिपोर्ट सीबीआई को सौंपी थी. स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन बनाने में लगे नंबी नारायणन को 1994 में केरल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने तकनीक विदेशियों को बेची थी.

जिसके बाद सीबीआई जांच में पूरा मामला झूठा निकला था. सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर 2018 में नारायणन को 50 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया था.

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नंबी नारायण ने अपनी अर्जी में केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यू और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. सिबी मैथ्यू ने जासूसी कांड की जांच की थी.

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