नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सीबीआई को फरार स्वयंभू आध्यात्मिक उपदेशक वीरेंद्र देव दीक्षित के बैंक खाते फ्रीज करने की अनुमति दे दी. अदालत ने दीक्षित को गिरफ्तार करने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में सीबीआई द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट पर गौर किया. दीक्षित बलात्कार के मामलों में आरोपी है और कई वर्षों से फरार है. कोर्ट ने उसके द्वारा संचालित कुछ बैंक खातों के अस्तित्व पर भी गौर किया. अदालत ने कहा कि वह मामले में सीबीआई द्वारा किए गए प्रयासों और प्रगति से संतुष्ट है. मामले में एजेंसी अपने प्रयास जारी रखे.
दिया छह सप्ताह का समय: मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने संघीय एजेंसी को आगे कदम उठाने के लिए छह सप्ताह का समय देते हुए कहा कि सीबीआई निश्चित रूप से कानून के अनुसार कदम उठाकर बैंक खातों को फ्रीज करने के लिए स्वतंत्र होगी. कोर्ट ने पाया कि सीबीआई ने मामले में जरूरी काम किया है और अभी भी कर रही है. हाईकोर्ट एनजीओ फाउंडेशन द्वारा दायर 2017 की याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
किया था ये काम: सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई नवंबर में तय की. वकील श्रवण कुमार ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि कई नाबालिग लड़कियों और महिलाओं को देव दीक्षित द्वारा रोहिणी में संचालित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में अवैध रूप से कैद किया गया था और उन्हें अपने माता-पिता से मिलने की अनुमति नहीं दी गई थी. 31 मई 2018 को कोर्ट ने सीबीआई को दीक्षित को गिरफ्तार करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया था, क्योंकि सीबीआई के संज्ञान में यह लाया गया था कि वह या उसके अनुयायी कम से कम छह यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया हैंडल पर वीरेंद्र देव के वीडियो अपलोड कर रहे थे. ये वीडियो मार्च 2018 से अपलोड किए जा रहे थे.
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किया गया था यह दावा: हाईकोर्ट ने पहले सीबीआई को दीक्षित का पता लगाने के लिए कहा था और एजेंसी को आश्रम में लड़कियों और महिलाओं को अवैध रूप से कैद करने के आरोप की जांच करने का निर्देश दिया था. यहां दावा किया गया था कि उन्हें एक किले में जानवरों जैसी स्थिति में रखा गया था, जिसके दरवाजे कंटीले तारों से घिरे हुए हैं.
5 लाख का ईनामी है आरोपी: एजेंसी ने उसकी गिरफ्तारी के लिए उसके ठिकाने के बारे में विश्वसनीय जानकारी देने वाले को 5 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी, लेकिन वह अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर है. हाईकोर्ट ने पहले दीक्षित के आश्रम आध्यात्मिक विश्व विद्यालय रोहिणी में रहने वाली महिलाओं के कल्याण के लिए सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी किरण बेदी से सहायता मांगी थी और इसके कामकाज की निगरानी के लिए उनकी देखरेख में एक समिति का गठन किया था.
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