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सिविल डिफेंस अधिनियम मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस - केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी

सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सिविल डिफेंस अधिनियम के मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. याचिका सिविल डिफेंस कॉर्प के पूर्व सदस्य फारुख खान ने दायर की है.

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Published : Oct 4, 2021, 8:00 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सिविल डिफेंस एक्ट (Civil Defense Act) की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस (Notice To Delhi Government) जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल (Chief Justice Dhirubhai Naranbhai Patel) की अध्यक्षता वाली बेंच ने 29 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

याचिका सिविल डिफेंस कॉर्प के पूर्व सदस्य फारुख खान ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि सिविल डिफेंस एक्ट की धारा 6(2) के तहत सिविल डिफेंस कॉर्प के कंट्रोलर को ये अधिकार है कि वह किसी भी सदस्य को बिना कारण बताए निकाल सकता है. याचिका में सिविल डिफेंस एक्ट की धारा 14(1) को चुनौती दी गई है, जिसमें कंट्रोलर के किसी भी फैसले के खिलाफ कानूनी उपाय करने पर पूरे तरीके से रोक लगाई गई है. याचिकाकर्ता को 23 मार्च 2020 को बिना कोई कारण बताए निकाल दिया गया था.


सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार (Delhi Government) की ओर से वकील सत्यकाम ने याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि सिविल डिफेंस कॉर्प एक स्वयंसेवी बल है और वह सरकारी सेवा नहीं है. यहां तक कि सिविल डिफेंस की सेवा कर रहे लोगों को उनका उत्साहवर्धन करने के लिए मानदेय दिया जाता है. सत्यकाम ने कहा कि भारत का कोई भी नागरिक जो 18 वर्ष का हो और स्वेच्छा से सिविल डिफेंस की सेवा करना चाहता है वो जॉइन कर सकता है.

जस्टिस ज्योति सिंह ने दिल्ली सरकार से पूछा कि सिविल डिफेंस एक्ट की धारा 6(2) के बारे में कोर्ट को संतुष्ट कीजिए कि किसी को बाहर निकालना कंट्रोलर की संतुष्टि पर क्यों निर्भर करेगा. सिविल डिफेंस एक्ट की धारा 6(2) कहता है कि अगर कंट्रोलर को ऐसा लगता है कि किसी सदस्य की अब जरूरत नहीं है तो वो बिना कारण बताए उसे बर्खास्त कर सकता है. कोर्ट ने सत्यकाम से पूछा कि कंट्रोलर को एक राय बनानी होती है, तब आप कैसे कह सकते हैं कि ये एक स्वेच्छा से की जा रही सेवा है.

ये भी पढ़ें : दिल्ली HC ने केजरीवाल सरकार की घर-घर राशन पहुंचने की योजना को दी मंजूरी

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने सिविल डिफेंस एक्ट (Civil Defense Act) की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस (Notice To Delhi Government) जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल (Chief Justice Dhirubhai Naranbhai Patel) की अध्यक्षता वाली बेंच ने 29 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

याचिका सिविल डिफेंस कॉर्प के पूर्व सदस्य फारुख खान ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि सिविल डिफेंस एक्ट की धारा 6(2) के तहत सिविल डिफेंस कॉर्प के कंट्रोलर को ये अधिकार है कि वह किसी भी सदस्य को बिना कारण बताए निकाल सकता है. याचिका में सिविल डिफेंस एक्ट की धारा 14(1) को चुनौती दी गई है, जिसमें कंट्रोलर के किसी भी फैसले के खिलाफ कानूनी उपाय करने पर पूरे तरीके से रोक लगाई गई है. याचिकाकर्ता को 23 मार्च 2020 को बिना कोई कारण बताए निकाल दिया गया था.


सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार (Delhi Government) की ओर से वकील सत्यकाम ने याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि सिविल डिफेंस कॉर्प एक स्वयंसेवी बल है और वह सरकारी सेवा नहीं है. यहां तक कि सिविल डिफेंस की सेवा कर रहे लोगों को उनका उत्साहवर्धन करने के लिए मानदेय दिया जाता है. सत्यकाम ने कहा कि भारत का कोई भी नागरिक जो 18 वर्ष का हो और स्वेच्छा से सिविल डिफेंस की सेवा करना चाहता है वो जॉइन कर सकता है.

जस्टिस ज्योति सिंह ने दिल्ली सरकार से पूछा कि सिविल डिफेंस एक्ट की धारा 6(2) के बारे में कोर्ट को संतुष्ट कीजिए कि किसी को बाहर निकालना कंट्रोलर की संतुष्टि पर क्यों निर्भर करेगा. सिविल डिफेंस एक्ट की धारा 6(2) कहता है कि अगर कंट्रोलर को ऐसा लगता है कि किसी सदस्य की अब जरूरत नहीं है तो वो बिना कारण बताए उसे बर्खास्त कर सकता है. कोर्ट ने सत्यकाम से पूछा कि कंट्रोलर को एक राय बनानी होती है, तब आप कैसे कह सकते हैं कि ये एक स्वेच्छा से की जा रही सेवा है.

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