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फैसला : दिल्ली हाईकोर्ट ने दी 23 हफ्ते का गर्भ गिराने की इजाजत

23 हफ्ते के भ्रूण को हटाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस रेखा पल्ली ने अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट पर गौर करते हुए भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है.

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Published : Oct 6, 2021, 3:27 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला के 23 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने लेडी हार्डिंग अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट पर गौर करते हुए पाया कि भ्रूण में कई गड़बड़ियां हैं और उसके जीवित रहने की कोई संभावना नहीं है.

आदेश पारित करने से पहले कोर्ट महिला से बात करना चाहती थी. सुनवाई के दौरान महिला की वकील स्नेहा मुखर्जी ने कोर्ट को बताया कि महिला के पास आय के सीमित स्रोत हैं और वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये नहीं जुड़ सकती है. एक सितंबर को कोर्ट ने लेडी हार्डिंग अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने अस्पताल को यह बताने को निर्देश दिया कि क्या महिला का भ्रूण हटाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें-23 हफ्ते का भ्रूण हटाने की मांग, कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड गठित करने का दिया आदेश

सुनवाई के दौरान महिला की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा था कि महिला का 23 हफ्ते का भ्रूण है. उसका लेडी हार्डिंग अस्पताल में चेकअप के दौरान पता चला कि भ्रूण में कई गड़बड़ियां हैं. अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट के मुताबिक, भ्रूण के सिर में कोई हड्डी नहीं है. इसके अलवा उसे स्मॉल एट्रोफिक है और उसकी हड्डियों में खराबी है. रिपोर्ट में ये भी पाया गया है कि भ्रूण को हल्का जलोदर है.

याचिका में कहा गया था कि एमपीटी एक्ट में संशोधन कर 24 हफ्ते तक के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन इस संशोधन को अभी नोटिफाई नहीं किया गया है. इसकी वजह से उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. कोर्ट ने कहा था कि महिला का इलाज लेडी हार्डिंग अस्पताल में चल रहा है, इसलिए एम्स अस्पताल की बजाय वही मेडिकल बोर्ड गठित कर ये बताए कि याचिकाकर्ता का भ्रूण हटाने से कोई परेशानी तो नहीं होगी.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला के 23 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने लेडी हार्डिंग अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट पर गौर करते हुए पाया कि भ्रूण में कई गड़बड़ियां हैं और उसके जीवित रहने की कोई संभावना नहीं है.

आदेश पारित करने से पहले कोर्ट महिला से बात करना चाहती थी. सुनवाई के दौरान महिला की वकील स्नेहा मुखर्जी ने कोर्ट को बताया कि महिला के पास आय के सीमित स्रोत हैं और वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये नहीं जुड़ सकती है. एक सितंबर को कोर्ट ने लेडी हार्डिंग अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने अस्पताल को यह बताने को निर्देश दिया कि क्या महिला का भ्रूण हटाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें-23 हफ्ते का भ्रूण हटाने की मांग, कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड गठित करने का दिया आदेश

सुनवाई के दौरान महिला की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा था कि महिला का 23 हफ्ते का भ्रूण है. उसका लेडी हार्डिंग अस्पताल में चेकअप के दौरान पता चला कि भ्रूण में कई गड़बड़ियां हैं. अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट के मुताबिक, भ्रूण के सिर में कोई हड्डी नहीं है. इसके अलवा उसे स्मॉल एट्रोफिक है और उसकी हड्डियों में खराबी है. रिपोर्ट में ये भी पाया गया है कि भ्रूण को हल्का जलोदर है.

याचिका में कहा गया था कि एमपीटी एक्ट में संशोधन कर 24 हफ्ते तक के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन इस संशोधन को अभी नोटिफाई नहीं किया गया है. इसकी वजह से उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. कोर्ट ने कहा था कि महिला का इलाज लेडी हार्डिंग अस्पताल में चल रहा है, इसलिए एम्स अस्पताल की बजाय वही मेडिकल बोर्ड गठित कर ये बताए कि याचिकाकर्ता का भ्रूण हटाने से कोई परेशानी तो नहीं होगी.

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