नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का विशेष मॉनिटर नियुक्त किया है. वह आतंकवाद, उग्रवाद विरोधी, वामपंथी उग्रवाद, सांप्रदायिक दंगे आदि की देखभाल करेंगे. अवर सचिव बरजेश कुमानिया द्वारा 22 नवंबर को एनएचआरसी के आदेश के अनुसार 25 अक्टूबर 2023 तक के लिए 07 अधिकारियों को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के विशेष मॉनिटर के रूप में नियुक्त किया गया है.
बताया गया है कि मानवाधिकार आयोग में उनका कार्यकाल 22 सितंबर 2025 अवधि तक के लिए होगा. इनके अलावा अन्य अधिकारियों में अमिताभ अग्निहोत्री विषयगत क्षेत्रों को देखेंगे. वहीं पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार, संजय अग्रवाल (प्रारंभिक शिक्षा और साक्षरता), डॉ. मनोहर अगनानी (सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य देखभाल और अस्पताल (मानसिक स्वास्थ्य, एचआईवी/एड्स, एसयूरियस ड्रू, डाया नॉस्टिक्स और लैब्स), सुश्री ज्योत्सना सिटलिंग (आजीविका, कौशल और रोजगार), डॉ. मुक्तेश चंदर (साइबर अपराध और कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और आरके समा (जल, स्वच्छता और स्वच्छता) देखेंगे.
आदेश में कहा गया है कि विशेष मॉनिटर्स या तो एनएचआरसी के विशिष्ट आदेश के अनुसार या विशेष मॉनिटर्स द्वारा देखे गए या देखे गए मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों के आधार पर मिशन का दौरा करेंगे. इसमें आगे कहा गया है कि किसी भी परिस्थिति में विशेष मॉनिटर्स को उस स्थान पर जाने से पहले चेयरपर्सन की अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा यात्रा पूरी करने के बाद विशेष मॉनिटर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा और विशेष सिफारिशें सुझाएगा.
रिपोर्ट में घटनाओं के सामान्य विवरण के बजाय विशिष्ट मुद्दे और सिफारिशें शामिल होंगी. विशेष मॉनिटर्स किसी भी अन्य कार्यभार को लेने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन उन्हें कोई भी कार्य सौंपते समय उनसे हितों के टकराव, यदि कोई हो, का खुलासा करने की उम्मीद की जाती है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि गुजरात कैडर से सेवानिवृत्त आईपीएस राकेश अस्थाना का सेवा में लंबा करियर रहा है.
उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में विशेष निदेशक के रूप में भी काम किया है. उन्हें जुलाई 2021 में दिल्ली के पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया. वह 1 वर्ष के विस्तार के बाद 31 जुलाई 2022 को सेवानिवृत्त हुए थे. इसके अलावा अस्थाना सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के प्रमुख होने के साथ ही उनके पास नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) का अतिरिक्त प्रभार भी था. अस्थाना को तब भी सुर्खियां बटोरने के लिए जाना जाता है, जब वह विशेष सीबीआई निदेशक थे. इस दौरान तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा के साथ उनकी कड़वाहट ने राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी थीं. वर्मा ने तब कुख्यात मोइन कुरैशी मामले में अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
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