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ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जमाखोरी मामले में आरोपी नवनीत कालरा काे मिली जमानत

दक्षिणी दिल्ली की साकेत कोर्ट ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की (oxygen concentrator) जमाखोरी के मामले में गिरफ्तार नवनीत कालरा (Navneet Kalra ) को जमानत (bail) दे दिया है. दिल्ली पुलिस ने कालरा को 16 मई को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था.

कारोबारी
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Published : May 29, 2021, 4:35 PM IST

Updated : May 29, 2021, 5:24 PM IST

नई दिल्ली : साकेत कोर्ट (saket court) ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स (oxygen concentrator) की जमाखोरी (hoarding ) मामले में गिरफ्तार नवनीत कालरा को जमानत दे दिया है. चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने नवनीत कालरा को एक लाख रुपये के मुचलके और इतनी ही रकम के दो जमानतियों के आधार पर जमानत दी है.

27,999 की कीमत बताई और बेची 70 हजार में

दिल्ली पुलिस (delhi police) की ओर से वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा था कि उन्होंने जमानत याचिका पर जवाब दाखिल कर दिया है. दिल्ली पुलिस की ओर से नवनीत कालरा का एक पर्सनल चैट दिखाया गया, जिसमें उन्होंने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर (oxygen concentrator) खरीदने के लिए लोगों को कहा था. वह चैट 27 अप्रैल का था. दिल्ली पुलिस ने एक्स फैक्टर ऐप का विज्ञापन दिखाया, जिसमें प्रीमियम पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने का विज्ञापन डाला था. विज्ञापन में उन्होंने कहा है कि जर्मन कंसंट्रेटर हैं, लेकिन जो भी कंसंट्रेटर जब्त किये गये, वो जर्मनी का नहीं था. इसके अलावा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की गुणवत्ता के साथ भी समझौता किया गया. कीमत 27,999 कहा गया था. उन्होंने कहा कि कंसंट्रेटर प्रीमियम क्वालिटी का नहीं था और ऑक्सीजन का फ्लो 35 फीसदी से नीचे था. प्रीमियम कंसंट्रेटर दो लोगों के लिए पर्याप्त है, लेकिन जो कंसंट्रेटर्स कालरा बेच रहे थे, वे एक व्यक्ति के लिए भी पर्याप्त नहीं थे. कालरा ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स 70 हजार रुपये तक में बेचा था.

आरोपी कमा रहा था लाभ

श्रीवास्तव ने कहा कि आरोपी की ओर से कहा गया कि जो कंसंट्रेटर दिखाया गया है, वो सलमान खान भी लोगों को बेच रहे हैं, लेकिन सलमान खान चैरिटी कर रहे हैं, धोखाधड़ी नहीं कर रहे हैं. आपने खरीद की गई कीमत में बेचते, तो वो चैरिटी होती, लेकिन इस मामले में आरोपी ने खरीद रेट से दोगुनी कीमत पर बेचा है. उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों के साथ भी धोखाधड़ी की गई. पुलिस अधिकारियों ने इसकी सूचना मिलने पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को सूचित किया था, तब पता चला कि कंसंट्रेटर्स की क्वालिटी ठीक नहीं थी. उन्होंने कहा कि डीसीपी ने डीएम को 13 मई को पत्र लिखकर श्रीराम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च की कंसंट्रेटर के बारे में रिपोर्ट के बारे में बताया. कोर्ट ने कहा कि इस रिपोर्ट पर बात नहीं कर सकते हैं. जानते हैं कि ऑक्सीजन लेवल 88 फीसदी कम होने पर, उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

श्रीवास्तव ने एम्स की रिपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि कालरा की ओर से बेचा जा रहा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कोरोना मरीजों के उपयोग के लायक नहीं था. ये कंसंट्रेटर्स विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानकों पर खरा नहीं उतरते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशक के दिशा-निर्देशों के मुताबिक भी ये कंसंट्रेटर्स कोरोना मरीजों के उपयोग के लायक नहीं थे.

उन्होंने कहा कि कम लक्षणों वाले कोरोना मरीजों के लिए ये कंसंट्रेटर्स नुकसान ही कर रहे थे, जो मरीज जीवन और मौत के बीच झूल रहे थे, उनके लिए ये नुकसानदेह था. उन्होंने कहा कि कालरा के कंसंट्रेटर मौत को बुलावा देने वाले थे.

जमानत याचिका खारिज करने की मांग

कोर्ट ने श्रीवास्तव से पूछा कि अगर आप एक बार कंसेंट्रेटर की कीमत तय कर देते और ये तय कर देते कि उसमें कितना मुनाफा लेना है, तो बात ठीक थी. मुनाफा कमाना गलत कहां है. तब श्रीवास्तव ने कहा कि उनके विज्ञापन में 28 हजार रुपये कीमत बताई गई थी और बेची गई 70 हजार रुपये में. वे उन लोगों के साथ व्यापार कर रहे थे, जो जीवन और मौत की लड़ाई लड़ रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकार ने जरूरतमंद लोगों के लिए ढील दी है, लालची लोगों के लिए नहीं. सलमान खान बेच नहीं रहे हैं, वे चैरिटी कर रहे हैं, लेकिन यहां आरोपी पैसे कमा रहे हैं. श्रीवास्तव ने मैट्रिक्स सेलुलर के जब्त ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स पर हाईकोर्ट के फैसले को उद्धृत करते हुए कहा, जिसमें उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. उन्होंने कहा कि हाई पावर्ड कमेटी ने भी ऐसे मामलों में आरोपी को कोई राहत नहीं दी है. ये सफेदपोश अपराध है. उन्होंने नवनीत कालरा की जमानत याचिका खारिज करने की मांग की.

लेबोरेटरी की रिपोर्ट भ्रमपूर्ण

नवनीत कालरा (Navneet Kalra ) की ओर से वकील विकास पाहवा कार में थे, इसलिए कोर्ट ने पाहवा को दफ्तर में जाकर दलीलें रखने का आदेश दिया. 12 बजे जब विकास पाहवा कोर्ट में पेश हुए और कहा कि मैट्रिक्स ने जो विज्ञापन दिया था, वो अगस्त 2020 का था, लेकिन हम 23 अप्रैल को बेच रहे थे. इसके लिए मैट्रिक्स जिम्मेदार है और उनके लोगों को जमानत मिल गई है. पाहवा ने कहा कि जो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स कालरा से लेकर कोविड सेंटर को दिए गए, वे दिल्ली पुलिस ने वापस क्यों नहीं लिए. उन्होंने कहा कि श्रीराम लेबोरेटरी की रिपोर्ट काफी विस्तृत नहीं है. श्रीराम लेबोरेटरी की रिपोर्ट एम्स के रिपोर्ट के आधार पर है. अगर आप किसी को गलत रिपोर्ट देंगे, तो वो भी गलत रिपोर्ट ही देगा. इससे कानून की व्याख्या नहीं होती है. यह रिपोर्ट भ्रम पैदा करने के लिए दी गई है.

16 मई को किया गया था गिरफ्तार

पिछले 25 मई को कोर्ट ने कालरा की जमानत याचिका पर शनिवार को सुनवाई करने का आदेश दिया था. पिछले 22 मई को कोर्ट ने कालरा की पुलिस हिरासत की मांग को खारिज कर दिया था. पिछले 20 मई को कोर्ट ने कालरा को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आकांक्षा गर्ग ने दिल्ली पुलिस की हिरासत की मांग को खारिज करते हुए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था. पिछले 17 मई को कोर्ट ने कालरा को तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा था. पिछले 16 मई को दिल्ली पुलिस ने नवनीत कालरा को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था. पिछले 13 मई को कोर्ट ने नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स बरामद किया था

दिल्ली पुलिस ने खान मार्केट के एक रेस्टोरेंट से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बरामद किया था. इसके बाद पुलिस ने छतरपुर में छापा मारकर एक आरोपी को गिरफ्तार किया था. दिल्ली पुलिस ने 387 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी के वेयरहाउस से बरामद किया था. पिछले छह मई को पुलिस ने लोधी कालोनी के एक रेस्टोरेंट से 419 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जब्त किया था.

ये भी पढ़ें : नवनीत कालरा के कई ठिकानों पर ED ने की छापेमारी, हो सकते हैं कई और खुलासे

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गौरव, सतीश सेठी, विक्रांत और हितेश को गिरफ्तार किया था. इन सभी को जमानत मिल चुकी है. पिछले 12 मई को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने इन सभी को जमानत दी थी.

नई दिल्ली : साकेत कोर्ट (saket court) ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स (oxygen concentrator) की जमाखोरी (hoarding ) मामले में गिरफ्तार नवनीत कालरा को जमानत दे दिया है. चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने नवनीत कालरा को एक लाख रुपये के मुचलके और इतनी ही रकम के दो जमानतियों के आधार पर जमानत दी है.

27,999 की कीमत बताई और बेची 70 हजार में

दिल्ली पुलिस (delhi police) की ओर से वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा था कि उन्होंने जमानत याचिका पर जवाब दाखिल कर दिया है. दिल्ली पुलिस की ओर से नवनीत कालरा का एक पर्सनल चैट दिखाया गया, जिसमें उन्होंने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर (oxygen concentrator) खरीदने के लिए लोगों को कहा था. वह चैट 27 अप्रैल का था. दिल्ली पुलिस ने एक्स फैक्टर ऐप का विज्ञापन दिखाया, जिसमें प्रीमियम पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने का विज्ञापन डाला था. विज्ञापन में उन्होंने कहा है कि जर्मन कंसंट्रेटर हैं, लेकिन जो भी कंसंट्रेटर जब्त किये गये, वो जर्मनी का नहीं था. इसके अलावा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की गुणवत्ता के साथ भी समझौता किया गया. कीमत 27,999 कहा गया था. उन्होंने कहा कि कंसंट्रेटर प्रीमियम क्वालिटी का नहीं था और ऑक्सीजन का फ्लो 35 फीसदी से नीचे था. प्रीमियम कंसंट्रेटर दो लोगों के लिए पर्याप्त है, लेकिन जो कंसंट्रेटर्स कालरा बेच रहे थे, वे एक व्यक्ति के लिए भी पर्याप्त नहीं थे. कालरा ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स 70 हजार रुपये तक में बेचा था.

आरोपी कमा रहा था लाभ

श्रीवास्तव ने कहा कि आरोपी की ओर से कहा गया कि जो कंसंट्रेटर दिखाया गया है, वो सलमान खान भी लोगों को बेच रहे हैं, लेकिन सलमान खान चैरिटी कर रहे हैं, धोखाधड़ी नहीं कर रहे हैं. आपने खरीद की गई कीमत में बेचते, तो वो चैरिटी होती, लेकिन इस मामले में आरोपी ने खरीद रेट से दोगुनी कीमत पर बेचा है. उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों के साथ भी धोखाधड़ी की गई. पुलिस अधिकारियों ने इसकी सूचना मिलने पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को सूचित किया था, तब पता चला कि कंसंट्रेटर्स की क्वालिटी ठीक नहीं थी. उन्होंने कहा कि डीसीपी ने डीएम को 13 मई को पत्र लिखकर श्रीराम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च की कंसंट्रेटर के बारे में रिपोर्ट के बारे में बताया. कोर्ट ने कहा कि इस रिपोर्ट पर बात नहीं कर सकते हैं. जानते हैं कि ऑक्सीजन लेवल 88 फीसदी कम होने पर, उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

श्रीवास्तव ने एम्स की रिपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि कालरा की ओर से बेचा जा रहा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कोरोना मरीजों के उपयोग के लायक नहीं था. ये कंसंट्रेटर्स विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानकों पर खरा नहीं उतरते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशक के दिशा-निर्देशों के मुताबिक भी ये कंसंट्रेटर्स कोरोना मरीजों के उपयोग के लायक नहीं थे.

उन्होंने कहा कि कम लक्षणों वाले कोरोना मरीजों के लिए ये कंसंट्रेटर्स नुकसान ही कर रहे थे, जो मरीज जीवन और मौत के बीच झूल रहे थे, उनके लिए ये नुकसानदेह था. उन्होंने कहा कि कालरा के कंसंट्रेटर मौत को बुलावा देने वाले थे.

जमानत याचिका खारिज करने की मांग

कोर्ट ने श्रीवास्तव से पूछा कि अगर आप एक बार कंसेंट्रेटर की कीमत तय कर देते और ये तय कर देते कि उसमें कितना मुनाफा लेना है, तो बात ठीक थी. मुनाफा कमाना गलत कहां है. तब श्रीवास्तव ने कहा कि उनके विज्ञापन में 28 हजार रुपये कीमत बताई गई थी और बेची गई 70 हजार रुपये में. वे उन लोगों के साथ व्यापार कर रहे थे, जो जीवन और मौत की लड़ाई लड़ रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकार ने जरूरतमंद लोगों के लिए ढील दी है, लालची लोगों के लिए नहीं. सलमान खान बेच नहीं रहे हैं, वे चैरिटी कर रहे हैं, लेकिन यहां आरोपी पैसे कमा रहे हैं. श्रीवास्तव ने मैट्रिक्स सेलुलर के जब्त ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स पर हाईकोर्ट के फैसले को उद्धृत करते हुए कहा, जिसमें उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. उन्होंने कहा कि हाई पावर्ड कमेटी ने भी ऐसे मामलों में आरोपी को कोई राहत नहीं दी है. ये सफेदपोश अपराध है. उन्होंने नवनीत कालरा की जमानत याचिका खारिज करने की मांग की.

लेबोरेटरी की रिपोर्ट भ्रमपूर्ण

नवनीत कालरा (Navneet Kalra ) की ओर से वकील विकास पाहवा कार में थे, इसलिए कोर्ट ने पाहवा को दफ्तर में जाकर दलीलें रखने का आदेश दिया. 12 बजे जब विकास पाहवा कोर्ट में पेश हुए और कहा कि मैट्रिक्स ने जो विज्ञापन दिया था, वो अगस्त 2020 का था, लेकिन हम 23 अप्रैल को बेच रहे थे. इसके लिए मैट्रिक्स जिम्मेदार है और उनके लोगों को जमानत मिल गई है. पाहवा ने कहा कि जो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स कालरा से लेकर कोविड सेंटर को दिए गए, वे दिल्ली पुलिस ने वापस क्यों नहीं लिए. उन्होंने कहा कि श्रीराम लेबोरेटरी की रिपोर्ट काफी विस्तृत नहीं है. श्रीराम लेबोरेटरी की रिपोर्ट एम्स के रिपोर्ट के आधार पर है. अगर आप किसी को गलत रिपोर्ट देंगे, तो वो भी गलत रिपोर्ट ही देगा. इससे कानून की व्याख्या नहीं होती है. यह रिपोर्ट भ्रम पैदा करने के लिए दी गई है.

16 मई को किया गया था गिरफ्तार

पिछले 25 मई को कोर्ट ने कालरा की जमानत याचिका पर शनिवार को सुनवाई करने का आदेश दिया था. पिछले 22 मई को कोर्ट ने कालरा की पुलिस हिरासत की मांग को खारिज कर दिया था. पिछले 20 मई को कोर्ट ने कालरा को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आकांक्षा गर्ग ने दिल्ली पुलिस की हिरासत की मांग को खारिज करते हुए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था. पिछले 17 मई को कोर्ट ने कालरा को तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा था. पिछले 16 मई को दिल्ली पुलिस ने नवनीत कालरा को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था. पिछले 13 मई को कोर्ट ने नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स बरामद किया था

दिल्ली पुलिस ने खान मार्केट के एक रेस्टोरेंट से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बरामद किया था. इसके बाद पुलिस ने छतरपुर में छापा मारकर एक आरोपी को गिरफ्तार किया था. दिल्ली पुलिस ने 387 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी के वेयरहाउस से बरामद किया था. पिछले छह मई को पुलिस ने लोधी कालोनी के एक रेस्टोरेंट से 419 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जब्त किया था.

ये भी पढ़ें : नवनीत कालरा के कई ठिकानों पर ED ने की छापेमारी, हो सकते हैं कई और खुलासे

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गौरव, सतीश सेठी, विक्रांत और हितेश को गिरफ्तार किया था. इन सभी को जमानत मिल चुकी है. पिछले 12 मई को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने इन सभी को जमानत दी थी.

Last Updated : May 29, 2021, 5:24 PM IST
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