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कोरोना के टीके की आपूर्ति में देरी, जानें वजह - serum corona vaccine delay

कोरोना टीके की आपूर्ति में देरी होगी. कोवैक्स फैसिलिटी ने यह जानकारी दी है. सीरम द्वारा विकसित की गई कोविशील्ड की आपूर्ति पहले भारत में होगी, उसके बाद दुनिया के दूसरे देशों को मिलेगी. भारत में कोरोना संक्रमितों की बढ़ रही संख्या की वजह से यह निर्णय लिया गया है. हालांकि, इससे दूसरे देश प्रभावित होंगे. विश्व स्वास्थ्य संगठन इस स्थिति का हल निकालने में लगा हुआ है.

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Published : Mar 28, 2021, 4:35 PM IST

हैदराबाद : विश्व स्वास्थ्य संगठन की 'कोवैक्स फैसिलिटी' ने जानकारी दी है कि सीरम द्वारा बनाई जा रही टीके की आपूर्ति मार्च और अप्रैल में देरी से हो सकेगी. ऐसा भारत में टीके की बढ़ रही मांग के कारण है. सीरम और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर टीके को बनाया है.

मार्च महीने में सप्लाई की जाने वाली दवा अब अप्रैल महीने में भेजी जाएगी. एस्ट्राजेनेका ने इसकी पुष्टि कर दी है. भारत में एक बार फिर से कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं. इसलिए यह निर्णय लिया गया है. हालांकि, इस निर्णय से उन देशों पर प्रभाव पड़ेगा, जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है.

कोवैक्स और भारत सरकार के बीच बातचीत अब भी जारी है. कोवैक्स चाहता है कि टीके की सप्लाई प्रभावित न हो.

कोवैक्स को अब तक 2.8 करोड़ कोविशील्ड की डोज उपलब्ध करवाई जा चुकी है. मार्च में चार करोड़ डोज उपलब्ध करवाया जाना था. अप्रैल तक पांच करोड़ डोज की आपूर्ति की जानी थी.

सीरम का कहना है कि वह इस स्थिति से निपट लेगा. उनके अनुसार प्राथमिकता के आधार पर फैसले लिए जाएंगे.

इस बाबत विश्व स्वास्थ्य संगठन का अपना दिशानिर्देश है. इसके अनुसार टीका बनाने वाली कंपनी की अपनी जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. वैक्सीन बनाने वाली कंपनी को समय चाहिए, ताकि वह इसका उत्पादन कर सकें.

आने वाले समय में 82 देशों को एस्ट्राजेनेका कोविड का टीका भेजेगा. कोवैक्स के पास टीके के वितरण करवाने का अधिकार है. उसका यह काम सुनिश्चित करना है कि टीके का सही ढंग से वितरण संभव हो. शुरुआती छह महीने में आपूर्ति प्रभावि न हो, इसके लिए कोवैक्स काम कर रहा है. अब तक 50 देशों को टीका दिया जा चुका है.

हैदराबाद : विश्व स्वास्थ्य संगठन की 'कोवैक्स फैसिलिटी' ने जानकारी दी है कि सीरम द्वारा बनाई जा रही टीके की आपूर्ति मार्च और अप्रैल में देरी से हो सकेगी. ऐसा भारत में टीके की बढ़ रही मांग के कारण है. सीरम और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर टीके को बनाया है.

मार्च महीने में सप्लाई की जाने वाली दवा अब अप्रैल महीने में भेजी जाएगी. एस्ट्राजेनेका ने इसकी पुष्टि कर दी है. भारत में एक बार फिर से कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं. इसलिए यह निर्णय लिया गया है. हालांकि, इस निर्णय से उन देशों पर प्रभाव पड़ेगा, जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है.

कोवैक्स और भारत सरकार के बीच बातचीत अब भी जारी है. कोवैक्स चाहता है कि टीके की सप्लाई प्रभावित न हो.

कोवैक्स को अब तक 2.8 करोड़ कोविशील्ड की डोज उपलब्ध करवाई जा चुकी है. मार्च में चार करोड़ डोज उपलब्ध करवाया जाना था. अप्रैल तक पांच करोड़ डोज की आपूर्ति की जानी थी.

सीरम का कहना है कि वह इस स्थिति से निपट लेगा. उनके अनुसार प्राथमिकता के आधार पर फैसले लिए जाएंगे.

इस बाबत विश्व स्वास्थ्य संगठन का अपना दिशानिर्देश है. इसके अनुसार टीका बनाने वाली कंपनी की अपनी जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. वैक्सीन बनाने वाली कंपनी को समय चाहिए, ताकि वह इसका उत्पादन कर सकें.

आने वाले समय में 82 देशों को एस्ट्राजेनेका कोविड का टीका भेजेगा. कोवैक्स के पास टीके के वितरण करवाने का अधिकार है. उसका यह काम सुनिश्चित करना है कि टीके का सही ढंग से वितरण संभव हो. शुरुआती छह महीने में आपूर्ति प्रभावि न हो, इसके लिए कोवैक्स काम कर रहा है. अब तक 50 देशों को टीका दिया जा चुका है.

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