जयपुर : यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान-हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह (Former Rajasthan Governor Kalyan Singh) का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. कल्याण सिंह प्रदेश के चौथे राज्यपाल थे, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था. कल्याण सिंह 4 सितंबर 2014 से 8 सितंबर 2019 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे.
पिछले 53 साल में कल्याण सिंह ही ऐसे पहले राज्यपाल थे, जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था. इससे पहले 1967 में राज्यपाल संपूर्णानंद ने अपना कार्यकाल पूरा किया था. वैसे वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए खासा चर्चाओं में रहे लेकिन राजस्थान में बतौर राज्यपाल रहते हुए वो बयानों से दूर रहे. हालांकि, उनके पांच साल के कार्यकाल में कई फैसले ऐसे रहे, जिन्होंने खास सुर्खियां बटोरी.
राज्यपाल कल्याण सिंह के कार्यकाल के कई कल्याणकारी अहम फैसले रहे. राज्यपाल रहते हुए कल्याण सिंह ने अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परंपराओं को बदला. जिसमें गवर्नर को 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया जाए और महामहिम शब्द पर रोक लगाने जैसे फैसला दिया. इतना ही नहीं कल्याण सिंह ने दीक्षांत समारोह में ब्रिटिश संस्कृति की ड्रेस कॉर्ड को भी बदलने का फैसला लिया था. राजकीय विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह का ड्रेस कोड भारतीय पोषाक किया था. उन्होंने डिग्री लेते वक्त विद्यार्थियों को राजस्थानी टच वाली भारतीय पोषाक पहनकर आना अनिवार्य किया था.
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इतना ही नहीं राज्यपाल कल्याण सिंह ने विश्वविद्यालय की ओर से एक-एक गांव गोद लेने के निर्देश भी दिए थे. यही वजह है कि दीक्षांत समारोह में शामिल होने से पहले राज्यपाल कल्याण सिंह विश्वविद्यालय की ओर से गोद लिए जाने वाले गांव देखते थे. राज्यपाल रहते हुए उन्होंने राजस्थान की जनता में अपनी एक अलग पहचान बना चुके थे. कुलाधिपति के अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को तलब कर सख्ती बरतने के लिए भी निर्देश दिए थे.
कल्याण सिंह ने राजस्थान के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों में प्रति साल दीक्षांत समारोह का आयोजन शुरू करने का काम भी किया है. राजस्थान विश्वविद्यालय जैसी यूनिवर्सिटी में बीते 22 साल से दीक्षांत समारोह नहीं हुए थे. कल्याण सिंह ने 2015 में दीक्षांत समारोह करवाया. हर साल समय पर दीक्षांत समारोह करने के निर्देश भी दिए. जिसके बाद राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में प्रति साल दीक्षांत समारोह आयोजित होने लगे. राजस्थान विश्वविद्यालय में इस प्रक्रिया के तहत 22 साल से लंबित पड़ी 25 लाख डिग्रिंया बांटी जा चुकी हैं.
कल्याण सिंह के कल्याणकारी फैसले
कल्याण सिंह ने पहली बार विश्वविद्यालयों में हुई भर्तियों की जांच करवाई थी. उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय और सुखाड़िया विश्वविद्यालय में हुई भर्तियों की जांच के लिए एसीबी और लोकायुक्त स्तर पर जांच की सिफारिश भी की थी. उन्होंने संस्कृत यूनिवर्सिटी में गड़बड़ी मिलने पर भर्तियां भी निरस्त कर दी थी. गाउन को विदेशी संस्कृति का परिचायक बताते हुए उन्होंने ब्लैक गाउन में डिग्री लेने पर रोक लगाई थी. विद्यार्थियों को राजस्थानी टच वाली भारतीय पोशाक पहनकर आना अनिवार्य किया था.
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कल्याण सिंह ने विश्वविद्यालयों में लोकगीत तैयार करने और 100 फीट तिरंगा लगाना अनिवार्य किया गया था. राज्यपाल के नाम के आगे महामहिम शब्द पर रोक लगाई गई थी. राजभवन में गार्ड ऑफ ऑनर पर रोक भी लगाई. सबसे पहले विश्वविद्यालयों की ओर से गांव गोद लेने की शुरुआत कराई थी. विश्वविद्यालयों में सालों से लंबित डिग्रियों का वितरण कराया था.
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हर साल दीक्षांत समारोह की अनिवार्यता का फैसला किया था. शैक्षणिक क्षेत्र में विश्वविद्यालयों में टीचर क्या पढ़ाएंगे, उसे पहले वेबसाइट पर दिखाना शुरू किया. उन्होंने नकल की रोकथाम के लिए टीचरों के लिए सख्ती बरतने को कहा था. साथ ही उनके राज्यपाल रहते हुए दौसा में एक साथ 8 टीचरों को सस्पेंड किया गया था.