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'दंभ की राजनीति' से 'आत्मनिरीक्षण' की ओर जा रही सरकार : हसनैन मसूदी - कृषि कानून

पीएम नरेंद्र मोदी ने आज तीनों कृषि कानूनों को वापस (withdrawal agriculture law) लेने की घोषणा कर दी. इसे लेकर विपक्ष निशाना साध रहा है. अब नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी (Hasnain Masoodi) ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने की मांग दोहराई है.

हसनैन मसूदी
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Published : Nov 19, 2021, 9:30 PM IST

श्रीनगर : नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी (Hasnain Masoodi) ने शुक्रवार को कहा कि तीनों कृषि कानून को वापस लेने के निर्णय से स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार 'दंभ की राजनीति' से 'आत्मनिरीक्षण और पुनर्मूल्यांकन' की ओर जा रही है.

इसके साथ ही मसूदी ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने की मांग दोहराई. उन्होंने पांच अगस्त 2019 को लिए गए निर्णय को पलटने की मांग की जिससे अनुच्छेद 370 के प्रावधान निरस्त कर दिए गए थे.

मसूदी ने कहा, 'एक साल तक व्यापक स्तर पर विरोध झेलने और 800 किसानों की मौत तथा संपत्ति का नुकसान होने तथा अकारण बचाव करने के बाद तीन कृषि कानूनों को वापस लिया जाना यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि सरकार दंभ की राजनीति से आत्मनिरीक्षण और पुनर्मूल्यांकन की ओर बढ़ रही है.'

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग से लोकसभा सदस्य मसूदी ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार ने यह स्वीकार किया कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर कानून बनाने से पहले उसे व्यापक चर्चा के लिए सार्वजनिक मंच पर रखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'इस निर्णय से हमें यह भी पता चलता है कि 'ऐसा कुछ नहीं होता कि घड़ी की सुइयां पीछे है जा सकतीं' और परिस्थिति की मांग के अनुसार, फैसलों पर पुनर्विचार किया जा सकता है.'

पढ़ें- कृषि कानूनों की वापसी पर महबूबा मुफ्ती ने कहा- जम्मू कश्मीर में भी बहाल हो पहले जैसी स्थिति

मसूदी ने कहा कि प्रधानमंत्री को इसी प्रकार का आत्मनिरीक्षण पांच अगस्त 2019 के फैसले पर भी करना चाहिए जिसके द्वारा 'एकतरफा, असंवैधानिक और अनैतिक तरीके' से जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया था.

पढ़ें- कृषि कानूनों के बाद अब CAA को भी निरस्त किया जाए : जमीयत

(पीटीआई-भाषा)

श्रीनगर : नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी (Hasnain Masoodi) ने शुक्रवार को कहा कि तीनों कृषि कानून को वापस लेने के निर्णय से स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार 'दंभ की राजनीति' से 'आत्मनिरीक्षण और पुनर्मूल्यांकन' की ओर जा रही है.

इसके साथ ही मसूदी ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने की मांग दोहराई. उन्होंने पांच अगस्त 2019 को लिए गए निर्णय को पलटने की मांग की जिससे अनुच्छेद 370 के प्रावधान निरस्त कर दिए गए थे.

मसूदी ने कहा, 'एक साल तक व्यापक स्तर पर विरोध झेलने और 800 किसानों की मौत तथा संपत्ति का नुकसान होने तथा अकारण बचाव करने के बाद तीन कृषि कानूनों को वापस लिया जाना यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि सरकार दंभ की राजनीति से आत्मनिरीक्षण और पुनर्मूल्यांकन की ओर बढ़ रही है.'

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग से लोकसभा सदस्य मसूदी ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार ने यह स्वीकार किया कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर कानून बनाने से पहले उसे व्यापक चर्चा के लिए सार्वजनिक मंच पर रखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'इस निर्णय से हमें यह भी पता चलता है कि 'ऐसा कुछ नहीं होता कि घड़ी की सुइयां पीछे है जा सकतीं' और परिस्थिति की मांग के अनुसार, फैसलों पर पुनर्विचार किया जा सकता है.'

पढ़ें- कृषि कानूनों की वापसी पर महबूबा मुफ्ती ने कहा- जम्मू कश्मीर में भी बहाल हो पहले जैसी स्थिति

मसूदी ने कहा कि प्रधानमंत्री को इसी प्रकार का आत्मनिरीक्षण पांच अगस्त 2019 के फैसले पर भी करना चाहिए जिसके द्वारा 'एकतरफा, असंवैधानिक और अनैतिक तरीके' से जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया था.

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(पीटीआई-भाषा)

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