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Debt On Himachal Pradesh : सबसे ज्यादा कर्जदार राज्यों की सूची में टॉप-5 में हिमाचल, प्रति व्यक्ति कर्ज पहुंचा एक लाख के पार

हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. सरकार के मुताबिक हिमाचल देश के टॉप कर्जदार राज्यों की सूची में शामिल हो गया है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सरकार की ओर से जो आंकड़े पेश किए गए हैं वो चौंकाने वाले है. (Debt on Himachal Pradesh) (Per Capita Debt in Himachal)

Himachal per capita debt
सांकेतिक तस्वीर.
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 21, 2023, 7:51 PM IST

Updated : Sep 22, 2023, 3:33 PM IST

शिमला- हिमाचल प्रदेश देश का 5वां सबसे कर्जदार राज्य है. गुरुवार को राज्य के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा के मानसून सत्र के दिन ये जानकारी दी. दरअसल डिप्टी सीएम ने हिमाचल की वित्तीय स्थिति को लेकर श्वेत पत्र सदन में पेश किया. जिसमें कर्ज के दलदल में डूब रहे प्रदेश को लेकर आंकड़े थे. दरअसल हिमाचल सरकार ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र बनाने के लिए एक सब कमेटी गठित की थी, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में गठित इस सब कमेटी में दो मंत्री भी थे.

हिमाचल पर 76,630 करोड़ का कर्ज- डिप्टी सीएम ने विधानसभा में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल पर कर्ज का भारी दबाव है और सबसे ज्यादा कर्जदार राज्यों की लिस्ट में हिमाचल 5वें स्थान पर है. श्वेत पत्र के मुताबिक हिमाचल प्रदेश पर इस वक्त 76,630 करोड़ रुपये का कर्ज है. जो 2021-22 में 63,718 करोड़ और 2020-21 में 60,983 करोड़ रुपये था. महज 70 लाख की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश पर बढ़ते कर्ज का बोझ चिंताजनक है.

Himachal per capita debt
हिमाचल पर बकाया कर्ज का बोझ.

हर हिमाचली पर एक लाख से ज्यादा का कर्ज- मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि मौजूदा समय में हिमाचल में हर व्यक्ति पर 1,02,818 रुपये का कर्ज है. जो 2021-22 में 85,931 और 2020-21 में 82,700 रुपये था. हिमाचल सरकार की ओर से पेश किए गए आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश ने पिछले करीब 5 सालों में 30 हजार करोड़ का कर्ज लिया और जो कर्ज 2017-18 में 47,906 करोड़ रुपये था वो आज 76,630 करोड़ पहुंच गया है.

Himachal per capita debt
हिमाचल में प्रति व्यक्ति पर कर्ज.

पूर्व की बीजेपी सरकार जिम्मेदार- मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल की मौजूदा हालात के लिए पूर्व की बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. सदन में राज्य की वित्तीय स्थिति से जुड़े आंकड़े पेश करते हुए उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार को पिछली सरकार से 92,774 करोड़ रुपये की प्रत्यक्ष देनदारियां (direct liabilities) विरासत में मिली थीं. जिसमें 76,630 करोड़ रुपये की देनदारियों के अलावा 10,600 करोड़ रुपये महंगाई भत्ते की देनदारी और 5544 करोड़ रुपये बकाया देनदारी व वेतन संशोधन का शामिल है.

चुनावी साल में लिया गया ताबड़तोड़ कर्ज- गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में नवंबर 2022 में विधानसभा चुनाव हुए थे और कांग्रेस ने बीजेपी को पटखनी देकर सत्ता हासिल की थी. डिप्टी सीएम ने बताया पूर्व की बीजेपी सरकार ने चुनावी साल में 16,261 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. चुनाव को देखते हुए सरकार ने वित्तीय प्रबंधन को ताक पर रख दिया जिससे राज्य का वित्तीय संतुलन बिगड़ गया. पिछली सरकार की नीतियों के कारण हिमाचल कर्जदार राज्यों की सूची में टॉप-5 में आ गया है. आलम ये है कि पुराने कर्ज को चुकाने के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 9048 करोड़ रुपये चाहिए. जिसमें अकेले 5262 करोड़ रुपये तो कर्ज के ब्याज का ही है.

हिमाचल सरकार की ओर से राज्य की वित्तीय हालत पर जब सदन में रिपोर्ट पेश की गई तो विपक्ष में मौजूद बीजेपी ने जमकर हंगामा किया. विपक्षी विधायक नारेबाजी करते हुए वेल तक पहुंच गए और सदन में मचे हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष को कार्यवाही स्थगित भी करनी पड़ी. दोपहर बाद जब कार्यवाही शुरू हुई तब डिप्टी सीएम ने फिर से श्वेत पत्र के बाकी हिस्से को पढ़ा. उस दौरान भी विपक्ष की नारेबाजी जारी रही और फिर से वेल में पहुंच गए. शोर-शराबे के बीच ही डिप्टी सीएम ने श्वेत पत्र पढ़ा और इसकी प्रति सदन के पटल पर रखी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के सबसे बड़े पलटूराम माननीय जयराम ठाकुर हैं, प्रदेश की जनता की आवाज उठाने में भी पलट गए- विक्रमादित्य सिंह

शिमला- हिमाचल प्रदेश देश का 5वां सबसे कर्जदार राज्य है. गुरुवार को राज्य के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा के मानसून सत्र के दिन ये जानकारी दी. दरअसल डिप्टी सीएम ने हिमाचल की वित्तीय स्थिति को लेकर श्वेत पत्र सदन में पेश किया. जिसमें कर्ज के दलदल में डूब रहे प्रदेश को लेकर आंकड़े थे. दरअसल हिमाचल सरकार ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र बनाने के लिए एक सब कमेटी गठित की थी, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में गठित इस सब कमेटी में दो मंत्री भी थे.

हिमाचल पर 76,630 करोड़ का कर्ज- डिप्टी सीएम ने विधानसभा में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल पर कर्ज का भारी दबाव है और सबसे ज्यादा कर्जदार राज्यों की लिस्ट में हिमाचल 5वें स्थान पर है. श्वेत पत्र के मुताबिक हिमाचल प्रदेश पर इस वक्त 76,630 करोड़ रुपये का कर्ज है. जो 2021-22 में 63,718 करोड़ और 2020-21 में 60,983 करोड़ रुपये था. महज 70 लाख की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश पर बढ़ते कर्ज का बोझ चिंताजनक है.

Himachal per capita debt
हिमाचल पर बकाया कर्ज का बोझ.

हर हिमाचली पर एक लाख से ज्यादा का कर्ज- मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि मौजूदा समय में हिमाचल में हर व्यक्ति पर 1,02,818 रुपये का कर्ज है. जो 2021-22 में 85,931 और 2020-21 में 82,700 रुपये था. हिमाचल सरकार की ओर से पेश किए गए आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश ने पिछले करीब 5 सालों में 30 हजार करोड़ का कर्ज लिया और जो कर्ज 2017-18 में 47,906 करोड़ रुपये था वो आज 76,630 करोड़ पहुंच गया है.

Himachal per capita debt
हिमाचल में प्रति व्यक्ति पर कर्ज.

पूर्व की बीजेपी सरकार जिम्मेदार- मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल की मौजूदा हालात के लिए पूर्व की बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. सदन में राज्य की वित्तीय स्थिति से जुड़े आंकड़े पेश करते हुए उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार को पिछली सरकार से 92,774 करोड़ रुपये की प्रत्यक्ष देनदारियां (direct liabilities) विरासत में मिली थीं. जिसमें 76,630 करोड़ रुपये की देनदारियों के अलावा 10,600 करोड़ रुपये महंगाई भत्ते की देनदारी और 5544 करोड़ रुपये बकाया देनदारी व वेतन संशोधन का शामिल है.

चुनावी साल में लिया गया ताबड़तोड़ कर्ज- गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में नवंबर 2022 में विधानसभा चुनाव हुए थे और कांग्रेस ने बीजेपी को पटखनी देकर सत्ता हासिल की थी. डिप्टी सीएम ने बताया पूर्व की बीजेपी सरकार ने चुनावी साल में 16,261 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. चुनाव को देखते हुए सरकार ने वित्तीय प्रबंधन को ताक पर रख दिया जिससे राज्य का वित्तीय संतुलन बिगड़ गया. पिछली सरकार की नीतियों के कारण हिमाचल कर्जदार राज्यों की सूची में टॉप-5 में आ गया है. आलम ये है कि पुराने कर्ज को चुकाने के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 9048 करोड़ रुपये चाहिए. जिसमें अकेले 5262 करोड़ रुपये तो कर्ज के ब्याज का ही है.

हिमाचल सरकार की ओर से राज्य की वित्तीय हालत पर जब सदन में रिपोर्ट पेश की गई तो विपक्ष में मौजूद बीजेपी ने जमकर हंगामा किया. विपक्षी विधायक नारेबाजी करते हुए वेल तक पहुंच गए और सदन में मचे हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष को कार्यवाही स्थगित भी करनी पड़ी. दोपहर बाद जब कार्यवाही शुरू हुई तब डिप्टी सीएम ने फिर से श्वेत पत्र के बाकी हिस्से को पढ़ा. उस दौरान भी विपक्ष की नारेबाजी जारी रही और फिर से वेल में पहुंच गए. शोर-शराबे के बीच ही डिप्टी सीएम ने श्वेत पत्र पढ़ा और इसकी प्रति सदन के पटल पर रखी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के सबसे बड़े पलटूराम माननीय जयराम ठाकुर हैं, प्रदेश की जनता की आवाज उठाने में भी पलट गए- विक्रमादित्य सिंह

Last Updated : Sep 22, 2023, 3:33 PM IST
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