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न्यायिक हिरासत में मौत मामले में यूपी अव्वल, पुलिस कस्टडी मामले में गुजरात - न्यायिक हिरासत

देश में पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में अक्सर मौत के मामले आते हैं. इन मामलों में पुलिस प्रशासन पर सवाल उठते हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि देश में कितनी मौतें पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में होती हैं. इस संबंध में बजट सत्र में सरकार ने जवाब दिया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, न्यायिक हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में होती हैं. वहीं पुलिस कस्टडी में मौत के मामले में गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र आगे हैं. आइए इन आंकड़ों पर डालते हैं एक नजर...

न्यायिक हिरासत में मौत
न्यायिक हिरासत में मौत
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Published : Mar 17, 2021, 8:39 PM IST

Updated : Mar 17, 2021, 9:08 PM IST

हैदराबाद : देशभर में पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में मौत के मामले सामने आते रहते हैं. ऐसे मामलों में कई बार पुलिस तो कई बार जेल प्रशासन सवालों के घेरे में होता है. लेकिन सवाल है कि पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में साल दर साल कितनी मौतें होती हैं. मौजूदा बजट सत्र के दौरान लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बीते चार सालों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. इन आंकड़ों की मानें तो न्यायिक हिरासत में मौत के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है.

न्यायिक हिरासत में मौत के आंकड़े

  • साल 2017-18 में न्यायिक हिरासत में मौते के सबसे ज्यादा 390 मामले यूपी से सामने आए. पश्चिम बंगाल से 138, पंजाब से 127, महाराष्ट्र से 125, बिहार से 109 मामले सामने आए.
  • साल 2018-19 में यूपी 452 मामलों के साथ पहले स्थान पर रहा, जबकि दूसरे नंबर पर 149 मामलों के साथ महाराष्ट्र रहा. 2018-19 में मध्य प्रदेश से 143 मामले न्यायिक हिरासत में मौत के आए, जबकि चौथे नंबर पर पंजाब (117) और पांचवें नंबर पर पश्चिम बंगाल (115) रहे.
  • साल 2019-20 में भी यूपी 400 मामलों के साथ पहले नंबर पर रहा, वहीं इस साल 143 मामलों के साथ मध्य प्रदेश दूसरे, 115 मामलों के साथ पश्चिम बंगाल तीसरे नंबर पर रहा. इसी साल न्यायिक हिरासत में मौत के 105 मामले बिहार और 93 मामले पंजाब से सामने आए.
  • मौजूदा वर्ष 2020-21 में 28 फरवरी 2021 तक के आंकड़े बताते हैं कि इस साल भी न्यायिक हिरासत में मौत के मामलों में यूपी (395) पहले, पश्चिम बंगाल (158) दूसरे, मध्य प्रदेश (144) तीसरे, बिहार (139) चौथे और महाराष्ट्र (117) पांचवें नंबर पर रहे.

पुलिस कस्टडी में मौत के आंकड़े

  • साल 2017-18 में पुलिस कस्टडी में मौत के सबसे ज्यादा 19 मामले महाराष्ट्र से सामने आए. इसके बाद गुजरात में 14, असम और तमिलनाडु में 11-11, पंजाब और उत्तर प्रदेश में 10-10 मामले सामने आए.
  • साल 2018-19 में गुजरात में पुलिस कस्टडी में मौत के सर्वाधिक 13 मामले सामने आए. वहीं, मध्य प्रदेश और यूपी में 12-12, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में 11-11 मामले सामने आए.
  • साल 2019-20 के आंकडों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा पुलिस हिरासत में मौत के मामले सामने आए. मध्य प्रदेश में 14, तमिलनाडु और गुजरात में 12-12, पश्चिम बंगाल में 7, ओडिशा और पंजाब में 6-6 मामले सामने आए.
  • साल 2020-21 में 28 फरवरी तक के आंकड़े बताते हैं कि गुजरात में पुलिस कस्टडी में मौत के सबसे ज्यादा 15 मामले सामने आए. महाराष्ट्र में पुलिस कस्टडी में मौत के 11 मामले सामने आए. बंगाल और मध्य प्रदेश में 8-8 के अलावा कर्नाटक और ओडिशा में 4-4 मामले सामने आए.

कुल मिलाकर संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, न्यायिक हिरासत में मौत के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य यूपी अव्वल रहा. जबकि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं. ऐसा ही कुछ पुलिस हिरासत में मौत के मामलों में भी दिखता है. इसमें तमिलनाडु, कर्नाटक, पंजाब, असम और ओडिशा भी शामिल है.

हैदराबाद : देशभर में पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में मौत के मामले सामने आते रहते हैं. ऐसे मामलों में कई बार पुलिस तो कई बार जेल प्रशासन सवालों के घेरे में होता है. लेकिन सवाल है कि पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में साल दर साल कितनी मौतें होती हैं. मौजूदा बजट सत्र के दौरान लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बीते चार सालों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. इन आंकड़ों की मानें तो न्यायिक हिरासत में मौत के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है.

न्यायिक हिरासत में मौत के आंकड़े

  • साल 2017-18 में न्यायिक हिरासत में मौते के सबसे ज्यादा 390 मामले यूपी से सामने आए. पश्चिम बंगाल से 138, पंजाब से 127, महाराष्ट्र से 125, बिहार से 109 मामले सामने आए.
  • साल 2018-19 में यूपी 452 मामलों के साथ पहले स्थान पर रहा, जबकि दूसरे नंबर पर 149 मामलों के साथ महाराष्ट्र रहा. 2018-19 में मध्य प्रदेश से 143 मामले न्यायिक हिरासत में मौत के आए, जबकि चौथे नंबर पर पंजाब (117) और पांचवें नंबर पर पश्चिम बंगाल (115) रहे.
  • साल 2019-20 में भी यूपी 400 मामलों के साथ पहले नंबर पर रहा, वहीं इस साल 143 मामलों के साथ मध्य प्रदेश दूसरे, 115 मामलों के साथ पश्चिम बंगाल तीसरे नंबर पर रहा. इसी साल न्यायिक हिरासत में मौत के 105 मामले बिहार और 93 मामले पंजाब से सामने आए.
  • मौजूदा वर्ष 2020-21 में 28 फरवरी 2021 तक के आंकड़े बताते हैं कि इस साल भी न्यायिक हिरासत में मौत के मामलों में यूपी (395) पहले, पश्चिम बंगाल (158) दूसरे, मध्य प्रदेश (144) तीसरे, बिहार (139) चौथे और महाराष्ट्र (117) पांचवें नंबर पर रहे.

पुलिस कस्टडी में मौत के आंकड़े

  • साल 2017-18 में पुलिस कस्टडी में मौत के सबसे ज्यादा 19 मामले महाराष्ट्र से सामने आए. इसके बाद गुजरात में 14, असम और तमिलनाडु में 11-11, पंजाब और उत्तर प्रदेश में 10-10 मामले सामने आए.
  • साल 2018-19 में गुजरात में पुलिस कस्टडी में मौत के सर्वाधिक 13 मामले सामने आए. वहीं, मध्य प्रदेश और यूपी में 12-12, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में 11-11 मामले सामने आए.
  • साल 2019-20 के आंकडों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा पुलिस हिरासत में मौत के मामले सामने आए. मध्य प्रदेश में 14, तमिलनाडु और गुजरात में 12-12, पश्चिम बंगाल में 7, ओडिशा और पंजाब में 6-6 मामले सामने आए.
  • साल 2020-21 में 28 फरवरी तक के आंकड़े बताते हैं कि गुजरात में पुलिस कस्टडी में मौत के सबसे ज्यादा 15 मामले सामने आए. महाराष्ट्र में पुलिस कस्टडी में मौत के 11 मामले सामने आए. बंगाल और मध्य प्रदेश में 8-8 के अलावा कर्नाटक और ओडिशा में 4-4 मामले सामने आए.

कुल मिलाकर संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, न्यायिक हिरासत में मौत के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य यूपी अव्वल रहा. जबकि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं. ऐसा ही कुछ पुलिस हिरासत में मौत के मामलों में भी दिखता है. इसमें तमिलनाडु, कर्नाटक, पंजाब, असम और ओडिशा भी शामिल है.

Last Updated : Mar 17, 2021, 9:08 PM IST
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