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रवींद्र नाथ टैगोर पहले गैर यूरोपीय थे जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला

गुरुदेव एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं. भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन और बांग्लादेश का राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएं हैं.

गुरुदेव एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं
गुरुदेव एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं
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Published : Aug 7, 2021, 8:00 AM IST

नई दिल्ली: महान संगीतकार, चित्रकार, लेखक, कवि और विचारक गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है. ये विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर पहले भारतीय, पहले एशियाई और पहले गैर यूरोपीय थे जिन्हें साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

बता दें, रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था. उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर और मां का नाम शारदा देवी था. इनकी स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में हुई थी. उसके बाद उन्होंने बैरिस्टर सपने को पूरा करने के लिए 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन में एक पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया. उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की, लेकिन 1880 में बिना डिग्री लिए भारत लौट आए.

7 अगस्त 1941 को रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कोलकाता में अंतिम सांस ली. गुरुदेव बहुआयामी प्रतिभा वाली शख़्सियत थे. वे कवि, साहित्यकार, दार्शनिक, नाटककार, संगीतकार और चित्रकार थे. विश्वविख्यात महाकाव्य गीतांजलि की रचना के लिये उन्हें 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका है. साहित्य के क्षेत्र में नोबेल जीतने वाले वे अकेले भारतीय हैं.

जानकारी के मुताबिक रविंद्रनाथ टैगोर मानवता को राष्ट्रवाद से ऊंचे स्थान पर रखते थे. गुरुदेव ने कहा था कि जब तक मैं जिंदा हूं मानवता के ऊपर देशभक्ति की जीत नहीं होने दूंगा. टैगोर गांधी जी का बहुत सम्मान करते थे, लेकिन वे उनसे राष्ट्रीयता, देशभक्ति, सांस्कृतिक विचारों की अदला बदली, तर्कशक्ति जैसे विषयों पर अलग राय रखते थे. टैगोर ने ही गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी.

गुरुदेव एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं. भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन और बांग्लादेश का राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएं हैं.

बता दें, साहित्य की शायद ही ऐसी कोई विधा है, जिनमें उनकी रचना न हो -गान, कविता, उपन्यास, कथा, नाटक, प्रबंध, शिल्पकला, सभी विधाओं में उनकी रचनाएं विश्वविख्यात हैं. उनकी रचनाओं में गीतांजली, गीताली, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, शिशु, शिशु भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया आदि प्रमुख हैं. उन्होंने कई किताबों का अनुवाद अंग्रेजी में किया.

गुरुदेव 1901 में शांतिनिकेतन आ गए. टैगोर ने शांतिनिकेतन की स्थापना की. टैगोर ने यहां विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना की. रविंद्रनाथ टैगोर ने करीब 2,230 गीतों की रचना की. रविंद्र संगीत बांग्ला संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. टैगोर के संगीत को उनके साहित्य से अलग नहीं किया जा सकता.

नई दिल्ली: महान संगीतकार, चित्रकार, लेखक, कवि और विचारक गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है. ये विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर पहले भारतीय, पहले एशियाई और पहले गैर यूरोपीय थे जिन्हें साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

बता दें, रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था. उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर और मां का नाम शारदा देवी था. इनकी स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में हुई थी. उसके बाद उन्होंने बैरिस्टर सपने को पूरा करने के लिए 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन में एक पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया. उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की, लेकिन 1880 में बिना डिग्री लिए भारत लौट आए.

7 अगस्त 1941 को रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कोलकाता में अंतिम सांस ली. गुरुदेव बहुआयामी प्रतिभा वाली शख़्सियत थे. वे कवि, साहित्यकार, दार्शनिक, नाटककार, संगीतकार और चित्रकार थे. विश्वविख्यात महाकाव्य गीतांजलि की रचना के लिये उन्हें 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका है. साहित्य के क्षेत्र में नोबेल जीतने वाले वे अकेले भारतीय हैं.

जानकारी के मुताबिक रविंद्रनाथ टैगोर मानवता को राष्ट्रवाद से ऊंचे स्थान पर रखते थे. गुरुदेव ने कहा था कि जब तक मैं जिंदा हूं मानवता के ऊपर देशभक्ति की जीत नहीं होने दूंगा. टैगोर गांधी जी का बहुत सम्मान करते थे, लेकिन वे उनसे राष्ट्रीयता, देशभक्ति, सांस्कृतिक विचारों की अदला बदली, तर्कशक्ति जैसे विषयों पर अलग राय रखते थे. टैगोर ने ही गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी.

गुरुदेव एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं. भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन और बांग्लादेश का राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएं हैं.

बता दें, साहित्य की शायद ही ऐसी कोई विधा है, जिनमें उनकी रचना न हो -गान, कविता, उपन्यास, कथा, नाटक, प्रबंध, शिल्पकला, सभी विधाओं में उनकी रचनाएं विश्वविख्यात हैं. उनकी रचनाओं में गीतांजली, गीताली, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, शिशु, शिशु भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया आदि प्रमुख हैं. उन्होंने कई किताबों का अनुवाद अंग्रेजी में किया.

गुरुदेव 1901 में शांतिनिकेतन आ गए. टैगोर ने शांतिनिकेतन की स्थापना की. टैगोर ने यहां विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना की. रविंद्रनाथ टैगोर ने करीब 2,230 गीतों की रचना की. रविंद्र संगीत बांग्ला संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. टैगोर के संगीत को उनके साहित्य से अलग नहीं किया जा सकता.

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