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रूढ़िवाद की बदलती तस्वीर, इन बेटियों ने मां की अर्थी को दिया कंधा

राजसमंद में मां के देहांत पर तीन बेटियों ने मां की अर्थी को ना सिर्फ कंधा दिया बल्कि अंतिम संस्कार भी किया. इन बेटियों ने सारे फर्ज निभाकर बता दिया कि बेटे और बेटियां बराबर हैं.

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Published : Apr 2, 2021, 3:53 PM IST

daughters perform last rites
daughters perform last rites

जयपुर : राजस्थान के राजसमंद जिले में गुरुवार को मां के देहावसान पर तीन बेटियों ने अपनी मां को ना सिर्फ कंधा दिया बल्कि मुखाग्नि भी दी. तीनों बेटियों ने सामाजिक रुढ़िवादी नियम तोड़कर मिसाल पेश की है.

मां को मुखाग्नि देती बेटियां
मां को मुखाग्नि देती बेटियां

समाज में धीरे-धीरे ही सही लेकिन बेटे और बेटियों में फर्क मिट रहा है. राजसमंद के शंकरपुरा में अस्वस्थ चल रही निर्मला कुंवर का गुरुवार को निधन हो गया. उनकी मौत हो जाने से तीनों बेटियों मनीषा, कृष्णा और सेजल के सिर से मां का साया उठ गया. तीनों बहनों के सिर पर से पिता का साया पहले ही उठ गया था.

वहीं उनका कोई भाई भी नहीं है. जिसके बाद तीनों बहनों ने मां की अर्थी को कंधा दिया. यही नहीं इसके बाद सभी धार्मिक रीति-रिवाज भी पूरे करते हुए मुखाग्नि भी दी.

पढ़ें :- पुत्र की जगह पोतियों ने दिया दादा की अर्थी को कंधा, मुखाग्नि के बाद मुंडन भी कराया

इस दौरान परिवार के अन्य सदस्य भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए. मां की अर्थी को कंधा देने के दौरान बेटियों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. इस पर परिवार के लोगों ने तीनों को संभाला.

जयपुर : राजस्थान के राजसमंद जिले में गुरुवार को मां के देहावसान पर तीन बेटियों ने अपनी मां को ना सिर्फ कंधा दिया बल्कि मुखाग्नि भी दी. तीनों बेटियों ने सामाजिक रुढ़िवादी नियम तोड़कर मिसाल पेश की है.

मां को मुखाग्नि देती बेटियां
मां को मुखाग्नि देती बेटियां

समाज में धीरे-धीरे ही सही लेकिन बेटे और बेटियों में फर्क मिट रहा है. राजसमंद के शंकरपुरा में अस्वस्थ चल रही निर्मला कुंवर का गुरुवार को निधन हो गया. उनकी मौत हो जाने से तीनों बेटियों मनीषा, कृष्णा और सेजल के सिर से मां का साया उठ गया. तीनों बहनों के सिर पर से पिता का साया पहले ही उठ गया था.

वहीं उनका कोई भाई भी नहीं है. जिसके बाद तीनों बहनों ने मां की अर्थी को कंधा दिया. यही नहीं इसके बाद सभी धार्मिक रीति-रिवाज भी पूरे करते हुए मुखाग्नि भी दी.

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इस दौरान परिवार के अन्य सदस्य भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए. मां की अर्थी को कंधा देने के दौरान बेटियों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. इस पर परिवार के लोगों ने तीनों को संभाला.

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