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ये कैसी बेबसी: मां के शव को लोडिंग टैंपो में लेकर श्मशान पहुंची बेटियां

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Published : May 5, 2021, 1:08 PM IST

राजस्थान के जोधपुर में एक महिला की मौत के बाद उसके शव को श्मशान तक पहुंचाने के लिए उसकी बेटियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. बेटियां मां के शव श्मशान ले जाना चाहती थी, लेकिन ऐसे समय में भी न अस्पताल का दिल पसीजा ना कोई और मदद मिली. मां के शव को श्मशान तक ले जाने के लिए बेटियां वाहन चालकों से मिन्नतें करती रहीं.

बेबसी
बेबसी

जोधपुर : राजस्थान के जोधपुर में लगातार हो रही कोरोना संक्रमित मरीजों की मौतों ने लोगों में डर पैदा कर दिया है. अब आलम यह है कि सामान्य शव को ले जाने के लिए कोई गाड़ी तैयार नहीं होती है. हालांकि, शहर के सरकारी अस्पतालों में कोरोना शव को श्मशान तक पहुंचाने के लिए नगर निगम ने वाहन उपलब्ध करवा रखे हैं, लेकिन मंगलवार को सैनिक अस्पताल पहुंचने से पहले एक महिला की मौत होने के बाद उसके शव को श्मशान तक पहुंचाने के लिए उसकी बेटियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी.

पढ़ें- राहत की खबरः महाराष्ट्र के 15 जिलों में घटने लगे कोविड के मामले

बताया जा रहा है कि मृतका की बेटियां काफी समय तक सैनिक अस्पताल के बाहर एंबुलेंस और अन्य वाहन चालकों से मिन्नतें करती रही, लेकिन कोई भी कोरोना का शव लेकर जाने को तैयार नहीं हुआ, जबकि संतोष लता की कोरोना जांच तक नही हुई थी. जिसके बाद एक लोडिंग टैंपो चालक ने हिम्मत दिखाई और वह उनकी मां का शव लेकर हिंदू सेवा मंडल के श्मशान घाट पहुंचा, जहां परिचितों के सहयोग से तीनों बेटियों ने अपनी मां का अंतिम संस्कार किया.

दरअसल, उत्तर प्रदेश के अकबपुर जिले के रहने वाले राजीवकुमार चतुर्वेदी सेना से रिटायर्ड सूबेदार की पत्नी संतोष लता कि सोमवार रात अचानक तबीयत खराब हो गई थी. पूरी रात तीनों बेटियों ने मां की सेवा की. सुबह जल्दी से उन्हें लेकर सैनिक अस्पताल की ओर निकली, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही संतोष लता ने दम तोड़ दिया. अस्पताल पहुंचने पर सैनिक अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को इसकी सूचना दी.

पढ़ें- REALITY CHECK: मरीज से बोले CMO- पहले सीएम कर लें उद्घाटन फिर करेंगे भर्ती

शाम करीब चार बजे संतोष लता का शव बेटियों को सुपुर्द कर दिया गया, लेकिन श्मशान तक ले जाने के लिए उन्हें कोई साधन नहीं मिला. इस बीच बेटियां सैनिक अस्पताल के बाहर लोगों से गुहार लगाती रहीं. इस दौरान उनके परिचित थानाराम ने टैंपो चालक कानाराम को रोका और उससे मदद की गुहार लगाई, परिवार की परेशानी देख टैंपो चालक तैयार हो गया, लेकिन श्मशान पहुंचने से पहले ही रास्ते में टैंपो का डीजल खत्म हो गया. इस बीच बड़ी मुश्किल से किसी तरह शव को श्मशान घाट ले जाया गया.

संतोष लता की बड़ी बेटी दीपिका तो दाह संस्कार के पहले तक टैंपो में शव के साथ बैठी अकेली रोती रही, लेकिन छोटी बेटी सुप्रिया ने हौंसला रखा. उसने पहले पीपीई किट पहना, फिर दीपिका ने दाह संस्कार की रस्म अदा की. दाह संस्कार के अंतिम दर्शन यूपी में बैठे पिता और परिजनों को भी मोबाइल पर लाइव करवाए. अंतिम संस्कार से पहले कोरोना संक्रमण के खौफ के बीच दोनों बेटियों के साथ कुछ लोगों ने वृद्धा को कुछ देर कंधा दिया. सेवा मंडल के राजेंद्र सिंह की मदद से दाह संस्कार करवाया गया. वहीं, तीसरी बेटी सलोनी घर पर ही रही.

जोधपुर : राजस्थान के जोधपुर में लगातार हो रही कोरोना संक्रमित मरीजों की मौतों ने लोगों में डर पैदा कर दिया है. अब आलम यह है कि सामान्य शव को ले जाने के लिए कोई गाड़ी तैयार नहीं होती है. हालांकि, शहर के सरकारी अस्पतालों में कोरोना शव को श्मशान तक पहुंचाने के लिए नगर निगम ने वाहन उपलब्ध करवा रखे हैं, लेकिन मंगलवार को सैनिक अस्पताल पहुंचने से पहले एक महिला की मौत होने के बाद उसके शव को श्मशान तक पहुंचाने के लिए उसकी बेटियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी.

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बताया जा रहा है कि मृतका की बेटियां काफी समय तक सैनिक अस्पताल के बाहर एंबुलेंस और अन्य वाहन चालकों से मिन्नतें करती रही, लेकिन कोई भी कोरोना का शव लेकर जाने को तैयार नहीं हुआ, जबकि संतोष लता की कोरोना जांच तक नही हुई थी. जिसके बाद एक लोडिंग टैंपो चालक ने हिम्मत दिखाई और वह उनकी मां का शव लेकर हिंदू सेवा मंडल के श्मशान घाट पहुंचा, जहां परिचितों के सहयोग से तीनों बेटियों ने अपनी मां का अंतिम संस्कार किया.

दरअसल, उत्तर प्रदेश के अकबपुर जिले के रहने वाले राजीवकुमार चतुर्वेदी सेना से रिटायर्ड सूबेदार की पत्नी संतोष लता कि सोमवार रात अचानक तबीयत खराब हो गई थी. पूरी रात तीनों बेटियों ने मां की सेवा की. सुबह जल्दी से उन्हें लेकर सैनिक अस्पताल की ओर निकली, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही संतोष लता ने दम तोड़ दिया. अस्पताल पहुंचने पर सैनिक अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को इसकी सूचना दी.

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शाम करीब चार बजे संतोष लता का शव बेटियों को सुपुर्द कर दिया गया, लेकिन श्मशान तक ले जाने के लिए उन्हें कोई साधन नहीं मिला. इस बीच बेटियां सैनिक अस्पताल के बाहर लोगों से गुहार लगाती रहीं. इस दौरान उनके परिचित थानाराम ने टैंपो चालक कानाराम को रोका और उससे मदद की गुहार लगाई, परिवार की परेशानी देख टैंपो चालक तैयार हो गया, लेकिन श्मशान पहुंचने से पहले ही रास्ते में टैंपो का डीजल खत्म हो गया. इस बीच बड़ी मुश्किल से किसी तरह शव को श्मशान घाट ले जाया गया.

संतोष लता की बड़ी बेटी दीपिका तो दाह संस्कार के पहले तक टैंपो में शव के साथ बैठी अकेली रोती रही, लेकिन छोटी बेटी सुप्रिया ने हौंसला रखा. उसने पहले पीपीई किट पहना, फिर दीपिका ने दाह संस्कार की रस्म अदा की. दाह संस्कार के अंतिम दर्शन यूपी में बैठे पिता और परिजनों को भी मोबाइल पर लाइव करवाए. अंतिम संस्कार से पहले कोरोना संक्रमण के खौफ के बीच दोनों बेटियों के साथ कुछ लोगों ने वृद्धा को कुछ देर कंधा दिया. सेवा मंडल के राजेंद्र सिंह की मदद से दाह संस्कार करवाया गया. वहीं, तीसरी बेटी सलोनी घर पर ही रही.

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