दावणगेरे: कर्नाटक में बेटी की याद में मां ने सिलिकॉन की प्रतिमा बनवाई है जो हूबहू इंसानी त्वचा से बनी लगती है. दरअसल सेवानिवृत्त शिक्षिका जीएन कमलम्मा की बेटी काव्या को कैंसर था. करीब चार साल तक कैंसर से संघर्ष करने के बाद काब्या का निधन हो गया था. अब मां ने बेटी की प्रतिमा बनवाई है और वह उसका बेटी की तरह ही ख्याल रखती हैं.
दावणगेरे के सरस्वती बरंगे की रहने वाली सेवानिवृत्त शिक्षिका जीएन कमलम्मा की बेटी काव्या को अचानक कैंसर की बीमारी का पता चला. बीई की डिग्री हासिल करने वाली काव्या की शादी अप्रैल 2019 में होने वाली थी. शादी से पहले ही काव्या की कैंसर से मौत हो गई.
बेटी की इच्छा पूरी की : 2019 में बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया. लगातार चार वर्षों तक कैंसर से लड़ने वाली काव्या का 10 दिसंबर, 2022 को निधन हो गया. उससे पहले काव्या ने अपनी मां को कुछ इच्छाएं बताईं. उसने मां से कहा कि 'जहां मुझे दफनाया जाए वहां एक बगीचा बनवाओ.' उसने किसी विदेशी महिला की प्रतिमा का वीडियो देखकर वैसी ही मूर्ति बनवाने की इच्छा जताई थी. साथ ही कहा था कि उसका शव दान कर दिया जाए, लेकिन डॉक्टरों ने यह कहकर मना कर दिया कि महामारी के कारण शरीर दान नहीं किया जा सकता. इसके बाद मां कमलम्मा ने डेढ़ लाख रुपये देकर दावणगेरे तालुक के गोपनालु गांव में 04 एकड़ जमीन खरीदी और अपनी बेटी का अंतिम संस्कार किया. काव्या की इच्छा के अनुसार वहां बगीचा बनवाया गया, एक मकबरा भी बनाया गया.
इलाज पर खर्च किए थे 40 लाख रुपये: कैंसर से पीड़ित अपनी इकलौती बेटी काव्या को बचाने के लिए कमलम्मा ने चार साल में कुल 40 लाख रुपये खर्च किए. काव्या के पिता को मौत बहुत पहले हो गई थी, मां ने ही उसे पाला था. बेटी की इच्छा के मुताबिक मां कमलम्मा ने अपनी बेटी काव्या की मूर्ति बनवाने के लिए सोशल मीडिया पर कलाकार की तलाश की.
विश्वनाथ नाम के कलाकार ने मां की भावनाओं के अनुरूप 3.30 लाख की लागत से उसका खूबसूरत 'सिलिकॉन' मॉडल बनाया है. दर्दभरी कहानी सुनकर आर्टिस्ट विश्वनाथ ने 5 लाख की मूर्ति सिर्फ 3.30 लाख में बना दी. मां कमलम्मा इस सिलिकॉन मॉडल की मूर्ति को घर में रखकर अपना गुजारा करती हैं. बेटी के दर्द की कहानी सुनकर आर्टिस्ट विश्वनाथ ने 5 लाख की मूर्ति सिर्फ 3.30 लाख में बना दी.
कमलम्मा ने बेटी के नाम पर एक पुस्तक का विमोचन किया है. काव्या के नाम से कविताओं का एक संग्रह जारी हुआ है. काव्य पाठ, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं और कन्नड़ साहित्य सम्मेलनों में भाग लेकर काव्या ने अपना नाम कमाया था.