ETV Bharat / bharat

Voter Data Theft : कर्नाटक में एक कंपनी बेच रही थी वोटर डेटा, FIR दर्ज, जांच में जुटा चुनाव आयोग

मतदाताओं की व्यक्तिगत जानकारी अवैध रूप से एकत्र करने के चिलूम संगठन मामले के बाद शहर में एक और मामला सामने आया है. पुलिस ने गुरुवार को कहा कि बेंगलुरू में चुनाव उम्मीदवारों को इसी तरह से जानकारी बेचने वाली एक कंपनी सामने आई है. फिलहाल पुलिस की ओर से गोपनीयता बनाए रखने के लिए कंपनी का नाम उजागर नहीं किया गया है.

Voter Data Theft
प्रतिकात्मक तस्वीर
author img

By

Published : Apr 28, 2023, 9:20 AM IST

बेंगलुरु : बेंगलुरु स्थित एक निजी फर्म को कर्नाटक में राजनीतिक उम्मीदवारों को मतदाताओं से संबंधित डेटा बेचते हुए पाया गया है. पुलिस ने यह खुलासा गुरुवार को किया. पुलिस ने दावा किया कि कंपनी राज्य में पंजीकृत मतदाताओं के नाम, पते और फोन नंबर सहित मतदाताओं से जुड़ी अन्य जानकारियां बेच रही है. पुलिस के मुताबिक कंपनी के पास लाखों मतदाताओं से जुड़े डेटा है. जिसे वह पैसों के बदले राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को दे रही है.

पुलिस का दावा है कि मतदाताओं से जुड़ी यह जानकारी कंपनी से विभिन्न सरकारी एजेंसियों और निजी संस्थाओं से प्राप्त किया है. इसे बिना मतदाताओं की सहमति के बेचा जा रहा था. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंपनी कथित तौर पर संभावित ग्राहकों को लॉगिन एक्सेस प्रदान करती है, जो साइट में प्रवेश करने पर और अपनी पसंद की जानकारी और सेवाएं 25,000 रुपये में खरीद सकते हैं. भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के अधिकारी कंपनी के मालिकों का पता लगा रहे हैं.

पढ़ें : Karnataka Assembly Election: कांग्रेस ने की पांचवी चुनावी गारंटी की घोषणा, सार्वजनिक परिवहन बसों में महिलाओं को मुफ्त सफर

साथ ही इस बात की भी जांच की जा रही है कि क्या किसी राजनीतिक दल या निजी व्यक्ति ने इन जानकारियों का इस्तेमाल कर के मतदाताओं को पैसे भी भेजे हैं ? जिससे उन्हें मतदान के लिए प्रभावित किया जा सके. बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि देश या या कर्नाटक में ऐसा मामला सामने आया है. हाल के वर्षों में, कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को अक्सर मतदाताओं की जानकारी उनकी सहमति के बिना बेचने के मामले सामने आते रहे हैं. इन घटनाओं ने देश में निजता और डेटा सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है.

इससे पहले भी एक मामले में चुनाव आयोग ने बेंगलुरु डिवीजन के एक क्षेत्रीय आयुक्त, आईएएस अधिकारी अमलान आदित्य बिस्वास को जांच का जिम्मा सौंपा था. उनकी जांच में पता चला कि ब्रुहट बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के लिए काम करने वाले कई अधिकारी इस मामले में संलिप्त थे. इन्होंने एक निजी ट्रस्ट बना कर ऐसा किया था. ट्रस्ट का नाम चिलूम रखा गया था. ताजा घटना तब सामने आई जब एक निर्दलीय उम्मीदवार राजू से एक डेटा विक्रेता ने फोन संपर्क किया.

पढ़ें : Karnataka Elections : पूर्व सीएम सिद्धारमैया का निर्वाचन क्षेत्र वरुणा चर्चा में, पहली बार ससुर के लिए वोट मांग रहीं स्मिता

राजू ने इस कॉल की जानकारी चुनाव आयोग के अधिकारियों को दी. चुनाव आयोग के अधिकारी श्रीनिवास ने मामले की जानकारी पुलिस को दी और 24 अप्रैल को एक औपचारिक शिकायत दर्ज की गई. बाद में राजू की मदद से पुलिस ने निजी फर्म द्वारा दी गई जानकारी का एक्सेस लिया. निजी कंपनी के द्वारा दी गई जानकारी में करीब 6.50 लाख मतदाताओं का डेटा था. जिसमें करीब 3,45,089 पुरुष, 2,93,000 महिलाएं और 5,630 अन्य शामिल थे.

चुनाव आयोग के सूत्रों ने मीडिया को बताया कि कंपनी द्वारा प्रदान किए गए डेटा का प्रारूप ERONET पर संग्रहीत डेटा जैसा दिखता है. ERONET एक सरकारी पोर्टल जिसे विशेष रूप से केवल चुनाव अधिकारियों द्वारा ही एक्सेस किया जा सकता है. इसमें मतदाता का विवरण जैसे उनका फोन नंबर, पता और परिवार की जानकारी शामिल है. ईसीआई के सूत्रों ने मीडिया को बताया कि उन्हें संदेह है कि मतदाता डेटा का उल्लंघन किसी अंदरूनी व्यक्ति या हैकिंग की मदद से किया गया होगा.

पढ़ें : Karnataka Election : राहुल गांधी ने मछुआरों को 10 लाख का बीमा कवर, डीजल पर 25 रुपये सब्सिडी का किया वादा

मीडिया में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक उक्त कंपनी को अप्रैल 2023 में दिल्ली में ही पंजीकृत किया गया था. समाचार रिपोर्ट के अनुसार, पोर्टल में प्रवेश करने पर स्कैन और भुगतान करने के लिए बारकोड के साथ एक पॉप-अप संदेश आता है. इस पॉप अप संदेश में कहा गया है कि केवल 25,000 रुपये + 500 (लेनदेन शुल्क) की दर से सभी मतदाताओं के मोबाइल नंबरों के साथ अपने विधानसभा डेटा प्राप्त करके चुनाव 2023 को जीतें.

अपनी विधानसभा में सभी मतदाताओं को व्हाट्सएप, वॉयस कॉल और एसएमएस के माध्यम से अपना चुनाव घोषणापत्र भेजें. पॉप संदेश में कहा गया है कि उपरोक्त राशि सिक्योरिटी के रूप में जमा रहेगी. चुनाव हारने वाले उम्मीदवार बाद में अपनी राशि वापस लेने के लिए क्लेम कर सकते हैं. मतदाता डेटा की बिक्री भारतीय कानून के तहत अवैध है. चुनाव आयोग ने इसे रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश पहले ही जारी किये हैं. हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि इन दिशानिर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है.

पढ़ें : Karnataka election 2023 : प्रियंका गांधी ने मैसुरु के रेस्तरां में बनाया डोसा, देखें वीडियो

बेंगलुरु : बेंगलुरु स्थित एक निजी फर्म को कर्नाटक में राजनीतिक उम्मीदवारों को मतदाताओं से संबंधित डेटा बेचते हुए पाया गया है. पुलिस ने यह खुलासा गुरुवार को किया. पुलिस ने दावा किया कि कंपनी राज्य में पंजीकृत मतदाताओं के नाम, पते और फोन नंबर सहित मतदाताओं से जुड़ी अन्य जानकारियां बेच रही है. पुलिस के मुताबिक कंपनी के पास लाखों मतदाताओं से जुड़े डेटा है. जिसे वह पैसों के बदले राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को दे रही है.

पुलिस का दावा है कि मतदाताओं से जुड़ी यह जानकारी कंपनी से विभिन्न सरकारी एजेंसियों और निजी संस्थाओं से प्राप्त किया है. इसे बिना मतदाताओं की सहमति के बेचा जा रहा था. एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंपनी कथित तौर पर संभावित ग्राहकों को लॉगिन एक्सेस प्रदान करती है, जो साइट में प्रवेश करने पर और अपनी पसंद की जानकारी और सेवाएं 25,000 रुपये में खरीद सकते हैं. भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के अधिकारी कंपनी के मालिकों का पता लगा रहे हैं.

पढ़ें : Karnataka Assembly Election: कांग्रेस ने की पांचवी चुनावी गारंटी की घोषणा, सार्वजनिक परिवहन बसों में महिलाओं को मुफ्त सफर

साथ ही इस बात की भी जांच की जा रही है कि क्या किसी राजनीतिक दल या निजी व्यक्ति ने इन जानकारियों का इस्तेमाल कर के मतदाताओं को पैसे भी भेजे हैं ? जिससे उन्हें मतदान के लिए प्रभावित किया जा सके. बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि देश या या कर्नाटक में ऐसा मामला सामने आया है. हाल के वर्षों में, कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को अक्सर मतदाताओं की जानकारी उनकी सहमति के बिना बेचने के मामले सामने आते रहे हैं. इन घटनाओं ने देश में निजता और डेटा सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है.

इससे पहले भी एक मामले में चुनाव आयोग ने बेंगलुरु डिवीजन के एक क्षेत्रीय आयुक्त, आईएएस अधिकारी अमलान आदित्य बिस्वास को जांच का जिम्मा सौंपा था. उनकी जांच में पता चला कि ब्रुहट बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के लिए काम करने वाले कई अधिकारी इस मामले में संलिप्त थे. इन्होंने एक निजी ट्रस्ट बना कर ऐसा किया था. ट्रस्ट का नाम चिलूम रखा गया था. ताजा घटना तब सामने आई जब एक निर्दलीय उम्मीदवार राजू से एक डेटा विक्रेता ने फोन संपर्क किया.

पढ़ें : Karnataka Elections : पूर्व सीएम सिद्धारमैया का निर्वाचन क्षेत्र वरुणा चर्चा में, पहली बार ससुर के लिए वोट मांग रहीं स्मिता

राजू ने इस कॉल की जानकारी चुनाव आयोग के अधिकारियों को दी. चुनाव आयोग के अधिकारी श्रीनिवास ने मामले की जानकारी पुलिस को दी और 24 अप्रैल को एक औपचारिक शिकायत दर्ज की गई. बाद में राजू की मदद से पुलिस ने निजी फर्म द्वारा दी गई जानकारी का एक्सेस लिया. निजी कंपनी के द्वारा दी गई जानकारी में करीब 6.50 लाख मतदाताओं का डेटा था. जिसमें करीब 3,45,089 पुरुष, 2,93,000 महिलाएं और 5,630 अन्य शामिल थे.

चुनाव आयोग के सूत्रों ने मीडिया को बताया कि कंपनी द्वारा प्रदान किए गए डेटा का प्रारूप ERONET पर संग्रहीत डेटा जैसा दिखता है. ERONET एक सरकारी पोर्टल जिसे विशेष रूप से केवल चुनाव अधिकारियों द्वारा ही एक्सेस किया जा सकता है. इसमें मतदाता का विवरण जैसे उनका फोन नंबर, पता और परिवार की जानकारी शामिल है. ईसीआई के सूत्रों ने मीडिया को बताया कि उन्हें संदेह है कि मतदाता डेटा का उल्लंघन किसी अंदरूनी व्यक्ति या हैकिंग की मदद से किया गया होगा.

पढ़ें : Karnataka Election : राहुल गांधी ने मछुआरों को 10 लाख का बीमा कवर, डीजल पर 25 रुपये सब्सिडी का किया वादा

मीडिया में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक उक्त कंपनी को अप्रैल 2023 में दिल्ली में ही पंजीकृत किया गया था. समाचार रिपोर्ट के अनुसार, पोर्टल में प्रवेश करने पर स्कैन और भुगतान करने के लिए बारकोड के साथ एक पॉप-अप संदेश आता है. इस पॉप अप संदेश में कहा गया है कि केवल 25,000 रुपये + 500 (लेनदेन शुल्क) की दर से सभी मतदाताओं के मोबाइल नंबरों के साथ अपने विधानसभा डेटा प्राप्त करके चुनाव 2023 को जीतें.

अपनी विधानसभा में सभी मतदाताओं को व्हाट्सएप, वॉयस कॉल और एसएमएस के माध्यम से अपना चुनाव घोषणापत्र भेजें. पॉप संदेश में कहा गया है कि उपरोक्त राशि सिक्योरिटी के रूप में जमा रहेगी. चुनाव हारने वाले उम्मीदवार बाद में अपनी राशि वापस लेने के लिए क्लेम कर सकते हैं. मतदाता डेटा की बिक्री भारतीय कानून के तहत अवैध है. चुनाव आयोग ने इसे रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश पहले ही जारी किये हैं. हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि इन दिशानिर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है.

पढ़ें : Karnataka election 2023 : प्रियंका गांधी ने मैसुरु के रेस्तरां में बनाया डोसा, देखें वीडियो

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.