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यूपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए दलित चेहरे पर दांव लगा सकती है भाजपा, रेस में ये नाम

भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का कार्यकाल पूरा हो चुका है. माना जा रहा है कि इस बार भाजपा किसी दलित चेहरे को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है (bjp president).

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Published : Apr 18, 2022, 4:45 PM IST

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (BJP) 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए इस बार किसी दलित चेहरे को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है. इसे लेकर पार्टी के पुराने निष्ठावान नेताओं के नामों पर चर्चा चल रही है. गौरतलब है कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का कार्यकाल पूरा हो चुका है. जिसकी वजह से भाजपा नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मंथन में लगी हुई है.

भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक प्रदेश में किसी दलित चेहरे को अध्यक्ष पद से नहीं नवाजा है. स्वतंत्र देव सिंह पिछड़ी जाति से आते हैं. इससे पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे केशव प्रसाद मौर्य भी पिछड़े वर्ग से आते हैं. जबकि केशव मौर्य से पहले ब्राह्मण नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे. इस तरह डेढ़ दशक में पार्टी को ब्राह्मण और पिछड़ी जाति के नेता मिल चुके हैं. ऐसे में दलित चेहरे को मौका देकर पार्टी खुद को दलितों का हिमायती बताकर लोकसभा चुनावों में बड़ा लाभ लेना चाहेगी.

विद्यासागर सोनकरः अध्यक्ष पद के लिए जिन प्रमुख नेताओं के नाम चर्चा में हैं, उनमें पूर्व सांसद व एमएलसी विद्यासागर सोनकर प्रमुख हैं. विद्यासागर सोनकर अनुसूचित जाति से आते हैं. इन्होंने आरएसएस और भाजपा से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. भाजपा संगठन में वह प्रदेश महामंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे पदों पर रह चुके हैं. इससे पहले भाजपा ने उन्हें दलितों को जोड़ने की जिम्मेदारी भी दी थी और अनुसूचित जाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. योगी सरकार में उन्हें मंत्री बनाने की चर्चा भी खूब होती रही, हालांकि उन्हें मंत्रिपद से नवाजा नहीं गया. दलित चेहरे को अध्यक्ष बनाकर भाजपा मायावती के वोट बैंक में लगी सेंध को बरकरार रख सकती है.

लक्ष्मण आचार्यः भाजपा के दूसरे दलित चेहरे, जिनके नाम की भी चर्चा है, उनमें प्रमुख हैं लक्ष्मण आचार्य. वह अनुसूचित जाति से हैं और भाजपा के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं. वह वर्तमान में एमएलसी हैं और इससे पहले भाजपा संगठन में उन्हें काशी क्षेत्र के अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी. वह पार्टी के वफादार नेताओं में गिने जाते हैं. पार्टी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देकर दलित समाज में संदेश देने की कोशिश कर सकती है.

प्रो. राम शंकर कठेरिया : इसके साथ ही भाजपा के दलित चेहरे इटावा से सांसद प्रो. राम शंकर कठेरिया का नाम भी चर्चा में है. इसी तरह मोहनलालगंज से सांसद व मोदी सरकार में राज्यमंत्री मंत्री कौशल किशोर को भी इस पद से नवाजा जा सकता है. वहीं, जालौन से सांसद और मोदी सरकार में राज्यमंत्री भानु प्रताप वर्मा जैसे दलित चेहरे भी नए अध्यक्ष की दौड़ में बताए जा रहे हैं. पार्टी के मंथन में इन नामों पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है.

2024 लोकसभा चुनाव की तैयारीः भाजपा हमेशा यह कहती रही है कि कि वह चुनाव आने पर ही तैयारी नहीं करती, बल्कि उनकी चुनावी तैयारी हमेशा चलती रहती है. जिस तरह पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मंथन चल रहा है, उससे यह साफ दिखाई भी दे रहा है. पार्टी लोकसभा चुनावों में पहले से बड़ी जीत देखना चाहती है और इसके लिए जो भी जरूरी कदम उठाने होंगे वह भाजपा जरूर उठाएगी. यह साफ है कि नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जिसे भी चुना जाएगा, उसे 2024 के लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा इम्तिहान देना होगा.

पढ़ें- वोट बैंक, विभाजनकारी राजनीति का सहारा ले रहे हैं हताश विपक्षी दल: नड्डा

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (BJP) 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए इस बार किसी दलित चेहरे को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है. इसे लेकर पार्टी के पुराने निष्ठावान नेताओं के नामों पर चर्चा चल रही है. गौरतलब है कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का कार्यकाल पूरा हो चुका है. जिसकी वजह से भाजपा नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मंथन में लगी हुई है.

भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक प्रदेश में किसी दलित चेहरे को अध्यक्ष पद से नहीं नवाजा है. स्वतंत्र देव सिंह पिछड़ी जाति से आते हैं. इससे पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे केशव प्रसाद मौर्य भी पिछड़े वर्ग से आते हैं. जबकि केशव मौर्य से पहले ब्राह्मण नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे. इस तरह डेढ़ दशक में पार्टी को ब्राह्मण और पिछड़ी जाति के नेता मिल चुके हैं. ऐसे में दलित चेहरे को मौका देकर पार्टी खुद को दलितों का हिमायती बताकर लोकसभा चुनावों में बड़ा लाभ लेना चाहेगी.

विद्यासागर सोनकरः अध्यक्ष पद के लिए जिन प्रमुख नेताओं के नाम चर्चा में हैं, उनमें पूर्व सांसद व एमएलसी विद्यासागर सोनकर प्रमुख हैं. विद्यासागर सोनकर अनुसूचित जाति से आते हैं. इन्होंने आरएसएस और भाजपा से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. भाजपा संगठन में वह प्रदेश महामंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे पदों पर रह चुके हैं. इससे पहले भाजपा ने उन्हें दलितों को जोड़ने की जिम्मेदारी भी दी थी और अनुसूचित जाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. योगी सरकार में उन्हें मंत्री बनाने की चर्चा भी खूब होती रही, हालांकि उन्हें मंत्रिपद से नवाजा नहीं गया. दलित चेहरे को अध्यक्ष बनाकर भाजपा मायावती के वोट बैंक में लगी सेंध को बरकरार रख सकती है.

लक्ष्मण आचार्यः भाजपा के दूसरे दलित चेहरे, जिनके नाम की भी चर्चा है, उनमें प्रमुख हैं लक्ष्मण आचार्य. वह अनुसूचित जाति से हैं और भाजपा के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं. वह वर्तमान में एमएलसी हैं और इससे पहले भाजपा संगठन में उन्हें काशी क्षेत्र के अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी. वह पार्टी के वफादार नेताओं में गिने जाते हैं. पार्टी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देकर दलित समाज में संदेश देने की कोशिश कर सकती है.

प्रो. राम शंकर कठेरिया : इसके साथ ही भाजपा के दलित चेहरे इटावा से सांसद प्रो. राम शंकर कठेरिया का नाम भी चर्चा में है. इसी तरह मोहनलालगंज से सांसद व मोदी सरकार में राज्यमंत्री मंत्री कौशल किशोर को भी इस पद से नवाजा जा सकता है. वहीं, जालौन से सांसद और मोदी सरकार में राज्यमंत्री भानु प्रताप वर्मा जैसे दलित चेहरे भी नए अध्यक्ष की दौड़ में बताए जा रहे हैं. पार्टी के मंथन में इन नामों पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है.

2024 लोकसभा चुनाव की तैयारीः भाजपा हमेशा यह कहती रही है कि कि वह चुनाव आने पर ही तैयारी नहीं करती, बल्कि उनकी चुनावी तैयारी हमेशा चलती रहती है. जिस तरह पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मंथन चल रहा है, उससे यह साफ दिखाई भी दे रहा है. पार्टी लोकसभा चुनावों में पहले से बड़ी जीत देखना चाहती है और इसके लिए जो भी जरूरी कदम उठाने होंगे वह भाजपा जरूर उठाएगी. यह साफ है कि नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जिसे भी चुना जाएगा, उसे 2024 के लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा इम्तिहान देना होगा.

पढ़ें- वोट बैंक, विभाजनकारी राजनीति का सहारा ले रहे हैं हताश विपक्षी दल: नड्डा

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