पुणे : आम नागरिकों की तरह देश की सीमाओं पर लड़ रहे सैनिक भी गणेश जी की पूजा करते हैं. इसी वजह से इस वर्ष भारतीय सेना की पहली और छठी मराठा बटालियन के सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश और पंजाब के पठानकोट में श्री दगदूशेठ की एक प्रतीकात्मक मूर्ति स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की. उनकी इस इच्छा पर ट्रस्ट गणेश की 2 फुट की प्रतिष्ठित मूर्ति प्रदान करने के लिए सहमत हो गया. इसके चलते मूर्ति को हाल ही में अरुणाचल प्रदेश और पठानकोट भेजा गया था.
2 फीट की गणेश मूर्ति भेजी गई
ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सुनील रसने ने सैनिकों को मूर्ति सौंपी. अमीर दगडूशेठ हलवाई गणपति की कीर्ति महाराष्ट्र में ही नहीं, हर जगह फैली हुई है. बप्पा के दर्शन करने के लिए देश भर से भक्त पुणे आते हैं. हालांकि, चूंकि भारतीय सैनिक दिन-रात सीमा पर गश्त करते हैं, इसलिए वे पुणे नहीं आ सकते. इसलिए पहली मराठा बटालियन के कर्नल जयकुमार मुदलियार और छठी मराठा बटालियन के विनोद पाटिल ने सीमा पर सेना की चौकी में दगदूशेठ गणपति की मूर्ति स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की. उनका मत था कि मूर्ति धनी दगदूशेठ गणपति की मूर्ति के समान होनी चाहिए. ट्रस्ट के चेयरमैन अशोक गोडसे को इस संबंध में एक पत्र भेजा गया है.
सैनिकों को मिलती है एक अलग ऊर्जा
कर्नल जयकुमार मुदलियार ने पत्र में कहा कि हमारी बटालियन पुणे से अरुणाचल प्रदेश के टेंगा घाटी में चीनी सीमा क्षेत्र में जा रही थी. मराठा बटालियन हर साल बड़े उत्साह के साथ गणेशोत्सव मनाती है. इसलिए, हम वहां अमीर दगडूशेठ हलवाई गणपति की प्रतीकात्मक गणेश प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं. कर्नल विनोद पाटिल ने पत्र में कहा कि 2011 से 6 मराठा बटालियन और दगदूशेठ गणपति ट्रस्ट के बीच घनिष्ठ संबंध हैं.
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पठानकोट सीमा पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने से मराठा बटालियन के जवानों को एक अलग ऊर्जा मिलेगी. साथ ही देश के सभी राज्यों के सैनिक इस जगह पर काम कर रहे हैं. इसलिए सभी सैनिकों को बप्पा का आशीर्वाद प्राप्त होगा.