हैदराबाद: पीएचडी, आईआईटी और मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले साइबर ठग लाखों रुपये वसूल रहे हैं. इतना ही नहीं इनके द्वारा दिए गए विज्ञापन फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर भरे हुए हैं. इसमें इनके द्वारा बकायदा कहा जाता है कि यदि आप 10 लाख रुपये का भुगतान करते हैं तो आपको देश में अपनी पसंद के मुताबिक किसी भी में प्रवेश दिया जाएगा. इतना ही नहीं यदि आपके द्वारा 5 लाख रुपये दिए जाते हैं तो आपको एक प्रमाण पत्र दिया जाएगा जिसमें बताया जाएगा कि आपने ने योग्यता प्राप्त कर ली है.
साइबर ठगों का यह गिरोह पश्चिम बंगाल, राजस्थान, झारखंड, बिहार और अन्य राज्य पूरे देश में सक्रिय है. बता दें कि हैदराबाद की 3 कमिश्नरियों में हर साल ऐसे सैकड़ों मामले सामने आते हैंं. इस गिरोह के निशाने पर वह छात्र होतें हैं जो विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने और चिकित्सा शिक्षा में शामिल होने का सपना देखते हैं. इसके अलावा वो छात्र जो नीट और टीओईएफएल में अच्छे अंकों के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं पाते हैं, वे भी इसके जरिये प्रवेश पाने की कोशिश करते हैं.
सोशल मीडिया होता है संपर्क का माध्यम : इस तरह के लोगों को आरोपियों के द्वारा निशाना बनाया जाता है. इनके द्वारा संबंधित व्यक्ति सोशल मीडिया के जरिए फोन नंबर और अन्य विवरण एकत्र कर लिया जाता है. इसके बाद यदि कोई व्यक्ति कॉल करता है और यह मान जाता है कि यूजीसी और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में जाने माने लोग हैं तो वे पिछले दरवाजे से प्रवेश पाने के लिए कुछ पैसे देने के लिए कहेंगे. इसके बाद उनसे पैसे लेने के बाद फोन बंद कर दिया जाता है. वहीं कुछ लोग विश्वविद्यालय जाने पर यह जानकार चौंक जाते हैं कि जो प्रमाण पत्र दिया गया है वो फर्जी है.
इतना ही नहीं इससे जुड़े गैंग के द्वारा पीड़ितों को समझाने के लिए मुंबई, कोलकाता और दिल्ली में कॉरपोरेट ऑफिस बनाया जा रहा है. वहीं इस संबंध में पुलिस ने कहा कि एक छात्र के पिता ने हाल ही में एमबीबीएस प्रवेश के लिए एक ऑनलाइन विज्ञापन देखा था, इस पर उसने संपर्क किया. उसे कोलकाता बुलाया गया था जहा पर उसने गिरोह के कामों को सच मान लिया और कई लाख का भुगतान कर दिया.
रुपये देने के बाद मिले सर्टिफिकेट से फर्जी होने का पता चला : हयातनगर के एक युवक ने कनाडा जाने के लिए आईईएलटीएस लिखा लेकिन क्वालिफाई नहीं किया. इस पर उसने फेसबुक पर मैसेज देखकर फोन किया तो उसे बताया गया कि उसे वह इसका सर्टिफिकेट मिल जाएगा. इस पर युवक ठगों की बातों में आकर उन्हें 9 लाख रुपये का भुगतान कर दिया. लेकिन बाद में उसे अहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है. तब उसने साइबर अपराध पुलिस से संपर्क किया. इसी तरह एलबी नगर के छात्र ने लंबी अवधि की ट्रेनिंग ली और नीट की परीक्षा दी लेकिन उसे अच्छी रैंक नहीं मिली. तब उनके पिता ने एक प्रसिद्ध मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए ऑनलाइन खोज की, तो उन्होंने एक विज्ञापन देखा जिसमें कहा गया था कि सीधे प्रवेश मिल सकेगा. इसमें दिए नंबर पर संपर्क करने पर साइबर अपराधी ने कहा कि वह एमसीआई में प्रसिद्ध लोगों को जानता है... एमबीबीएस में प्रवेश एक विशेष कोटे के तहत दिया जाएगा. वहीं आरोपियों ने 11.6 लाख रुपये जमा करने के बाद पीड़ित को गांधी मेडिकल कॉलेज में दाखिले का सर्टिफिकेट भेजा. इसके बाद छात्र के पिता ने गांधी मेडिकल कॉलेज से संपर्क किया तो पता चला कि सब कुछ फर्जी है.
सावधानी बरतने की जरूरत : इससे बचने के लिए कुछ सावधानियों को अपनाने की जरूरत होती है. इसमें सोशल मीडिया में एमबीबीएस, पीएचडी और आईआईटी में प्रवेश दिए जाने के इस तरह के विज्ञापनों पर विश्वास नहीं करना चाहिए. यदि किसी ने विशेष कोटा से एडमिशन की पेशकश की हो तो भी इस पर विश्वास नहीं करना चाहिए. क्योंकि प्रवेश का मामला विश्वविद्यालय के नियंत्रण में है. आधकारिक तौर पर घोषित तारीखों पर काउंसिलिंग आयोजित किए जाने के बाद ही प्रवेश दिया जाता है.
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