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साइबर अपराधों में 11.8% की वृद्धि दर्ज, जानें क्या है वजह - देश में साइबर अपराध के सबसे ज्यादा मामले

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल चार प्रमुख महानगरों में दिल्ली में सबसे कम साइबर अपराध के मामले 166 दर्ज किए गए. साथ ही देश में 2020 में साइबर अपराधों में 11.8% की वृद्धि दर्ज की गई है.

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Published : Sep 18, 2021, 8:34 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल चार प्रमुख महानगरों में, दिल्ली में सबसे कम साइबर अपराध के मामले 166 दर्ज किए गए.

हालांकि, 2019 में यहां ऐसे 107 मामले दर्ज किए गए थे. आंकड़ों के मुताबिक चार प्रमुख महानगर शहरों में से, मुंबई में 2,433 मामले, चेन्नई में 186 और कोलकाता में 172 मामले दर्ज किए गए.

केंद्रीय मंत्रालय के अधीन एनसीआरबी ने 20 लाख से अधिक आबादी वाले 19 शहरों - अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोयंबटूर, दिल्ली, गाजियाबाद, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, कोझीकोड, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना, पुणे और सूरत को महानगरों के रूप में वर्गीकृत किया है.

इनमें से बेंगलुरु में साइबर अपराध के सर्वाधिक 8,892 मामले पिछले साल दर्ज किए गए जबकि कोयंबटूर में महज चार ऐसे मामले दर्ज किए गए.

आंकड़ों में सामने आया कि पिछले साल दिल्ली में दर्ज कुल 166 मामलों में से 12 मामले महिलाओं/बच्चों (आईपीसी की धारा 354डी) का साइबर जगत में पीछा करने/धमकाने से संबंधित थे.

आंकड़ों के मुताबिक मुंबई में साइबर स्टॉकिंग और डराने-धमकाने के 105 मामले दर्ज किए गए, चेन्नई में ऐसे दो मामले दर्ज किए गए और कोलकाता में ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया.

इसके अलावा दिल्ली में ओटीपी फर्जीवाड़ा के दो मामले, धोखाधड़ी (धारा 420) के छह मामले और नौ अन्य मामले दर्ज किए गए.

2020 में साइबर अपराधों में 11.8% की वृद्धि दर्ज की

भारत ने 2020 में साइबर अपराध के 50,035 मामले दर्ज किए, 2019 के विपरीत ऐसे अपराधों में 11.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्यों में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 11,097 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए, उसके बाद कर्नाटक (10,741), महाराष्ट्र (5,496), तेलंगाना (5,024) और असम (3,530) का स्थान रहा.

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, साइबर अपराध (प्रति लाख जनसंख्या पर घटनाएं) की दर भी 2019 में 3.3 प्रतिशत से मामूली रूप से बढ़कर 2020 में 3.7 प्रतिशत हो गई.

एनसीआरबी, जो भारतीय दंड संहिता और देश में विशेष और स्थानीय कानूनों द्वारा परिभाषित अखिल भारतीय स्तर पर अपराध डेटा एकत्र करने और विश्लेषण करने के लिए जिम्मेदार है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबरलॉ के अध्यक्ष अनुज अग्रवाल ने कहा कि लॉकडाउन के कारण लोगाें ने डिजिटल लेनदेन की शुरुआत की और यह एक स्वागत योग्य कदम था, लेकिन चूंकि लाेग इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं थे और न ही उन्हें इसकी पूरी जानकारी थी इसकी वजह से साइबर अपराध के मामलों में वृद्धि देखी गई.

देश की आईटी राजधानी बेंगलुरु साइबर अपराधों के मामले में देश में सबसे ऊपर है. अनुज अग्रवाल ने कहा कि बेंगलुरु और हैदराबाद उन शहरों में से एक हैं, जिन्होंने शुरू से ही साइबर धोखाधड़ी पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया था. जब शहर के लोग अधिक तकनीक-प्रेमी होंगे तो उपयोग डिजिटल लेनदेन की संख्या अधिक हो जाएगी और यह उस विशेष शहर में साइबर धोखाधड़ी में वृद्धि का एक और कारण है.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल चार प्रमुख महानगरों में, दिल्ली में सबसे कम साइबर अपराध के मामले 166 दर्ज किए गए.

हालांकि, 2019 में यहां ऐसे 107 मामले दर्ज किए गए थे. आंकड़ों के मुताबिक चार प्रमुख महानगर शहरों में से, मुंबई में 2,433 मामले, चेन्नई में 186 और कोलकाता में 172 मामले दर्ज किए गए.

केंद्रीय मंत्रालय के अधीन एनसीआरबी ने 20 लाख से अधिक आबादी वाले 19 शहरों - अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोयंबटूर, दिल्ली, गाजियाबाद, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, कोझीकोड, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना, पुणे और सूरत को महानगरों के रूप में वर्गीकृत किया है.

इनमें से बेंगलुरु में साइबर अपराध के सर्वाधिक 8,892 मामले पिछले साल दर्ज किए गए जबकि कोयंबटूर में महज चार ऐसे मामले दर्ज किए गए.

आंकड़ों में सामने आया कि पिछले साल दिल्ली में दर्ज कुल 166 मामलों में से 12 मामले महिलाओं/बच्चों (आईपीसी की धारा 354डी) का साइबर जगत में पीछा करने/धमकाने से संबंधित थे.

आंकड़ों के मुताबिक मुंबई में साइबर स्टॉकिंग और डराने-धमकाने के 105 मामले दर्ज किए गए, चेन्नई में ऐसे दो मामले दर्ज किए गए और कोलकाता में ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया.

इसके अलावा दिल्ली में ओटीपी फर्जीवाड़ा के दो मामले, धोखाधड़ी (धारा 420) के छह मामले और नौ अन्य मामले दर्ज किए गए.

2020 में साइबर अपराधों में 11.8% की वृद्धि दर्ज की

भारत ने 2020 में साइबर अपराध के 50,035 मामले दर्ज किए, 2019 के विपरीत ऐसे अपराधों में 11.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्यों में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 11,097 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए, उसके बाद कर्नाटक (10,741), महाराष्ट्र (5,496), तेलंगाना (5,024) और असम (3,530) का स्थान रहा.

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, साइबर अपराध (प्रति लाख जनसंख्या पर घटनाएं) की दर भी 2019 में 3.3 प्रतिशत से मामूली रूप से बढ़कर 2020 में 3.7 प्रतिशत हो गई.

एनसीआरबी, जो भारतीय दंड संहिता और देश में विशेष और स्थानीय कानूनों द्वारा परिभाषित अखिल भारतीय स्तर पर अपराध डेटा एकत्र करने और विश्लेषण करने के लिए जिम्मेदार है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबरलॉ के अध्यक्ष अनुज अग्रवाल ने कहा कि लॉकडाउन के कारण लोगाें ने डिजिटल लेनदेन की शुरुआत की और यह एक स्वागत योग्य कदम था, लेकिन चूंकि लाेग इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं थे और न ही उन्हें इसकी पूरी जानकारी थी इसकी वजह से साइबर अपराध के मामलों में वृद्धि देखी गई.

देश की आईटी राजधानी बेंगलुरु साइबर अपराधों के मामले में देश में सबसे ऊपर है. अनुज अग्रवाल ने कहा कि बेंगलुरु और हैदराबाद उन शहरों में से एक हैं, जिन्होंने शुरू से ही साइबर धोखाधड़ी पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया था. जब शहर के लोग अधिक तकनीक-प्रेमी होंगे तो उपयोग डिजिटल लेनदेन की संख्या अधिक हो जाएगी और यह उस विशेष शहर में साइबर धोखाधड़ी में वृद्धि का एक और कारण है.

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