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साइबर क्राइम : झारखंड का देवघर बना जामताड़ा पार्ट टू

झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर की पहचान भगवान शिव से है. भोले बाबा का ये नगर अब साइबर अपराधियों का गढ़ बनता जा रहा है. देवघर की तुलना अब जामताड़ा से की जाने लगी है, जो साइबर अपराध के लिए बदनाम है.

Cyber crime
साइबर क्राइम
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Published : Jan 2, 2021, 10:13 AM IST

देवघर : झारखंड के जामताड़ा जिले को दुनियाभर के लोग जानते हैं. यहां से गया एक फोन कॉल पलक झपकते के साथ ही आपको कंगाल बना सकता है. ये जगह इतनी खतरनाक और कुख्यात है कि इस पर एक वेब सीरिज भी बन चुकी है. देश में कहीं भी साइबर अपराध की बड़ी घटना होती है, तो उसका कनेक्शन जामताड़ा से जुड़ जाता है. यहां के साइबर अपराधी बड़े नेताओं, बॉलीवुड के कलाकारों और कई बड़े व्यवसायियों को भी ठग चुके हैं. अब झारखंड का देवघर जिला जामताड़ा पार्ट टू नजर आने लगा है.

वीडियो में देखिए पूरी खबर.

देवघर बना साइबर क्राइम का गढ़
झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर की पहचान भगवान शिव से है. शिव की ये नगरी बाबाधाम के नाम से अपनी अलग पहचान रखती है, लेकिन अब ये जगह साइबर अपराधियों का ठिकाना बन चुकी है. यहां इस साल साइबर अपराध के 87 मामले दर्ज हुए हैं और अब तक कुल 372 साइबर अपराधियों को सलाखों के पीछे धकेला जा चुका है. हैरान करने वाली बात ये है कि पकड़े गए युवक काफी कम पढ़े लिखें हैं फिर भी अच्छे समझदार लोगों को आसानी से ठग लेते हैं. देवघर के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा के अनुसार, इनकी गतिविधियां एक्सपर्ट आईटी प्रोफेशनल्स की तरह हैं. इसकी वजह यह है कि साइबर अपराधी पैसे लेकर या अपनी संख्या बढ़ाने के लिए युवकों को ट्रेनिंग देते हैं. इस ट्रेनिंग के बाद वे एक्सपर्ट बन जाते हैं.

गौर करने की बात ये भी है इनमें से ज्यादातर आरोपी युवा हैं. इनमें से कई तो ठगी के आरोप में पहले भी जेल की हवा खा चुके हैं, लेकिन सलाखों से बाहर निकलते ही इनके कदम फिर से साइबर अपराध के दलदल में फंस जाते हैं. अपराधियों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले युवा भी शामिल हैं और तो और परिवार के कई सदस्य साथ मिलकर ठगी करते हैं. जिले के पुलिस कप्तान की मानें तो महंगे शौक और ईजी मनी की सोच युवाओं को अपराधियों का आसान शिकार बनाती है.

पढ़ें - महाराष्ट्र : नव वर्ष के जश्न के दौरान 19 वर्षीय लड़की की हत्या, दो गिरफ्तार

साइबर अपराधी के लालच में न फंसे
साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं. कभी कस्टमर केयर अधिकारी बनकर तो कभी बैंक अधिकारी बनकर वे आपसे एटीएम बंद होने और केवाइसी अपडेट करने के नाम पर कॉल कर ओटीपी हासिल कर लेते हैं. लॉटरी और प्राइज का झांसा देकर भी साइबर ठगी आपको शिकार बना सकते हैं. जामताड़ा से सटा जिला होने की वजह से देवघर भी अपराधी पनप रहे हैं. इस अपराध से जुड़े लोग खेत, खलिहान, जंगल और नदी-तालाबों में बैठकर लोगों को शिकार बना रहे हैं. पुलिस भी दिन-रात ताबड़तोड़ छापामारी कर ऐसे लोगों को उनके सही ठिकाने यानी जेल भेज रही है.

सतर्कता सबसे बड़ा कवच
बाबाधाम पर मंडरा रहे संकट के इस बादल की खबर यहां के लोगों को भी है. चिंता लाजमी है, लेकिन इस दौर में मोबाइल और कंप्यूटर से दूर रहना मुश्किल है. ऐसे में आपकी सतर्कता ही साइबर अपराध से बचने का सबसे बड़ा कवच है. कंप्यूटर, मोबाइल और नई बैंकिंग सुविधाएं से जिंदगी थोड़ी आसान हो गई है, लेकिन इनका सही इस्तेमाल भी समझना जरूरी है. बच्चे और युवा इन सुविधाओं का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं, इस पर नजर रखना जरूरी है. जरूरी ये भी है कि बढ़ते बच्चों के शौक और उनकी गतिविधियों पर थोड़ी निगरानी रखी जाए और हां, सबसे खास बात ये कि साइबर अपराधियों के किसी प्रलोभन में न फंसें, अपना बैंक डिटेल और ऐसे जरूरी दस्तावेजों की जानकारी किसी से शेयर न करें.

देवघर : झारखंड के जामताड़ा जिले को दुनियाभर के लोग जानते हैं. यहां से गया एक फोन कॉल पलक झपकते के साथ ही आपको कंगाल बना सकता है. ये जगह इतनी खतरनाक और कुख्यात है कि इस पर एक वेब सीरिज भी बन चुकी है. देश में कहीं भी साइबर अपराध की बड़ी घटना होती है, तो उसका कनेक्शन जामताड़ा से जुड़ जाता है. यहां के साइबर अपराधी बड़े नेताओं, बॉलीवुड के कलाकारों और कई बड़े व्यवसायियों को भी ठग चुके हैं. अब झारखंड का देवघर जिला जामताड़ा पार्ट टू नजर आने लगा है.

वीडियो में देखिए पूरी खबर.

देवघर बना साइबर क्राइम का गढ़
झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर की पहचान भगवान शिव से है. शिव की ये नगरी बाबाधाम के नाम से अपनी अलग पहचान रखती है, लेकिन अब ये जगह साइबर अपराधियों का ठिकाना बन चुकी है. यहां इस साल साइबर अपराध के 87 मामले दर्ज हुए हैं और अब तक कुल 372 साइबर अपराधियों को सलाखों के पीछे धकेला जा चुका है. हैरान करने वाली बात ये है कि पकड़े गए युवक काफी कम पढ़े लिखें हैं फिर भी अच्छे समझदार लोगों को आसानी से ठग लेते हैं. देवघर के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा के अनुसार, इनकी गतिविधियां एक्सपर्ट आईटी प्रोफेशनल्स की तरह हैं. इसकी वजह यह है कि साइबर अपराधी पैसे लेकर या अपनी संख्या बढ़ाने के लिए युवकों को ट्रेनिंग देते हैं. इस ट्रेनिंग के बाद वे एक्सपर्ट बन जाते हैं.

गौर करने की बात ये भी है इनमें से ज्यादातर आरोपी युवा हैं. इनमें से कई तो ठगी के आरोप में पहले भी जेल की हवा खा चुके हैं, लेकिन सलाखों से बाहर निकलते ही इनके कदम फिर से साइबर अपराध के दलदल में फंस जाते हैं. अपराधियों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले युवा भी शामिल हैं और तो और परिवार के कई सदस्य साथ मिलकर ठगी करते हैं. जिले के पुलिस कप्तान की मानें तो महंगे शौक और ईजी मनी की सोच युवाओं को अपराधियों का आसान शिकार बनाती है.

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साइबर अपराधी के लालच में न फंसे
साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं. कभी कस्टमर केयर अधिकारी बनकर तो कभी बैंक अधिकारी बनकर वे आपसे एटीएम बंद होने और केवाइसी अपडेट करने के नाम पर कॉल कर ओटीपी हासिल कर लेते हैं. लॉटरी और प्राइज का झांसा देकर भी साइबर ठगी आपको शिकार बना सकते हैं. जामताड़ा से सटा जिला होने की वजह से देवघर भी अपराधी पनप रहे हैं. इस अपराध से जुड़े लोग खेत, खलिहान, जंगल और नदी-तालाबों में बैठकर लोगों को शिकार बना रहे हैं. पुलिस भी दिन-रात ताबड़तोड़ छापामारी कर ऐसे लोगों को उनके सही ठिकाने यानी जेल भेज रही है.

सतर्कता सबसे बड़ा कवच
बाबाधाम पर मंडरा रहे संकट के इस बादल की खबर यहां के लोगों को भी है. चिंता लाजमी है, लेकिन इस दौर में मोबाइल और कंप्यूटर से दूर रहना मुश्किल है. ऐसे में आपकी सतर्कता ही साइबर अपराध से बचने का सबसे बड़ा कवच है. कंप्यूटर, मोबाइल और नई बैंकिंग सुविधाएं से जिंदगी थोड़ी आसान हो गई है, लेकिन इनका सही इस्तेमाल भी समझना जरूरी है. बच्चे और युवा इन सुविधाओं का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं, इस पर नजर रखना जरूरी है. जरूरी ये भी है कि बढ़ते बच्चों के शौक और उनकी गतिविधियों पर थोड़ी निगरानी रखी जाए और हां, सबसे खास बात ये कि साइबर अपराधियों के किसी प्रलोभन में न फंसें, अपना बैंक डिटेल और ऐसे जरूरी दस्तावेजों की जानकारी किसी से शेयर न करें.

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