नालंदा: एक ओर जहां देश में टमाटर के बाद प्याज दूसरी बार महंगाई के आंसू रुला रहा है, तो वहीं दूसरी ओर बिहार के नालंदा का एक गांव जहां प्याज की खेती करना अभिशाप माना जाता है. कहा जाता है कि जिसने प्याज की खेती करने की हिम्मत की वो गंभीर बिमारी से ग्रसित हो गया और अंततः उसकी मौत हो गई.
जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर है पंचायत: बिहार का यह पंचायत नालंदा जिले में है जहां सदियों से ये परंपरा चली आ रही है. हां, आप इसे खा जरूर सकते हैं. दरअसल, यह पंचायत जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से 15 किमी दूर स्थित ओन्दा पंचायत है. इसको लेकर एक बुजुर्ग महिला बताती हैं कि पौराणिक मान्याताओं के अनुसार ओन्दा पंचायत में पुश्तों से कभी प्याज की खेती हुई ही नहीं है.
नागस्थान देवता का जश : कहा जाता है कि जिसने भी प्याज की खेती करने की हिम्मत की, उसकी मौत हो गई. इसको लेकर ओन्दा गांव की ही एक महिला ने कहा कि यहां नागस्थान देवता स्थित हैं, जिनके जश की वजह से प्याज की खेती नहीं होती है. यही नहीं यहां की बेटियां भी जब ससुराल जाती हैं तो वहां प्याज की खेती नहीं करती.
''मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति ने जबरदस्ती यहां प्याज की खेती करने की हिम्मत की, लेकिन कुछ ही दिन बाद वह बीमार हो गया, उसके दोनों पैर फूल गए. कुष्ठ रोग हो गया और फिर उसकी मौत हो गई.''- शांति देवी, स्थानीय ग्रामीण
पौराणिक मान्यता का हो रहा पालन : गांव के अन्य ग्रामीण बताते हैं कि उस मुस्लिम व्यक्ति की मौत होने के बाद दुबारा किसी ने खेती करने की हिम्मत नहीं की. बताया कि यहां पर स्थित नागस्थान देवता को लहसन, प्याज नहीं चढ़ता है. उनके पूर्वजों के समय से ही ऐसी पौराणिक मान्यता है जिसका ये लोग पालन करते आ रहे हैं.
गांव में नागा बाबा का प्राचीन मंदिर: ओन्दा पंचायत में 12 गांव हैं और 12 गांव में प्याज नहीं उपजाया जाता है. जबकि यहां के ग्रामीण बाहर से प्याज खरीदकर खा सकते हैं. बताया गया कि इस गांव में नागा बाबा का एक प्राचीन मंदिर है. जहां कई किमती काले पत्थर के अष्टधातु की विखंडित मूर्तियां हैं, जिसकी देखरेख गांव में माली जाती के लोग करते हैं. यहां के ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि इसकी देखरेख सिर्फ माली समाज के लोग ही करेंगे. उनकी अनुमति के बगैर कोई मंदिर का दरवाजा भी नहीं खोल सकता है.
''नागा बाबा का बहुत जश है. यहां जो भी लोग मन्नत मांगते हैं वो पूरी होती है. इस नागा बाबा के दरबार पर नागपंचमी के मौके पर सरकारी बली चढ़ता है, उसके अलावा जो मन्नतें मांगते हैं वो भी बली चढ़ा सकते हैं. उसके बाद ही असाढ़ में देवी स्थान में बली चढ़ाई जाती है.''- अमरेश कुमार, स्थानीय ग्रामीण
नाग बाबा करते हैं मन्नतें पूरी: आगे यह भी बताया कि नाग बाबा बहुत ही मनोकामना बाबा हैं. यहां जो भी लोग अपनी मुरादें मांगते हैं उनकी मन्नतें पूरी होती है और मनोकामना के अनुसार बलि चढ़ाते हैं. इस नागा बाबा के दरबार पर नागपंचमी के मौके पर सरकारी बली चढ़ता है. उसके बाद ही असाढ़ में देवी स्थान में बली चढ़ाई जाती है.
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