श्रीनगर : देशभर में गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ लोहड़ी का त्योहार मनाया गया. खासकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में लोगों ने लोहड़ी का पर्व मनाया और सुख एवं समृद्धि की कामना की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोहड़ी के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और सभी के अच्छे स्वास्थ्य व कुशलता की कामना की.
वहीं, जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में लोहड़ी के अवसर पर सीआरपीएफ की 40वीं बटालियन के जवानों ने एक समारोह का आयोजन (CRPF soldiers celebrate Lohri) किया. इस मौके पर सीआरपीएफ जवानों ने एक दूसरे को लोहड़ी की बधाई दी और एक साथ नृत्य कर खुशी का इजहार किया. साथ ही सीआरपीएफ जवानों ने देश की समृद्धि और राष्ट्रीय एकता के लिए विशेष दुआ भी की और देश की जनता से प्यार से रहने और एक दूसरे की मदद करने की अपील की.
सीआरपीएफ कमांडिंग ऑफिसर ने इस मौके पर कहा कि कश्मीर में लोहड़ी मनाना निश्चित रूप से स्वागत योग्य बात है.
क्यों मनाई जाती है लोहड़ी?
लोहड़ी पर्व के दिन अग्नि प्रज्जवलित कर पंजाबी समाज के लोग उसकी परिक्रमा करते हैं. साथ ही अच्छी फसल, स्वास्थ्य और व्यापार की कामना के साथ अग्नि में रेवड़ी, मक्का, गजक अर्पित करते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के त्याग के रूप में ये त्योहार मनाया जाता है. माना जाता है कि जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था. उसी दिन की याद में ये पर्व मनाया जाता है. इसके अलावा ये भी मान्यता है कि सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को सौदागरों से बचाकर दुल्ला भट्टी ने हिंदू लड़कों से उनकी शादी करवा दी थी. इसके अलावा कहा ये भी जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में इस पर्व को मनाया जाता है.
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वहीं एक और मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब सभी लोग मकर संक्रांति का पर्व मनाने में व्यस्त थे, तब बालक कृष्ण को मारने के लिए कंस ने लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा, जिसे बालक कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था. लोहिता नामक राक्षसी के नाम पर ही लोहड़ी उत्सव का नाम रखा गया. उसी घटना को याद करते हुए लोहड़ी पर्व मनाया जाता है.