दंतेवाड़ा : अरनपुर मार्ग पर हुए नक्सली हमले में 10 डीआरजी के जवान शहीद हुए हैं. इस घटना के बाद सीआरपीएफ के डीजी सुजोय लाल थाउसेन दिल्ली से अरनपुर ब्लास्ट वाली सड़क पर पहुंचे और मौके का मुआयना किया. सीआरपीएफ आईजी साकेत कुमार सहित सीआरपीएफ के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे. घटना के तीसरे दिन भी सड़क पर खामोशी नजर आई. जवानों ने ब्लास्ट के बाद सड़क पर हुए गड्डे को भरकर समतल कर दिया है. घटना स्थल का दौरा करने के बाद डीजी सीआरपीएफ अरनपुर कैंप पहुंचे और जवानों से मुलाकात की.
ब्लास्ट के बाद 10 फीट गहरा और चौड़ा गड्ढा: ये वही जगह है जहां पर 50 किलो से ज्यादा का विस्फोटक लगाकर नक्सलियों ने कायराना हरकत को अंजाम दिया था. नक्सलियों ने सर्च ऑपरेशन से लौट रहे डीआरजी जवानों को निशाना बनाया. जवानों का काफिल जैसे ही अरनपुर के पास पहुंचा वैसे ही आईईडी ब्लास्ट करके जवानों के वाहन को उड़ा दिया गया. इस हमले में डीआरजी के 10 जवान और वाहन चालक शहीद हो गए थे. ये घटना 26 अप्रैल को हुई थी.
इसी क्षेत्र में हुआ था देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला: देश में सबसे बड़ा नक्सली हमला भी इसी क्षेत्र में हुआ था, जिसमें 76 जवान शहीद हो गए थे. इस घटना ने प्रदेश को ही नही बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया था. अब भी नक्सलियों का आतंक कम होता नजर नहीं आ रहा है. इसका ताजा उदाहरण बुधवार को दंतेवाड़ा में देखने को मिला, जहां आईईडी ब्लास्ट में 10 जवान शहीद हो गए और एक वाहन चालक की भी मौत हो गई. भले ही शासन-प्रशासन नक्सलियों के बैकफुट पर होने के कितने ही दावे कर ले, नक्सली समय-समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं.
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15 साल बाद बाय रोड पहुंचे थे तत्कालीन एसपी: 15 साल के बाद साल 2020 में दंतेवाड़ा के तत्कालीन एसपी डॉ अभिषेक पल्लव पहले अफसर थे, जो बाय रोड जगरगुंडा पहुंचे थे. इसके पहले यहां हेलीकॉप्टर के जरिए ही अधिकारी और जवानों की आवाजाही होती थी. इसके बाद 15 जनवरी 2023 को बस सेवा की शुरुआत हुई. सड़क बनने के बाद लोगों की आवाजाही इस रोड पर तेज हो गई. इसके बावजूद नक्सलियों ने यहां से अपना कब्जा नहीं छोड़ा है. आज भी इस क्षेत्र में नक्सलियों का कब्जा बरकरार है.