लखनऊ: पांच वर्षों से सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देकर नकली नोट की तस्करी के मामले में फरार चल रहे आईएसआई एजेंट तहसीम उर्फ मोटा को एसटीएफ मेरठ ने मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना से गिरफ्तार किया. डीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि अगस्त 2023 में शामली कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला बर्फ करने वाली गली से छह लाख के नकली नोट के साथ इमरान को गिरफ्तार किया था. इस मामले में तहसीम उर्फ मोटा के खिलाफ भी नाम दर्ज मुकदमा दर्ज किया गया था. तहसीम 2002 में पाकिस्तान कत्था मसाला बेचने गया था. इसके बाद वह आईएसआई के साथ मिलकर फेक करेंसी और ड्रग्स की भारत में सप्लाई करने लगा था.
डीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के मुताबिक, गुरुवार को बीते पांच वर्षों से फरार चल रहे और एनआईए द्वारा वांक्षित घोषित तहसीम उर्फ मोटा को मेरठ यूनिट ने मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना से गिरफ्तार किया. तहसीम ने पूछताछ में बताया कि वो और उसका भाई कलीम पाकिस्तान आते-जाते थे. वहीं, उनकी मुलाकात कुछ आईएसआई हैंडलर्स से हो गई थी. आईएसआई के कहने और पैसों के लालच में तहसीम भारत में जिहाद फैलाने के लिए तैयार हो गया. आईएसआई ने उसे भारत में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए अपने लोगों को तैयार करने और भारत के अलग-अलग स्थानों पर दंगा व फसाद कर विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कहा, जिससे भारत में शरीयत कानून के तहत नए सिस्टम को स्थापित कर भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाया जा सके.
जासूसी से तहसीम ने शुरू किया था आईएसआई के साथ काम
पूछताछ में तहसीम ने बताया कि आईएसआई हैंडलर्स का निर्देश पाकर वह व उसका भाई कलीम फर्जी सिम लेकर वाट्सएप से पाकिस्तान में आईएसआई एजेंट दिलशाद उर्फ मिर्जा से सम्पर्क कर संवेदनशील सूचनाएं भेजते थे. वहीं, नफीस जो कांधला का रहने वाला है, उससे नकली करेंसी लेकर इमरान के साथ आस-पास के जिलों में सप्लाई करने लगा. हालांकि, 6 अगस्त 2023 को इसके भाई कलीम के गिरफ्तार होने के बाद वह अपना फोन छोड़कर फरार हो गया था.
पाकिस्तान जाकर भारत से फरार हुए आतंकियों से की मुलाकात
डीजी कानून व्यवस्था ने बताया कि तहसीम उर्फ मोटा वर्ष 2002 में पान व कत्था बेचने पाकिस्तान कोटाद्दू अपने रिश्तेदार के यहां गया था. कोटाद्दू में वह अपने रिश्तेदार के पास 10 से 15 दिन रहा. उसके बाद 15 से 20 दिन वह लाहौर में कैराना की रहने वाली हमीदा के यहां गया. डीजी के मुताबिक, हमीदा कैराना के ही रहने वाले इकबाल काना की सहयोगी थी, जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने पर पाकिस्तान भाग गया था. इसके बाद हमीदा भी गिरफ्तारी के डर से पाकिस्तान भाग गई.
डीजी ने बताया कि हमीदा की ही मदद से तहसीम इकबाल काना से मिला. लाहौर में हमीदा के यहां रहते हुए उसकी मुलाकात लाहौर के ड्राई फूड की दुकान करने वाले इकबाल काना के सहयोगी केसर से हुई. केसर ने उसे इंडिया की फेक करेंसी भारत में सप्लाई करने के लिए बताया. केसर के जरिए उसकी मुलाकात दिलशाद मिर्जा से हुई थी. दिलशाद मिर्जा ने उसे देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए कहा. पाकिस्तान से वापस आने के बाद इकबाल काना व केसर ने तहसीम को फोन कर नकली करेंसी भेजना शुरू कर दिया. डीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि वर्ष 2002 से लेकर 2008 तक लगभग हर दो माह में 2 लाख से लेकर 7 लाख रुपये तक की फेक करेंसी भेजी गई थी. पाकिस्तान से आई ये फेक करेंसी को तहसीम पंजाब से उठाता था.
जेल से निकलने के बाद फेक करेंसी के साथ ही बना ड्रग्स सप्लायर
एसटीएफ चीफ अमिताभ यश ने बताया कि जांच में सामने आया है कि तहसीम वर्ष 2016 तक जेल में भी रहा. यहां उसकी मुलाकात कैराना के शाहिद से हुई. जेल से 7 साल की सजा काट कर बाहर आने के बाद वह शाहिद के साथ मिलकर ड्रग्स की सप्लाई और अन्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त हो गया. शाहिद अमृतसर जेल से निकलने के बाद पाकिस्तान फरार हो गया, जहां से वह आईएसआई के सहयोग से भारत में ड्रग्स सप्लाई करने लगा था. एसटीएफ चीफ के मुताबिक, तहसीम एनआईए दिल्ली से UAPA 1967 और एनडीपीएस एक्ट में भी नाम आने पर फरार चल रहा था.
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