आगरा : जिन बेटों को मां ने नाज से पाला था, वहीं बुढ़ापे में उसके दुश्मन बन बैठे. बहू और बेटे जुल्मी हो गए. कई सालों से दोनों बुजुर्ग महिला पर ज्यादती कर रहे हैं. शुक्रवार की शाम को वृद्धा खाना खा रही थी. एक बेटे ने मां के हाथ से रोटी छीनकर फेंक दी. इसके बाद धक्के देकर घर से निकाल दिया. वृद्धा पांच किमी पैदल चलकर शमशाबाद थाना पहुंची. वृद्धा के पैर कीचड़ से सने थे. पुलिसकर्मियों ने हाथ-पैर धुलवाए. बाजार से नई साड़ी मंगवाई. इसके बाद मेस में खाना खिलवाया. पुलिस वृद्धा को अपनी गाड़ी से लेकर उसके घर पहुंची. आरोपी बेटे और बहू को लेकर थाने आई. यहां दोनों की काउंसिलिंग की गई. इसके बाद भविष्य में वृद्धा को परेशान न करने की चेतावनी देकर दोनों को छोड़ दिया गया.
पुलिस ने मेस में खिलाया खाना : थानाध्यक्ष अनिल शर्मा ने बताया कि वह शुक्रवार रात आठ बजे थाने में कार्य कर रहे थे. दरोगा रबिता यादव और आरक्षी श्वेता महिला हेल्प डेस्क पर बैठी हुईं थीं. इस बीच इलाके के बड़ोबड़ाखुर्द गांव की 80 साल की बुजुर्ग महिला माया देवी थाने पहुंचीं. उनके पैर कीचड़ से सने हुए थे. वह रो रहीं थीं. शरीर पर पूरी तरीके से कपड़े भी नहीं थे. पुलिस कर्मियों ने वृद्धा के लिए बाजार से नई साड़ी मंगवाई. इसे पहनवाकर मेस में खाना खिलाया. महिला उत्पीड़न से इस कदर परेशान थी कि वह खाना खाते समय भी रोए जा रही थी. माया देवी ने बताया कि उनके 10 बच्चे थे. आठ बेटे और दो बेटी. छह बेटों की कम उम्र में ही मौत हो चुकी है. अब दो बेटे और दो बेटी हैं. पति की 20 साल पहले मृत्यु हो गई थी. बड़े बेटे दरियाव की पत्नी कुछ वर्ष पहले कहीं चली गई. बेटा मुकेश, पत्नी संगीता और बच्चों के साथ मकान में रहता है.
बेटे और बहू को थाने लेकर पहुंची पुलिस : माया देवी ने आरोप लगाया कि दोनों बेटे उन्हें परेशान करते हैं. बहू के साथ मिलकर कई सालों से उसका उत्पीड़न कर रहे हैं. शुक्रवार रात छह रोटियां बनी थी. माया देवी अपने हिस्से की दो रोटियां खाने बैठी थीं. पहला निवाला खाया ही था कि बेटा मुकेश पहुंच गया. उसने रोटी छीनकर फेंक दी. उन्हें धक्के मारकर घर से निकाल दिया. इस पर वृद्धा शिकायत करने के लिए थाने पहुंच गई. थानाध्यक्ष ने बताया कि पुलिस वृद्धा को अपने वाहन से लेकर उसके घर पहुंची. इसके बाद उसके बेटे मुकेश और बहू को थाने लेकर आई. दोनों की काउंसिलिंग की गई. दोनों को वृद्धा को दोबारा परेशान न करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया गया.
थानाध्यक्ष से वृद्धा बोली- बेटों को सिखाओ सबक : माया देवी ने थानाध्यक्ष से फरियाद की कि वह कई सालों से बेटों और बहू का जुल्म सह रहीं हैं. इन्हें ऐसा सबक सिखाया जाए कि दोबारा ये कभी परेशान न करें. वृद्धा ने गांव से थाने तक की पांच किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय की. वह तीन घंटे में थाने पहुंची. उसने कई जगह रुककर आराम किया. ग्रामीणों ने कई बार उससे पूछा कि अम्मा कहां जा रही हो, इस पर कहती रही कि बेटों को सबक सिखाने जा रही हूं.
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