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फर्जी अदालती दस्तावेज से लाभ उठाना गंभीर अपराध : न्यायालय - उससे लाभ उठाना गंभीर अपराध है

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय द्वारा एक व्यक्ति को दी गई जमानत रद्द कर दी है. साथ ही कहा कि फर्जी अदालती दस्तावेज बनाना या उनसे छेड़छाड़ करना और उससे लाभ लेना बहुत गंभीर अपराध है.

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Published : Mar 16, 2021, 3:59 PM IST

नई दिल्ली : धोखाधड़ी के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा एक व्यक्ति को दी गई जमानत रद्द करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि फर्जी अदालती दस्तावेज तैयार करना या उससे छेड़छाड़ करके लाभ उठाना गंभीर अपराध है.

न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करते हुए कहा कि आरोपी को जमानत पर छोड़ने का उसका आदेश अस्वीकार्य है और वह रद्द किए जाने योग्य है. पीठ ने कहा कि फर्जी अदालती दस्तावेज बनाना या उनसे छेड़छाड़ करना और उससे लाभ लेना बहुत गंभीर अपराध है. अगर अदालती दस्तावेज फर्जी तरीके से तैयार किए गए या उनमें छेड़छाड़ की गई, तो इससे न्याय बाधित होगा.

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पीठ ने कहा कि फर्जी अदालती दस्तावेज तैयार करके या उससे छेड़छाड़ करके फायदा उठाने और दो लोगों के बीच फर्जी दस्तावेजों के मामले में जमीन-आसमान का अंतर है. शीर्ष अदालत ने कहा कि कथित रूप से अदालती रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करने वाले व्यक्ति को जमानत देते हुए उच्च न्यायालय को ज्यादा ध्यान देना चाहिए.

नई दिल्ली : धोखाधड़ी के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा एक व्यक्ति को दी गई जमानत रद्द करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि फर्जी अदालती दस्तावेज तैयार करना या उससे छेड़छाड़ करके लाभ उठाना गंभीर अपराध है.

न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करते हुए कहा कि आरोपी को जमानत पर छोड़ने का उसका आदेश अस्वीकार्य है और वह रद्द किए जाने योग्य है. पीठ ने कहा कि फर्जी अदालती दस्तावेज बनाना या उनसे छेड़छाड़ करना और उससे लाभ लेना बहुत गंभीर अपराध है. अगर अदालती दस्तावेज फर्जी तरीके से तैयार किए गए या उनमें छेड़छाड़ की गई, तो इससे न्याय बाधित होगा.

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पीठ ने कहा कि फर्जी अदालती दस्तावेज तैयार करके या उससे छेड़छाड़ करके फायदा उठाने और दो लोगों के बीच फर्जी दस्तावेजों के मामले में जमीन-आसमान का अंतर है. शीर्ष अदालत ने कहा कि कथित रूप से अदालती रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करने वाले व्यक्ति को जमानत देते हुए उच्च न्यायालय को ज्यादा ध्यान देना चाहिए.

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