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अनोखी परंपरा : यहां एक-दूसरे पर गोबर के उपले से होता है हमला - Cow Dung Fight During Ugadi

आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में अनोखे तरीके से उगादी मनायी गई. असपारी मंडल के कैरप्पला गांव में लोगों ने पिडकला समरम (Pidakala Samaram- fighting with cow dung cakes) का आयोजन किया. इसमें ग्रामीण एक-दूसरे पर गाय के गोबर से बने उपला से एक दूसरे को दे मारते हैं.

अनोखी परंपरा
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Published : Apr 4, 2022, 7:47 PM IST

Updated : Apr 4, 2022, 10:50 PM IST

कुरनूल : आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में लोगों ने उगादी को अनोखे तरीके से (Ugadi celebrated in a unique way in kurnool andhra pradesh) मनाया है. असपारी मंडल के कैरप्पला गांव में लोगों ने पिडकला समरम (Pidakala Samaram- fighting with cow dung cakes) पूरे जोश के साथ मनाया. दरअसल, पिडकला समरम में भगवान वीरभद्र स्वामी का जुलूस निकाला जाता है. इस दौरान सारे ग्रामीण दो समूहों में बंट जाते हैं. इसके बाद दोनों समूह एक-दूसरे पर गाय के गोबर से बने उपले से हमला करते हैं. कुछ इसी तरह से रविवार की शाम को भी पिडकला समरम आयोजित हुआ.

जानकारी के मुताबिक, कुरनूल के अस्पारी मंडल के कैरप्पला गांव में श्री भद्रकाली देवी और वीरभद्र स्वामी के मंदिर का इतिहास कुछ सौ साल पुराना है. मंदिर का इतिहास कहता है कि त्रेता युग में भद्रकाली देवी और वीरभद्र स्वामी प्रेमी-प्रेमिका थे. लेकिन दोनों के यही प्रेम संबंध आगे चलकर दोनों के विवाद का कारण बनता है. वीरभद्र स्वामी ने भद्रकाली देवी से शादी करने में देरी की. इसके क्रोध में भद्रकाली देवी के भक्तों ने सोचा कि इस अपमान का बदला वीरभद्र स्वामी को गोबर के उपले से मारकर लिया जाए.

अनोखी परंपरा

इस बात से अवगत वीरभद्र स्वामी के भक्तों ने भी भगवान से भद्रकाली देवी मंदिर की ओर न जाने की प्रार्थना की. वीरभद्र स्वामी भक्तों की बातों की परवाह किए बगैर भद्रकाली देवी मंदिर की तरफ चले गए. तभी भद्रकाली देवी के भक्तों ने जैसे ही वीरभद्र स्वामी को आते देखा, उन पर गोबर के उपले फेंकने शुरू कर दिये. वहीं, वीरभद्र स्वामी के भक्त भी पलटवार करने लगे. बस यही रिवाज तब से लेकर आजतक चली आ रही है.

पढ़ें : मेगा आदिवासी उत्सव मेदाराम जतारा तेलंगाना में शुरू हुआ

तेलंगाना में 'मेदाराम जतारा' की धूम, जानें देश के दूसरे बड़े मेले की खासियत

कैरुपुल्ला के ग्रामीण आज भी पिडकला समरम की परंपरा को जारी रखे हुए हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो लोग वीर भद्रस्वामी और भद्रकाली देवी की पूजा करते हैं, वे पिडकला समरम से पहले गांव में विशेष प्रार्थना का आयोजन करते हैं. इसके बाद ग्रामीण दो समूहों में बंट जाते हैं और गोबर के उपले लेकर एक-दूसरे पर फेंकते हैं. भक्तों का कहना है कि यह एक परंपरा है. पिडकला समरम में हमला करने और घायल होने वाले लोग मंदिर जाकर वीरभद्र स्वामी की पूजा करते हैं. उनके चोटों पर विभूति लगायी जाती है. इस अनोखी परंपरा को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग उमड़ते हैं. भद्रकाली वीरभद्र कल्याणम अगले दिन पिडकला समरम के बाद बहुत भव्यता से आयोजित होता है.

कुरनूल : आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में लोगों ने उगादी को अनोखे तरीके से (Ugadi celebrated in a unique way in kurnool andhra pradesh) मनाया है. असपारी मंडल के कैरप्पला गांव में लोगों ने पिडकला समरम (Pidakala Samaram- fighting with cow dung cakes) पूरे जोश के साथ मनाया. दरअसल, पिडकला समरम में भगवान वीरभद्र स्वामी का जुलूस निकाला जाता है. इस दौरान सारे ग्रामीण दो समूहों में बंट जाते हैं. इसके बाद दोनों समूह एक-दूसरे पर गाय के गोबर से बने उपले से हमला करते हैं. कुछ इसी तरह से रविवार की शाम को भी पिडकला समरम आयोजित हुआ.

जानकारी के मुताबिक, कुरनूल के अस्पारी मंडल के कैरप्पला गांव में श्री भद्रकाली देवी और वीरभद्र स्वामी के मंदिर का इतिहास कुछ सौ साल पुराना है. मंदिर का इतिहास कहता है कि त्रेता युग में भद्रकाली देवी और वीरभद्र स्वामी प्रेमी-प्रेमिका थे. लेकिन दोनों के यही प्रेम संबंध आगे चलकर दोनों के विवाद का कारण बनता है. वीरभद्र स्वामी ने भद्रकाली देवी से शादी करने में देरी की. इसके क्रोध में भद्रकाली देवी के भक्तों ने सोचा कि इस अपमान का बदला वीरभद्र स्वामी को गोबर के उपले से मारकर लिया जाए.

अनोखी परंपरा

इस बात से अवगत वीरभद्र स्वामी के भक्तों ने भी भगवान से भद्रकाली देवी मंदिर की ओर न जाने की प्रार्थना की. वीरभद्र स्वामी भक्तों की बातों की परवाह किए बगैर भद्रकाली देवी मंदिर की तरफ चले गए. तभी भद्रकाली देवी के भक्तों ने जैसे ही वीरभद्र स्वामी को आते देखा, उन पर गोबर के उपले फेंकने शुरू कर दिये. वहीं, वीरभद्र स्वामी के भक्त भी पलटवार करने लगे. बस यही रिवाज तब से लेकर आजतक चली आ रही है.

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कैरुपुल्ला के ग्रामीण आज भी पिडकला समरम की परंपरा को जारी रखे हुए हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो लोग वीर भद्रस्वामी और भद्रकाली देवी की पूजा करते हैं, वे पिडकला समरम से पहले गांव में विशेष प्रार्थना का आयोजन करते हैं. इसके बाद ग्रामीण दो समूहों में बंट जाते हैं और गोबर के उपले लेकर एक-दूसरे पर फेंकते हैं. भक्तों का कहना है कि यह एक परंपरा है. पिडकला समरम में हमला करने और घायल होने वाले लोग मंदिर जाकर वीरभद्र स्वामी की पूजा करते हैं. उनके चोटों पर विभूति लगायी जाती है. इस अनोखी परंपरा को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग उमड़ते हैं. भद्रकाली वीरभद्र कल्याणम अगले दिन पिडकला समरम के बाद बहुत भव्यता से आयोजित होता है.

Last Updated : Apr 4, 2022, 10:50 PM IST

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