नई दिल्ली : सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोविशील्ड के तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों के नामांकन को पूरा करने की घोषणा की है. वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सुनीला गर्ग ने गुरुवार को ईटीवी भारत से बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि ऑक्सफोर्ड द्वारा बनाई गई यह वैक्सीन सभवत: कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन होगी.
दिल्ली में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर और प्रोफेसर डॉ. गर्ग ने कहा कि कोविशील्ड वैक्सीन के तीसरे चरण का सफलापूर्वक परीक्षण कर लिया गया है. डॉ. गर्ग ने कहा कि अब हम वास्तव में एंटीबॉडी के प्रसार को जानने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोविशील्ड शायद कोरोना की पहली वैक्सीन होगी. उन्होंने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता एसआईआई ने पहले ही DCGI से रिस्क मैन्युफैक्चरिंग और स्टॉकपिलिंग लाइसेंस के तहत वैक्सीन की 40 मिलियन डोज का निर्माण कर लिया है.
डॉ. गर्ग ने कहा कि 40 मिलियन खुराक का विनिर्माण केवल इस टीके में विश्वास दिखाता है, लेकिन हमें इस चरण के पूरा होने तक प्रतीक्षा करनी होगी.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने क्लिनिकल ट्रायल साइट की फीस दी है, जबकि SII ने कोविशील्ड के लिए अन्य खर्चों की फंडिंग की है. वर्तमान में SII और ICMR 15 विभिन्न केंद्रों पर कोविशील्ड के चरण 2/3 नैदानिक परीक्षण कर रहे हैं और हाल ही में सभी 1600 प्रतिभागियों का नामांकन पहले ही पूरा कर चुके हैं.
वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सुनीला गर्ग ने बताया कि कोविशील्ड को SII पुणे प्रयोगशाला में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा ज़ेनेका के एक मास्टर सीड के साथ विकसित किया गया है. यूके में बने टीके का वर्तमान में यूके, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और यूएसए में बड़े प्रभावकारिता ट्रेल्स में परीक्षण किया जा रहा है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के निदेशक डॉ. बलराम भार्गव वर्तमान में भारत ने विश्व स्तर पर वैक्सीन विकास और विनिर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाई है. नवीनतम तकनीक और अच्छी तरह से सुसज्जित सुविधाओं से उत्साहित SII ने लगातार अपने शोध और विनिर्माण कौशल को साबित किया है. वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई को बढ़ावा देने के लिए हमारा योगदान है.