नई दिल्ली : स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (Health and Family Welfare) के लिए गठित की गई एक संसदीय समिति (Parliamentary committee) ने स्वीकार किया है कि कोविड-19 महामारी ने आयुष प्रणालियों (the Ayush systems ) को चिकित्सा की एक मजबूत वैकल्पिक प्रणाली (alternative system of medicine) के रूप में उभरने का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है.
हालांकि, समिति का कहना है कि आयुष मंत्रालय (Ayush ministry) को आयुष स्वास्थ्य सेवाओं (Ayush healthcare services) की गुणवत्ता के मानकीकरण , आयुष दवाओं के गुणवत्ता नियंत्रण, दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं, फार्मेसियों को मजबूत करने और देश में आयुष शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान देना चाहिए, ताकि आयुष को चिकित्सा के क्षेत्र में एक वैकल्पिक प्रणाली का स्थान दिया जा सके.
राज्यसभा सांसद (Rajya Sabha MP) राम गोपाल यादव (Ram Gopal Yadav ) की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा कि आयुष मंत्रालय द्वारा शुरू की जा रही विभिन्न पहलों ने न केवल वास्तविक रुचि पैदा की है, बल्कि भारतीय चिकित्सा प्रणाली में भी बहुत विश्वास है. आयुष चिकित्सा पद्धति में नए सिरे से मिली रुचि ने देश को गौरवशाली अतीत की खोज के पथ पर अग्रसर किया है.
समिति का बयान इसलिए महच्वपूर्ण है कि आधुनिक चिकित्सक (modern medicine practitioners) कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए आयुष चिकित्सा का विरोध कर रहे हैं. इससे पहले आधुनिक चिकित्सकों ने चिकित्सा पद्धति के विभिन्न रूपों को मिलाने की सरकारों की पहल को लेकर विवाद खड़ा कर दिया था.
समिति सार्वजनिक स्वास्थ्य में आयुष प्रणालियों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए मंत्रालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भी ध्यान दे रही है, जिसमें रक्षा और रेलवे अस्पताल (defence and railway hospital ) में आयुष विभाग (Ayush departments) बनाना, आयुष प्रणाली में शिक्षण और अनुसंधान दोनों के लिए विश्व स्तरीय संस्थान बनाना और निजी आयुष अस्पतालों और क्लीनिकों की स्थापना के लिए सॉफ्ट लोन और सब्सिडी देना शामिल है. .
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'यह उचित समय है कि आयुष प्रणाली को इसके महत्व को पहचानने और इसके विकास के लिए पर्याप्त धन आवंटित करने और इसे अपने खोए हुए गौरव को वापस पाने में सक्षम बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए.'
पैनल ने यह भी कहा कि भारतीय चिकित्सा प्रणाली की प्रभावकारिता के बारे में कुछ संदेह और सवाल हैं. भले ही आयुष प्रणाली की लोकप्रियता और उपस्थिति बढ़ रही है, लेकिन समय की आवश्यकता शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के मानकीकरण (standardisation of academic courses) और आयुष प्रणाली के वैज्ञानिक सत्यापन (scientific validation) पर ध्यान देना है.ट
समिति ने यह भी सिफारिश की है कि मंत्रालय को झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा आयुष चिकित्सा पद्धति के प्रैक्टिस के मुद्दों को हल करने के लिए ठोस रणनीति तैयार करनी चाहिए, जिसने प्रणाली में जनता का विश्वास खत्म कर दिया है.
पढ़ें - Positive Bharat Podcast: हताश होने की बजाय तलाशें नई राहें
संसदीय पैनल ने कहा, 'मंत्रालय पारंपरिक चीनी चिकित्सा को आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ एकीकृत करने के चीनी अनुभव का अध्ययन और लाभ उठा सकता है.'
आयुष मंत्रालय के लिए बजटीय आवंटन (budgetary allocation) का जिक्र करते हुए संसदीय पैनल ने अनुमानित मांग की तुलना में मंत्रालय के आवंटन में भारी कमी पर गंभीर चिंता व्यक्त की.
आयुष मंत्रालय की अनुमानित मांग 2021-22 के लिए 5435.55 करोड़ रुपये थी, जबकि मंत्रालय को 2970.30 रुपये का आवंटन किया गया. इस प्रकार बजट में 2465.25 करोड़ रुपये की कमी हुई है.