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कोविड टीकों की सबसे अधिक बर्बादी झारखंड में, प.बंगाल ने किया पूरा उपयोग

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Published : Jun 10, 2021, 5:57 PM IST

प. बंगाल और केरल में पिछले महीने कोविड के टीके की बर्बादी नहीं हुई. लेकिन झारखंड में एक तिहाई टीके की बर्बादी हुई. ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं. पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में क्रमश: 7.08 फीसदी, 3.95 फीसदी, 3.91 फीसदी, 3.78 फीसदी और 3.63 फीसदी तथा 3.59 फीसदी टीके बेकार गए.

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कॉन्सेप्ट फोटो

नई दिल्ली : केरल और पश्चिम बंगाल में मई माह में कोविड-19 रोधी टीकों की बिल्कुल भी बर्बादी नहीं हुई तथा दोनों राज्यों में टीकों की क्रमश: 1.10 लाख तथा 1.61 लाख खुराकें बचाई गईं. वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कोविड रोधी टीकों की सबसे ज्यादा 33.95 फीसदी बर्बादी झारखंड में हुई.

आंकड़ों के मुताबिक केरल में टीकों की बर्बादी (vaccines spoiled) का आंकड़ा नकारात्मक 6.37 फीसदी रहा, जबकि पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा नकारात्मक 5.48 है. टीकों की बर्बादी का आंकड़ा नकारात्मक होने का अर्थ है कि प्रत्येक शीशी में मौजूद अतिरिक्त खुराक का भी इस्तेमाल करना.

छत्तीसगढ़ में 15.79 फीसदी टीके बेकार गए और मध्य प्रदेश में 7.35 फीसदी टीके बर्बाद हुए. पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में क्रमश: 7.08 फीसदी, 3.95 फीसदी, 3.91 फीसदी, 3.78 फीसदी और 3.63 फीसदी तथा 3.59 फीसदी टीके बेकार गए.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मई माह में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को 790.6 लाख टीकों की आपूर्ति की गई, जिनमें से 610.6 लाख टीकाकरण में काम आईं. वहीं 658.6 लाख खुराकों का उपयोग हुआ और 212.7 लाख खुराकें बची.

अप्रैल के मुकाबले मई में टीकाकरण कम रहा. तब 898.7 लाख टीकाकरण हुआ, 902.2 लाख का उपयोग हुआ और 80.8 लाख बच गए.

भारत में 45 वर्ष से अधिक के 38 फीसदी लोगों को सात जून तक टीके की पहली खुराक दी गई. त्रिपुरा में यह आंकड़ा 92 फीसदी, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में 65-65 फीसदी, गुजरात में 53 फीसदी, केरल में 51 फीसदी और दिल्ली में 49 फीसदी रहा. तमिलनाडु में यह आंकड़ा 19 फीसदी, झारखंड और उत्तर प्रदेश में 24-24 फीसदी तथा बिहार में 25 फीसदी रहा.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई)

नई दिल्ली : केरल और पश्चिम बंगाल में मई माह में कोविड-19 रोधी टीकों की बिल्कुल भी बर्बादी नहीं हुई तथा दोनों राज्यों में टीकों की क्रमश: 1.10 लाख तथा 1.61 लाख खुराकें बचाई गईं. वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कोविड रोधी टीकों की सबसे ज्यादा 33.95 फीसदी बर्बादी झारखंड में हुई.

आंकड़ों के मुताबिक केरल में टीकों की बर्बादी (vaccines spoiled) का आंकड़ा नकारात्मक 6.37 फीसदी रहा, जबकि पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा नकारात्मक 5.48 है. टीकों की बर्बादी का आंकड़ा नकारात्मक होने का अर्थ है कि प्रत्येक शीशी में मौजूद अतिरिक्त खुराक का भी इस्तेमाल करना.

छत्तीसगढ़ में 15.79 फीसदी टीके बेकार गए और मध्य प्रदेश में 7.35 फीसदी टीके बर्बाद हुए. पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में क्रमश: 7.08 फीसदी, 3.95 फीसदी, 3.91 फीसदी, 3.78 फीसदी और 3.63 फीसदी तथा 3.59 फीसदी टीके बेकार गए.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मई माह में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को 790.6 लाख टीकों की आपूर्ति की गई, जिनमें से 610.6 लाख टीकाकरण में काम आईं. वहीं 658.6 लाख खुराकों का उपयोग हुआ और 212.7 लाख खुराकें बची.

अप्रैल के मुकाबले मई में टीकाकरण कम रहा. तब 898.7 लाख टीकाकरण हुआ, 902.2 लाख का उपयोग हुआ और 80.8 लाख बच गए.

भारत में 45 वर्ष से अधिक के 38 फीसदी लोगों को सात जून तक टीके की पहली खुराक दी गई. त्रिपुरा में यह आंकड़ा 92 फीसदी, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में 65-65 फीसदी, गुजरात में 53 फीसदी, केरल में 51 फीसदी और दिल्ली में 49 फीसदी रहा. तमिलनाडु में यह आंकड़ा 19 फीसदी, झारखंड और उत्तर प्रदेश में 24-24 फीसदी तथा बिहार में 25 फीसदी रहा.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई)

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