देहरादून : उत्तराखंड में भी कोरोना कहर बरपाने लगा है. जबकि, कोरोना संक्रमितों की मौत का आंकड़ा भी राष्ट्रीय औसत से आगे बढ़ गया है. खासतौर से पिछले 48 घंटों में मौत के आंकड़ों में तेजी से उछाल आया है. इन 48 घंटों के भीतर 49 मरीजों ने जान गंवाई है.
वहीं, प्रदेश में हर दिन 2000 से ज्यादा संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. जिसके चलते न केवल एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़ी है बल्कि, मौत के आंकड़े भी तेजी से बढ़े हैं. शनिवार को मरने वालों की संख्या 37 रही, जो कि अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
उधर, रविवार को यह आंकड़ा 12 पहुंचा था. इस तरह यदि पिछले 48 घंटों में हम मरने वाले मरीजों की संख्या को देखें तो वह 49 पहुंची थी. यानी हर घंटे में एक मरीज की मौत पिछले 48 घंटों में हुई है. राष्ट्रीय स्तर पर मौत के आंकड़ों को देखा जाए तो देश में मृत्यु दर 1.20% है. जबकि, उत्तराखंड में यह दर राष्ट्रीय स्तर से भी ज्यादा है. उत्तराखंड में मृत्यु दर 1.53% है. हालांकि, इसके अजीबोगरीब तर्क स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दिए जा रहे हैं.
स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी कहते हैं कि राज्य में राष्ट्रीय स्तर के लिहाज से सैंपल कलेक्शन का काम बेहद ज्यादा हो रहा है. उत्तराखंड देश के 5 राज्यों में है, जहां सबसे ज्यादा जनसंख्या के लिहाज से सैंपलिंग की जा रही है. बता दें कि राज्य में सबसे ज्यादा मौत राजधानी देहरादून में ही हुई हैं. यहां पर पूरे प्रदेश में हुई 18 सौ 68 मौतों में से 1067 मौतें हुई है. यानी 50% से भी ज्यादा मौतें अकेले राजधानी देहरादून में ही हुई हैं.
प्रदेश में हैं सिर्फ 724 वेंटिलेटर
वहीं, सवा करोड़ की आबादी पर उत्तराखंड सरकार एक साल में महज 724 वेंटिलेटर की व्यवस्था कर सकी है. मार्च 2020 में जब कोरोना ने उत्तराखंड में दस्तक दी थी, उस समय प्रदेश में 165 वेंटिलेटर मौजूद थे. कोरोना काल में इनकी संख्या बढ़कर 724 हो गई है.
अप्रैल 2020 की बात करें तो प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए 38 कोविड अस्पताल और 415 कोविड केयर सेंटर मौजूद हैं. जहां पर करीब 31 हजार आइसोलेशन बेड हैं. कुल ऑक्सीजन बेड की क्षमता 3317 है. इसी तरह आईसीयू बेड की संख्या 815 है. कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए 724 वेंटिलेटर प्रदेश में उपलब्ध हैं. प्रदेश में कुछ दिन पहले तक 125 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध था.
डेडिकेटेड अस्पतालों का हाल
दरअसल, बीते साल कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद सरकार ने मई महीने में 15 बड़े सरकारी अस्पतालों को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल घोषित कर दिया था. यहां सिर्फ कोरोना संक्रमितों का ही इलाज किया जा रहा था. हालांकि, कोरोना संक्रमण की स्थिति काबू में आने के बाद जनवरी में कोविड अस्पतालों को सभी मरीजों के लिए खोल दिया गया था. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर संक्रमण आगे तेजी से बढ़ता रहा तो फिर डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों को पूरी तरह से कोरोना मरीजों के इलाज के लिए आरक्षित कर दिया जाएगा.
प्रदेश के कोविड अस्पताल
बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, यूएसनगर, टिहरी, उत्तरकाशी के जिला अस्पताल. इसके अलावा अल्मोड़ा का बेस अस्पताल, देहरादून मेडिकल कॉलेज, मेला चिकित्सालय हरिद्वार, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज, बीडी पांडे अस्पताल नैनीताल, बेस अस्पताल कोटद्वार और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को कोविड अस्पताल बनाया गया है.
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अस्पतालों में भारी व्यवस्था
कैग रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई थी कि हरिद्वार, अल्मोड़ा, उधमसिंह नगर और चमोली के जिला अस्पतालों में व्यवस्थाओं की भारी कमी है. कुछ जनपदों में हाईटेक आईसीयू तक की सुविधा भी नहीं है. इन जगहों पर एंबुलेंस जैसी सामान्य सुविधाओं की भी कमी देखने को मिलती रहती है. यही नहीं पहाड़ी जनपदों में कुछ जगहों पर हाईटेक आईसीयू मौजूद नहीं हैं, तो कुछ जगहों पर योग्य कर्मी और उपकरण की कमी भी दिखाई देती है.