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कोरोना संक्रमण: लक्षण हैं पर रिपोर्ट में पुष्टि नहीं, जानिए क्या करें - Expert

भारत के शीर्ष विशेषज्ञों का कहना है कि काेराेना के 80 प्रतिशत मामलों में आरटी-पीसीआर जांच से संक्रमण का पता चल जाता है, लेकिन कई मामले ऐसे भी हाेताे हैं जिनमें लक्षण वाले रोगियों की रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं हाेती है. इस संबंध में विशेषज्ञ का कहना है कि ऐसे मामलों में कोविड-19 का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला की रिपोर्ट, सीटी स्कैन/ एक्स-रे की रिपाेर्ट के आधार पर इलाज शुरू किया जाना चाहिए. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

संक्रमण
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Published : Apr 19, 2021, 5:57 PM IST

Updated : Apr 19, 2021, 6:10 PM IST

नई दिल्ली : कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच भारत के शीर्ष विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि करीब 80 प्रतिशत मामलों में आरटी-पीसीआर जांच से कोरोना वायरस के संक्रमण का पता चल जाता है, लेकिन लक्षण वाले रोगियों की रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं होने पर भी उनका सीटी स्कैन या छाती का एक्सरे कराना चाहिए और 24 घंटे बाद दोबारा जांच करानी चाहिए.

इसे भी पढ़ें : भारत की दूसरी कोविड लहर ज्यादा संक्रामक, मगर कम घातक

सार्स सीओवी-2 के नए स्वरूपों पर विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में हो रही जांच में दो से अधिक जीन्स का पता लगाने की क्षमता है.

सरकार के 15 अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार भारत में सार्स सीओवी-2 के विभिन्न स्वरूपों से कुल 1,189 नमूने संक्रमित पाए गए जिनमें से 1,109 नमूने ब्रिटेन में पाए गए कोरोना वायरस के स्वरूप से संक्रमित मिले, 79 नमूने दक्षिण अफ्रीका में मिले स्वरूप से और एक नमूना ब्राजील में मिले वायरस के स्वरूप से संक्रमित पाया गया.

आईसीएमआर के डेटा के मुताबिक, वर्तमान आरटी-पीसीआर जांच में वर्तमान स्वरूपों का भी पता चल रहा है. आरटी-पीसीआर जांच में 80 फीसदी मामलों में सही परिणाम निकल आता है लेकिन 20 फीसदी मामलों में हो सकता है कि नतीजे सही नहीं मिलें.

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, 'यदि नमूना ठीक से नहीं लिया गया है या फिर जांच समय पूर्व कर ली गई जब तक संक्रमण अधिक नहीं फैला हो तो रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं होगी. इसलिए यदि किसी व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण हैं तो कोविड-19 का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला की रिपोर्ट, सीटी स्कैन/ एक्स-रे की रिपाेर्ट के आधार पर इलाज शुरू किया जाना चाहिए. 24 घंटे बाद फिर से जांच करानी चाहिए.'

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में महामारी विज्ञान एवं संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा ने कहा कि ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में मिले वायरस के स्वरूप का आरटी-पीसीआर जांच में पता लग जाता है. हालांकि कुछ मामलों में संक्रमण का पता नहीं चल पाता है.

एक अन्य वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि केवल आरटी-पीसीआर जांच के परिणाम पर निर्भर रहने की बजाए लक्षण और सीटी स्कैन की रिपोर्ट के आधार पर इलाज किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली : कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच भारत के शीर्ष विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि करीब 80 प्रतिशत मामलों में आरटी-पीसीआर जांच से कोरोना वायरस के संक्रमण का पता चल जाता है, लेकिन लक्षण वाले रोगियों की रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं होने पर भी उनका सीटी स्कैन या छाती का एक्सरे कराना चाहिए और 24 घंटे बाद दोबारा जांच करानी चाहिए.

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सार्स सीओवी-2 के नए स्वरूपों पर विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में हो रही जांच में दो से अधिक जीन्स का पता लगाने की क्षमता है.

सरकार के 15 अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार भारत में सार्स सीओवी-2 के विभिन्न स्वरूपों से कुल 1,189 नमूने संक्रमित पाए गए जिनमें से 1,109 नमूने ब्रिटेन में पाए गए कोरोना वायरस के स्वरूप से संक्रमित मिले, 79 नमूने दक्षिण अफ्रीका में मिले स्वरूप से और एक नमूना ब्राजील में मिले वायरस के स्वरूप से संक्रमित पाया गया.

आईसीएमआर के डेटा के मुताबिक, वर्तमान आरटी-पीसीआर जांच में वर्तमान स्वरूपों का भी पता चल रहा है. आरटी-पीसीआर जांच में 80 फीसदी मामलों में सही परिणाम निकल आता है लेकिन 20 फीसदी मामलों में हो सकता है कि नतीजे सही नहीं मिलें.

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, 'यदि नमूना ठीक से नहीं लिया गया है या फिर जांच समय पूर्व कर ली गई जब तक संक्रमण अधिक नहीं फैला हो तो रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं होगी. इसलिए यदि किसी व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण हैं तो कोविड-19 का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला की रिपोर्ट, सीटी स्कैन/ एक्स-रे की रिपाेर्ट के आधार पर इलाज शुरू किया जाना चाहिए. 24 घंटे बाद फिर से जांच करानी चाहिए.'

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में महामारी विज्ञान एवं संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा ने कहा कि ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में मिले वायरस के स्वरूप का आरटी-पीसीआर जांच में पता लग जाता है. हालांकि कुछ मामलों में संक्रमण का पता नहीं चल पाता है.

एक अन्य वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि केवल आरटी-पीसीआर जांच के परिणाम पर निर्भर रहने की बजाए लक्षण और सीटी स्कैन की रिपोर्ट के आधार पर इलाज किया जाना चाहिए.

Last Updated : Apr 19, 2021, 6:10 PM IST
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