ETV Bharat / bharat

तीन साल में दोगुना औसत घरेलू कर्ज, जानिए इसका प्रमुख कारण

देश में महामारी का असर भारतीय परिवारों के जीवनशैली पर देखा गया है. एसबीआई की ओर से कराए गए शोध के अनुसार, पिछले तीन सालों में घरेलू कर्ज के बोझ में तेजी के पीछे प्राथमिक कारण कोविड-19 है. इस बारे में पढ़ें हमारे वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानन्द त्रिपाठी की खास रिपोर्ट.

दोगुना औसत घरेलू कर्ज
दोगुना औसत घरेलू कर्ज
author img

By

Published : Sep 15, 2021, 8:48 PM IST

नई दिल्ली : कोविड -19 महामारी के प्रकोप से दुनियाभर से कई मौतें दर्ज की गई. इसका विनाशकारी प्रभाव शहरी और ग्रामीण भारतीय परिवारों के जीवनशैली पर पड़ा है. एसबीआई शोध के अनुसार, पिछले तीन सालों में औसत घरेलू ऋण लगभग दोगुना हो गया है.

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष के अनुसार, पिछले तीन सालों में घरेलू कर्ज के बोझ में तेजी के पीछे प्राथमिक कारण कोविड-19 का प्रतिकूल प्रभाव है. इसके कारण पिछले वित्तीय वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई.

एसबीआई शोध के अनुमानों के अनुसार, जून 2018 में ग्रामीण परिवारों में औसत घरेलू ऋण 59,748 रुपये से बढ़ गया था जो कोविड के बाद 1,16,841 रुपये हो गया. इस तरह करीब 57,093 रुपये या 95 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. इसी तरह, शहरी परिवारों के क्षेत्र में, जून 2018 में औसत ऋण 1.2 लाख रुपये से बढ़कर लगभग 2.34 लाख रुपये हो गया. यहां भी 95 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह प्रवृत्ति घरेलू ऋण से जीडीपी अनुपात तक भी परिलक्षित होती है. अर्थशात्रियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड​​-19 महामारी के कारण जीडीपी दर 2020-21 में तेजी से बढ़कर 37.3 प्रतिशत हो गया, जो 2019-20 में 32.5 प्रतिशत था.

पढ़ें : महामारी की वजह से अपने करियर के बारे में नए सिरे से सोच रहे हैं भारतीय पेशेवर : सर्वे

अखिल भारतीय ऋण और निवेश सर्वेक्षण (All India Debt and Investment Survey-AIDIS) की ओर से जारी आंकड़ों से पता चला है कि 2018 में समाप्त हुई छह साल की अवधि के दौरान 16 राज्यों में औसत ग्रामीण घरेलू ऋण दोगुना हो गया था. इसी तरह आठ राज्य ऐसे भी थे जहां इसी अवधि के दौरान औसत शहरी घरेलू ऋण दोगुने से अधिक पाए गए.

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि पांच राज्य - पंजाब, राजस्थान, असम, नागालैंड और मिजोरम में शहरी और ग्रामीण दोनों परिवारों में घरेलू ऋण में 100 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई.

केरल, मध्य प्रदेश और पंजाब में वर्ष 2018 को समाप्त छह साल की अवधि के दौरान ऋण परिसंपत्ति अनुपात में कम से कम 100 अंकों की गिरावट देखी गई.

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (National Sample Survey Organisation-NSSO) की ओर से किए गए AIDIS सर्वेक्षण में ग्रामीण क्षेत्रों के 5,940 गांवों में 69,455 घरों और शहरी क्षेत्रों के 3,995 ब्लॉकों में 47,000 से अधिक घरों को शामिल किया गया है.

इससे पता चला कि वर्ष 2018 में 35 प्रतिशत ग्रामीण परिवार और 22.4 प्रतिशत शहरी परिवार कैश-लोन के बोझ तले दबे हुए हैं.

नई दिल्ली : कोविड -19 महामारी के प्रकोप से दुनियाभर से कई मौतें दर्ज की गई. इसका विनाशकारी प्रभाव शहरी और ग्रामीण भारतीय परिवारों के जीवनशैली पर पड़ा है. एसबीआई शोध के अनुसार, पिछले तीन सालों में औसत घरेलू ऋण लगभग दोगुना हो गया है.

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष के अनुसार, पिछले तीन सालों में घरेलू कर्ज के बोझ में तेजी के पीछे प्राथमिक कारण कोविड-19 का प्रतिकूल प्रभाव है. इसके कारण पिछले वित्तीय वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई.

एसबीआई शोध के अनुमानों के अनुसार, जून 2018 में ग्रामीण परिवारों में औसत घरेलू ऋण 59,748 रुपये से बढ़ गया था जो कोविड के बाद 1,16,841 रुपये हो गया. इस तरह करीब 57,093 रुपये या 95 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. इसी तरह, शहरी परिवारों के क्षेत्र में, जून 2018 में औसत ऋण 1.2 लाख रुपये से बढ़कर लगभग 2.34 लाख रुपये हो गया. यहां भी 95 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह प्रवृत्ति घरेलू ऋण से जीडीपी अनुपात तक भी परिलक्षित होती है. अर्थशात्रियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड​​-19 महामारी के कारण जीडीपी दर 2020-21 में तेजी से बढ़कर 37.3 प्रतिशत हो गया, जो 2019-20 में 32.5 प्रतिशत था.

पढ़ें : महामारी की वजह से अपने करियर के बारे में नए सिरे से सोच रहे हैं भारतीय पेशेवर : सर्वे

अखिल भारतीय ऋण और निवेश सर्वेक्षण (All India Debt and Investment Survey-AIDIS) की ओर से जारी आंकड़ों से पता चला है कि 2018 में समाप्त हुई छह साल की अवधि के दौरान 16 राज्यों में औसत ग्रामीण घरेलू ऋण दोगुना हो गया था. इसी तरह आठ राज्य ऐसे भी थे जहां इसी अवधि के दौरान औसत शहरी घरेलू ऋण दोगुने से अधिक पाए गए.

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि पांच राज्य - पंजाब, राजस्थान, असम, नागालैंड और मिजोरम में शहरी और ग्रामीण दोनों परिवारों में घरेलू ऋण में 100 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई.

केरल, मध्य प्रदेश और पंजाब में वर्ष 2018 को समाप्त छह साल की अवधि के दौरान ऋण परिसंपत्ति अनुपात में कम से कम 100 अंकों की गिरावट देखी गई.

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (National Sample Survey Organisation-NSSO) की ओर से किए गए AIDIS सर्वेक्षण में ग्रामीण क्षेत्रों के 5,940 गांवों में 69,455 घरों और शहरी क्षेत्रों के 3,995 ब्लॉकों में 47,000 से अधिक घरों को शामिल किया गया है.

इससे पता चला कि वर्ष 2018 में 35 प्रतिशत ग्रामीण परिवार और 22.4 प्रतिशत शहरी परिवार कैश-लोन के बोझ तले दबे हुए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.