ETV Bharat / bharat

देश की विविध स्थितियों को देखते हुए घर-घर जाकर कोरोना रोधी टीके लगाना संभव नहीं : कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, देश की विविध स्थितियों को देखते हुए घर-घर जाकर कोरोना रोधी टीके लगाना संभव नहीं है. कोर्ट ने विकलांगों और समाज के कमजोर तबके के लिए डोर-टू-डोर (घर-घर जाकर) कोविड-19 टीकाकरण व्यवस्था की मांग करने वाले वकीलों की एक एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया.

13004006_thumbnail_2x1_scc.JPG
13004006_thumbnail_2x1_scc.JPG
author img

By

Published : Sep 8, 2021, 2:16 PM IST

Updated : Sep 8, 2021, 5:11 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने बुधवार को कहा कि देश की विविध स्थितियों को देखते हुए, घर-घर जाकर कोविड-19 रोधी टीके लगाना संभव नहीं है और वह मौजूदा नीति को खत्म करने के लिए कोई सामान्य निर्देश पारित नहीं कर सकता.

शीर्ष अदालत ने विकलांगों और समाज के कमजोर तबके के लिए डोर-टू-डोर (घर-घर जाकर) कोविड-19 टीकाकरण व्यवस्था की मांग करने वाले वकीलों की एक एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया.

न्यायालय ने कहा कि टीकाकरण अभियान पहले से ही चल रहा है और देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है.

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ता ‘यूथ बार एसोसिएशन’ को स्वास्थ्य मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी से सम्पर्क करने का निर्देश दिया.

पीठ ने कहा, लद्दाख में स्थिति केरल से अलग है. उत्तर प्रदेश में स्थिति किसी अन्य राज्य से अलग है. शहरी इलाकों की स्थिति भी ग्रामीण इलाकों से अलग है. इस विशाल देश में हर राज्य में तरह-तरह की समस्याएं हैं. आपको पूरे देश के लिए एक आदेश चाहिए....टीकाकरण अभियान पहले से ही चल रहा है और देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी को टीकों की पहली खुराक दी जा चुकी है. कठिनाई को समझना चाहिए. यह प्रशासनिक मामला है, हम मौजूदा नीति खत्म नहीं कर सकते.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'जब आप इस तरह की राहत मांगते हैं तो आप देश की विविधता को नहीं समझते हैं.' उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने एक विशिष्ट स्थान पर एक विशिष्ट समस्या की पहचान नहीं की है, लेकिन पूरे देश के लिए एक दिशा पूछ रहा है जो नहीं किया जा सकता है.

शीर्ष अदालत ने एसोसिएशन की ओर से पेश हुए वकील बेबी सिंह से कहा कि इतने संवेदनहीन तरीके से याचिका दायर नहीं की जा सकती.

पढ़ें : ईडी निदेशक SK Mishra के कार्यकाल में आगे काेई विस्तार नहीं : सुप्रीम कोर्ट

याचिका में भारत सरकार और सभी राज्यों को समाज के कमजोर तबकों, विकलांग लोगों के लिए घर-घर जाकर कोविड-19 रोधी टीके लगाए जाने की व्यवस्था करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, क्योंकि इन लोगों को कोविन पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.

पीठ ने कहा, टीकाकरण कार्यक्रम पहले से ही चल रहा है और यह न्यायालय स्वत: संज्ञान लेकर स्थिति की निगरानी कर रही है.

पीठ ने कहा कि देश की विविधता को देखते हुए सामान्य दिशा-निर्देश पारित करना संभव और व्यावहारिक नहीं है. पीठ ने कहा, किसी भी निर्देश को पारित करने से सरकार की मौजूदा टीकाकरण नीति प्रभावित नहीं होनी चाहिए.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने बुधवार को कहा कि देश की विविध स्थितियों को देखते हुए, घर-घर जाकर कोविड-19 रोधी टीके लगाना संभव नहीं है और वह मौजूदा नीति को खत्म करने के लिए कोई सामान्य निर्देश पारित नहीं कर सकता.

शीर्ष अदालत ने विकलांगों और समाज के कमजोर तबके के लिए डोर-टू-डोर (घर-घर जाकर) कोविड-19 टीकाकरण व्यवस्था की मांग करने वाले वकीलों की एक एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया.

न्यायालय ने कहा कि टीकाकरण अभियान पहले से ही चल रहा है और देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है.

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ता ‘यूथ बार एसोसिएशन’ को स्वास्थ्य मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी से सम्पर्क करने का निर्देश दिया.

पीठ ने कहा, लद्दाख में स्थिति केरल से अलग है. उत्तर प्रदेश में स्थिति किसी अन्य राज्य से अलग है. शहरी इलाकों की स्थिति भी ग्रामीण इलाकों से अलग है. इस विशाल देश में हर राज्य में तरह-तरह की समस्याएं हैं. आपको पूरे देश के लिए एक आदेश चाहिए....टीकाकरण अभियान पहले से ही चल रहा है और देश की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी को टीकों की पहली खुराक दी जा चुकी है. कठिनाई को समझना चाहिए. यह प्रशासनिक मामला है, हम मौजूदा नीति खत्म नहीं कर सकते.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'जब आप इस तरह की राहत मांगते हैं तो आप देश की विविधता को नहीं समझते हैं.' उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने एक विशिष्ट स्थान पर एक विशिष्ट समस्या की पहचान नहीं की है, लेकिन पूरे देश के लिए एक दिशा पूछ रहा है जो नहीं किया जा सकता है.

शीर्ष अदालत ने एसोसिएशन की ओर से पेश हुए वकील बेबी सिंह से कहा कि इतने संवेदनहीन तरीके से याचिका दायर नहीं की जा सकती.

पढ़ें : ईडी निदेशक SK Mishra के कार्यकाल में आगे काेई विस्तार नहीं : सुप्रीम कोर्ट

याचिका में भारत सरकार और सभी राज्यों को समाज के कमजोर तबकों, विकलांग लोगों के लिए घर-घर जाकर कोविड-19 रोधी टीके लगाए जाने की व्यवस्था करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, क्योंकि इन लोगों को कोविन पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.

पीठ ने कहा, टीकाकरण कार्यक्रम पहले से ही चल रहा है और यह न्यायालय स्वत: संज्ञान लेकर स्थिति की निगरानी कर रही है.

पीठ ने कहा कि देश की विविधता को देखते हुए सामान्य दिशा-निर्देश पारित करना संभव और व्यावहारिक नहीं है. पीठ ने कहा, किसी भी निर्देश को पारित करने से सरकार की मौजूदा टीकाकरण नीति प्रभावित नहीं होनी चाहिए.

Last Updated : Sep 8, 2021, 5:11 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.