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कोरोना : दुनियाभर की महिलाओं की घटी आय, 800 बिलियन डॉलर का झटका

कोरोना महामारी ने दुनियाभर में महिलाओं की आय पर असर डाला है. साल 2020 की बात की जाए तो दुनियाभर में महिलाओं की आय में करीब 800 बिलियन डॉलर की कमी आई है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

covid 19 has cost the worlds women 800 billion dollars in lost income
800 बिलियन डॉलर की कमी
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Published : May 6, 2021, 5:55 PM IST

हैदराबाद : कोरोना महामारी ने दुनियाभर में महिलाओं की आय को प्रभावित किया है. साल 2020 की बात की जाए तो दुनियाभर की महिलाओं की आय में करीब 800 बिलियन डॉलर की कमी आई है या यू कहें नुकसान हुआ है. गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम की रिपोर्ट में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.

रिपोर्ट के मुताबिक कुछ सरकारों ने महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा को लेकर कदम उठाए हैं. ऑक्सफैम ने सलाह दी है ही महामारी में उचित और स्थायी आर्थिक सुधार के लिए महिलाओं को शामिल किया जाना चाहिए, साथ ही उनकी जरूरतों को पूरा करना चाहिए.

ऑक्सफेम ने कहा कि कोविड ​​-19 संकट से दुनिया भर की महिलाओं की आय में साल 2020 में 800 बिलियन डॉलर की कमी आई है. ऑक्सफेम ने कहा है कि लैंगिक असमानता से निपटने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.

महिलाओं को खुदरा, पर्यटन और खाद्य सेवाओं जैसे कम भुगतान वाले अनिश्चित क्षेत्र में पुरुषों की तुलना में अधिक तेजी से अपनी नौकरी खोनी पड़ी. पिछले साल करीब 64 मिलियम से ज्यादा नौकरियां गई हैं. पुरुषों को हुई 3.9 हानि की तुलना में महिलाओं को कुल पांच फीसदी का नुकसान हुआ है.

ऑक्सफेम के कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने एक लिखित बयान में कहा 'कार्यबल में महिलाओं को महामारी ने एक 'जोरदार झटका' दिया है.'

COVID-19 महिलाओं के लिए एक झटका था. लिंग-उत्तरदायी नीतियों (Gender-responsive policies) से नुकसान हो सकता है. कोविड 19 में समान कार्यबल के निर्माण के तीन तरीके महिलाओं के करियर की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं.

800 बिलियन डॉलर का ये आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें संभवतः महिलाओं की आय को कम करके आंका जाता है. क्योंकि इसमें अनौपचारिक नौकरियों में लाखों महिलाओं द्वारा खोई गई मजदूरी शामिल नहीं है.

कोरोना ने एक आर्थिक तूफान ला दिया, जिसने गरीबों और कमजोर वर्ग पर असर डाला. महिलाओं को रेस्तरां और होटलों जैसे कठिन-उद्योगों में काम करने के कारण पुरुषों की तुलना में अधिक तेजी से अपनी नौकरी खोनी पड़ी.

महिलाओं को स्वास्थ्य देखभाल, बेरोजगारी में मिलने वाले लाभ या अन्य सुरक्षा नहीं मिली जिस कारण उन्हें ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा.

आंकड़ों पर एक नजर

  • वायरस के आने से पहले ही महिलाओं और लड़कियों को 12.5 बिलियन घंटे दैनिक अवैतनिक देखभाल के काम में लगाया गया. उन्होंने खाना पकाने, सफाई से लेकर बीमार रिश्तेदारों की देखभाल तक -प्रति वर्ष कम से कम 10.8 ट्रिलियन डॉलर की वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान दिया.
  • दुनिया भर में 47 मिलियन महिलाएं अत्यधिक गरीबी के दलदल में जा सकती हैं. ये 2021 में एक दिन में 1.90 डॉलर से कम में जीवन यापन कर रही हैं.
  • अमेरिका में छह में से एक महिला को महामारी के कारण खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है.
  • विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, 2020 में महिलाओं के लिए नकारात्मक परिणामों के कारण वैश्विक लिंग अंतर 99.5 साल से बढ़कर 135.6 साल हो गया है.

उठाने चाहिए कारगर कदम

कुछ सरकारों ने महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए कारगर कदम उठाए हैं. अमेरिका में सरकार बच्चों की देखभाल के लिए सरकार 39 बिलियन डॉलर खर्च कर रही है.

ये उस राशि में से है जिसके तहत 1.9 ट्रिलियन डॉलर के राहत पैकेज पर राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मार्च में दस्तखत किए थे. अर्जेंटीना में भी नए कानून के तहत बच्चों या दिव्यांगों की देखभाल के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.

पढ़ें- सावधान ! बच्चे हो रहे कोरोना के शिकार, इलाज से ज्यादा सावधानी की दरकार

ऑक्सफैम का कहना है कि केवल 11 देशों ने श्रमिकों के लिए कार्यस्थलों पर लचीली कार्य व्यवस्था शुरू की है, जबकि 36 ने श्रमिकों के परिवार पर ध्यान दिया है. माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए बीमार छुट्टी का भुगतान किया है.

हैदराबाद : कोरोना महामारी ने दुनियाभर में महिलाओं की आय को प्रभावित किया है. साल 2020 की बात की जाए तो दुनियाभर की महिलाओं की आय में करीब 800 बिलियन डॉलर की कमी आई है या यू कहें नुकसान हुआ है. गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम की रिपोर्ट में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.

रिपोर्ट के मुताबिक कुछ सरकारों ने महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा को लेकर कदम उठाए हैं. ऑक्सफैम ने सलाह दी है ही महामारी में उचित और स्थायी आर्थिक सुधार के लिए महिलाओं को शामिल किया जाना चाहिए, साथ ही उनकी जरूरतों को पूरा करना चाहिए.

ऑक्सफेम ने कहा कि कोविड ​​-19 संकट से दुनिया भर की महिलाओं की आय में साल 2020 में 800 बिलियन डॉलर की कमी आई है. ऑक्सफेम ने कहा है कि लैंगिक असमानता से निपटने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.

महिलाओं को खुदरा, पर्यटन और खाद्य सेवाओं जैसे कम भुगतान वाले अनिश्चित क्षेत्र में पुरुषों की तुलना में अधिक तेजी से अपनी नौकरी खोनी पड़ी. पिछले साल करीब 64 मिलियम से ज्यादा नौकरियां गई हैं. पुरुषों को हुई 3.9 हानि की तुलना में महिलाओं को कुल पांच फीसदी का नुकसान हुआ है.

ऑक्सफेम के कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने एक लिखित बयान में कहा 'कार्यबल में महिलाओं को महामारी ने एक 'जोरदार झटका' दिया है.'

COVID-19 महिलाओं के लिए एक झटका था. लिंग-उत्तरदायी नीतियों (Gender-responsive policies) से नुकसान हो सकता है. कोविड 19 में समान कार्यबल के निर्माण के तीन तरीके महिलाओं के करियर की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं.

800 बिलियन डॉलर का ये आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें संभवतः महिलाओं की आय को कम करके आंका जाता है. क्योंकि इसमें अनौपचारिक नौकरियों में लाखों महिलाओं द्वारा खोई गई मजदूरी शामिल नहीं है.

कोरोना ने एक आर्थिक तूफान ला दिया, जिसने गरीबों और कमजोर वर्ग पर असर डाला. महिलाओं को रेस्तरां और होटलों जैसे कठिन-उद्योगों में काम करने के कारण पुरुषों की तुलना में अधिक तेजी से अपनी नौकरी खोनी पड़ी.

महिलाओं को स्वास्थ्य देखभाल, बेरोजगारी में मिलने वाले लाभ या अन्य सुरक्षा नहीं मिली जिस कारण उन्हें ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा.

आंकड़ों पर एक नजर

  • वायरस के आने से पहले ही महिलाओं और लड़कियों को 12.5 बिलियन घंटे दैनिक अवैतनिक देखभाल के काम में लगाया गया. उन्होंने खाना पकाने, सफाई से लेकर बीमार रिश्तेदारों की देखभाल तक -प्रति वर्ष कम से कम 10.8 ट्रिलियन डॉलर की वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान दिया.
  • दुनिया भर में 47 मिलियन महिलाएं अत्यधिक गरीबी के दलदल में जा सकती हैं. ये 2021 में एक दिन में 1.90 डॉलर से कम में जीवन यापन कर रही हैं.
  • अमेरिका में छह में से एक महिला को महामारी के कारण खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है.
  • विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, 2020 में महिलाओं के लिए नकारात्मक परिणामों के कारण वैश्विक लिंग अंतर 99.5 साल से बढ़कर 135.6 साल हो गया है.

उठाने चाहिए कारगर कदम

कुछ सरकारों ने महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए कारगर कदम उठाए हैं. अमेरिका में सरकार बच्चों की देखभाल के लिए सरकार 39 बिलियन डॉलर खर्च कर रही है.

ये उस राशि में से है जिसके तहत 1.9 ट्रिलियन डॉलर के राहत पैकेज पर राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मार्च में दस्तखत किए थे. अर्जेंटीना में भी नए कानून के तहत बच्चों या दिव्यांगों की देखभाल के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.

पढ़ें- सावधान ! बच्चे हो रहे कोरोना के शिकार, इलाज से ज्यादा सावधानी की दरकार

ऑक्सफैम का कहना है कि केवल 11 देशों ने श्रमिकों के लिए कार्यस्थलों पर लचीली कार्य व्यवस्था शुरू की है, जबकि 36 ने श्रमिकों के परिवार पर ध्यान दिया है. माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए बीमार छुट्टी का भुगतान किया है.

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