नई दिल्ली : देश में काेराेना की दूसरी लहर के बीच पहली बार साेमवार काे एक लाख से ज्यादा काेराेना संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं. नवी मुंबई के रिलायंस हॉस्पिटल और फॉर्टिस हॉस्पिटल के शिशु राेग विशेषज्ञ डॉ. सुभाष राव की मानें ताे दूसरी लहर में काेविड-19 वायरस पहले की तुलना में ज्यादा खतरनाक है.
बच्चाें के लिए कैसे है ज्यादा खतरानाक
यह वायरस इस बार बड़ाें की तुलना में बच्चाें पर ज्यादा असर डाल रहा है. बच्चाें में हाेने वाले काेराेना वायरस के असर काे लेकर अभिभावकाें के सवाल पर डॉ. राव ने कहा कि काेराेना की दूसरी लहर में रिवर्स ट्रेंड देखने काे मिल रहा है, जहां व्यस्काें की तुलना में बच्चाें में ज्यादा तेजी से संक्रमण बढ़ने के मामले सामने आ रहे हैं.
कहने का मतलब है कि पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर का असर बच्चाें पर ज्यादा होगा. इसके साथ यह भी देखा जा रहा है कि काेराेना के लक्षण व्यस्काें से पहले बच्चाें काे में तेजी से विकसित हाे रहे हैं.
इस बार बच्चाें में इसके बहुत सामान्य लक्षण जैसे बुखार, सूखी खांसी, खांसी, भूख न लगना, सर्दी, थकान, उलटी जैसे लक्षण देखने काे मिल रहे हैं. वहीं कुछ मामलाें में सांस लेने में दिक्कत और सामान्य वायरल फीवर भी देखने काे मिल रहा है. साथ ही डॉ. राव ने कहा कि बच्चाें में बाहर खेलने -कूदने, उचित तरीके से ध्यान नहीं रखने और घर से बाहर निकलने की वजह से भी लक्षण तेजी से डेवलप हाे रहे हैं.
काेराेना पॉजिटिव हाेने पर ऐसे रखें ख्याल
उन्हाेंने कहा कि यदि किसी बच्चे में काेविड-19 का लक्षण देखने काे मिल रहा है, ताे दूसरे ही दिन आरटी पीसीआर टेस्ट कराने की जरूरत है. टेस्ट कराने में किसी तरह डरने की आवश्यकता नहीं है. इसके उलट शुरुआती लक्षण के बाद टेस्ट करा लेने पर इलाज बेहतर और जल्दी हाे सकेगा. ऐसे में अभिभावकाें काे बिना टेस्ट कराए ही 14 दिन हाेम क्वारांटाइन हाे जाना चाहिए. उन्हाेंने चेतावनी देते हुए कहा कि बच्चाें के संक्रमित हाेने की स्थिति में ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है, क्याेंकि बच्चाें के संक्रमित हाेने पर व्यस्काें की तुलना में ज्यादा तेजी से इसके फैलने की संभावना है.
वहीं यदि अभिभावक काेराेना पॉजिटिव पाए जाते हैं, ताे ऐसे में बच्चाें काे किसी दूसरे के घर रहने के लिए भेजना काेराेना संक्रमण काे फैलने में मदद करने के समान है. क्याेंकि बच्चे के जरिए संक्रमण दूसरों तक तेजी से फैल सकता है, भले उनमें काेराेना के लक्षण हाे न या न हाें. इसलिए उन्हें भी हाेम क्वारंटाइन में रखना बेहतर हाेगा. संभव हाे ताे संक्रमित व्यक्ति काे घर में अलग रहने की व्यवस्था करें और जिन सदस्याें में लक्षण नहीं हैं वे एक साथ रह सकते हैं.
डॉ. राव ने कहा कि यदि आपका बच्चा काेराेना पॉजिटिव हाे भी जाता है ताे जरूरी नहीं कि उसे फाैरन अस्पताल में ही भर्ती कराया जाए. शिशु राेग विशेषज्ञ की सलाह पर घर में भी उसकी देखभाल की जा सकती है. इसके साथ ही बच्चे में विकसित हाेने वाले काेराेना के खतरनाक लक्षणाें पर विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए, जैसे पांच दिन से ज्यादा बुखार हाेने, सांस लेने में ज्यादा दिक्कत हाेने, भूख नहीं लगने आदि. उन्हाेंने यह भी सलाह दी कि घर में यदि काेई एक भी सदस्य काेराेना पॉजिटिव पाया जाता है, ताे पूरे परिवार काे हाेम क्वारंटाइन हाे जाना चाहिए.
मास्क है जरूरी
डॉ. राव ने कहा कि यदि काेई काेराेना वैक्सीन लगवाता है या काेराेना संक्रमण हाेने के बाद स्वस्थ भी हाे जाता है तब भी उसे मास्क पहनना और काेविड-19 नियम का पालन करना जरूरी है.
काेई भी वैक्सीन किसी भी राेग से साै फीसदी बचाव की गारंटी नहीं दे सकती है, पर हां बेशक वाे आपका राेग से बचाव जरूर कर सकती है. इसलिए अगर आप वैक्सीन ले भी चुके हैं तब भी अपनी और दूसराें की सुरक्षा के लिए मास्क जरूर पहनें.
उन्हाेंने कहा कि जैसा कि अभी तक बच्चाें काे वैक्सीन देने काे मंजूरी नहीं मिली है, ऐसे में बार-बार हाथ धाेकर, मास्क पहनकर और सामाजिक दूरी का पालन कर काेराेना से बचाव किया जा सकता है.
उन्हाेंने कहा कि बड़े बच्चाें के लिए हमेशा राेल मॉडल हाेते हैं, बच्चे आपका ही अनुकरण करते हैं. ऐसे में हमें अपने व्यवहार पर ध्यान रखने की विशेष जरूरत है, इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही न करें.
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