नई दिल्ली : लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज जर्नल (Lancet Infectious Diseases journal) में प्रकाशित अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत बायोटेक के कोविड रोधी टीके कोवैक्सीन (Covaxin) की दोनों खुराक लक्षण वाले कोरोन मरीजों (symptomatic COVID-19) में 50 प्रतिशत प्रभावी है.
यह अध्ययन 15 अप्रैल से 15 मई तक दिल्ली एम्स में 2,714 स्वास्थ्यकर्मियों पर किया गया, जिनमें से 1,617 में कोरोना के लक्षण थे और इनकी आरटी-पीसीआर जांच भी की गई. इस समय भारत में डेल्टा वेरिएंट कहर बरपा रहा था और 80 प्रतिशत मामलों में यही वेरिएंट पाया गया था.
एम्स दिल्ली में मेडिसिन के प्रमुख, प्रोफेसर नवीत विग ने कहा कि अध्ययन के परिणाम कोविड-19 के खिलाफ BBV152 (कोवैक्सीन) की प्रभावकारिता की पुष्टि करते हैं.
भारत बायोटेक, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा विकसित कोवैक्सीन को WHO ने इसी महीने इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है. इसकी दोनों खुराक 28 दिन के अंतराल में दी जाती है.
इससे पहले, लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट में सामने आया था कि कोवैक्सीन सिम्टोमैटिक कोविड-19 के खिलाफ 77.8% प्रभावी है और B.1.617.2 डेल्टा के खिलाफ 65.2% प्रभावी पाई गई थी.
दिल्ली एम्स में मेडिसिन के प्रोफेसर मनीष सोनेजा ने कहा कि हमारा अध्ययन इस बात की पूरी तस्वीर पेश करता है कि BBV152 (कोवैक्सीन) का प्रदर्शन कैसा है. इसे भारत में कोविड-19 की वृद्धि की स्थिति के संदर्भ में माना जाना चाहिए, जो डेल्टा संस्करण की संभावित प्रतिरक्षा क्षमता के साथ संयुक्त है.
प्रोफेसर मनीष सोनेजा का कहना है कि स्टडी के निष्कर्ष से स्पष्ट है कि टीकाकरण अभियान महामारी नियंत्रण के लिए सबसे प्रमुख हथियार है.
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