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कोविड19 को रोकने में विफल हो रहा कोवैक्स - यूरोपीय आयोग

कोवैक्स उन तीन स्तंभों में से एक है, जिन्हें बीमारी के खिलाफ संघर्ष में मुख्य हथियार बताया गया था. अप्रैल 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूरोपीय आयोग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की संयुक्त मेजबानी वाले एक कार्यक्रम में इसे पेश किया गया था.

कोवैक्स
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Published : Jun 10, 2021, 12:52 PM IST

बाल्टीमोर (अमेरिका) : अंतररार्ष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में कोविड-19 महामारी (covid19 pandemic) को समाप्त करने के लिए वैक्सीन के वितरण (vaccine delivery) की दिशा में किए जा रहे वैश्विक प्रयासों को और तेज करने का आह्वान किया. यह एक स्वागत योग्य कदम था क्योंकि विश्व के नेताओं के पिछले आधिकारिक बयानों में वैक्सीन को जरूरतमंद लोगों, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, तक पहुंचने के लिए कोई खास नीतियां पेश नहीं की गई थी.

आईएमएफ का यह मानना ​​भी सही था कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ सबको वैक्सीन लगाने पर जो खर्च आएगा, वह वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) को मिलने वाले इसके समग्र फायदों से कहीं कम है, लेकिन वह इस बात को स्वीकार करके और आगे बढ़ सकता था कि इस समय वैक्सीन आवंटन के जो आधे अधूरे नियम हैं, उनके स्थान पर नए सहकारी संस्थागत ढांचे और 20 देशों के समूह (जी20) द्वारा सुझाए ठोस उपायों को लागू किया जाना चाहिए.

आईएमएफ समस्या को बहुत संकीर्ण रूप से देख रहा है. यह पूरी तरह से कोवैक्स सुविधा के माध्यम से किए जाने वाले वैक्सीन दान और वितरण का पुरजोर समर्थन करता है.

पढ़ें- भारत बॉयोटेक को चौथी तिमाही में कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण डाटा समीक्षा की उम्मीद

कोवैक्स उन तीन स्तंभों में से एक है, जिन्हें बीमारी के खिलाफ संघर्ष में मुख्य हथियार बताया गया था. अप्रैल 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूरोपीय आयोग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की संयुक्त मेजबानी वाले एक कार्यक्रम में इसे पेश किया गया था.

कोवैक्स को टीकों तक समान पहुंच की सुविधा के लिए बनाया गया था. पहले दो स्तंभ निदान और उपचार के लिए समान पहुंच पर केंद्रित थे, लेकिन समस्या से निपटने के लिए इसका स्वरूप पुराना हो गया है.

पिछले साल इसके निर्माण के बाद से, टीके अधिक उपलब्ध हो गए हैं लेकिन वितरण और अन्य समस्याएं अधिक स्पष्ट हो गई हैं.

कोवैक्स ने अपेक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए एक अच्छा आधारभूत ढांचा प्रदान किया. यह प्राथमिकता लक्ष्य निर्धारित करने के लिए भी उपयोगी था.

पढ़ें- Bihar Corona Death: जांच में बड़ा खुलासा, नीतीश सरकार ने छिपाया 4 हजार मौतों का आंकड़ा

मुख्य बात यह थी कि प्रत्येक देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी को जल्द से जल्द टीका लगाया जाए, लेकिन इस में दो बड़ी खामियां हैं. सबसे पहले, यह मुख्य रूप से जनसंख्या के आकार के अनुपात में टीकों का आवंटन (allotment of vaccines) करता है, जो कि सबसे अच्छा सार्वजनिक स्वास्थ्य पैमाना नहीं है. दूसरा, यह बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाने के लिए देशों की क्षमताओं पर विचार नहीं करता है.

दोष
जनसंख्या के आकार के आधार पर टीका वितरण लक्ष्य निर्धारित करना कई कारणों से त्रुटिपूर्ण है.

पहले तो यह समस्या की जटिलता की उपेक्षा करता है. विभिन्न देश महामारी के बहुत अलग चरणों में हैं. कुछ को भयानक नुकसान हो रहा है और उनकी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. दूसरों के पास पर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की कमी है और इन उपायों का सामाजिक पालन भी अपर्याप्त है.

दूसरी बात यह कि कुछ अन्य देशों को बहुत गंभीर परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ रहा है.

कई अफ्रीकी देशों में टीकों की कमी के बारे में बहुत कुछ कहा गया है, लेकिन इस समस्या की विकरालता की बात करें तो अफ्रीकी देश वर्तमान में भारत, नेपाल, ब्राजील और कई अन्य अमेरिकी देशों में देखे जाने वाले अत्यंत आक्रामक प्रकोपों ​​​​का सामना नहीं कर रहे हैं.

पढ़ें- कोरोना अपडेट : कोरोना से एक दिन में सर्वाधिक 6148 लोगों की मौत, 94,052 नए मामले

ये मामले जनसंख्या के आधार पर टीकों के वितरण की कमियों को उजागर करते हैं.

आवंटन के लिए मानदंड
वैक्सीन आवंटन (Vaccine allocation), चाहे वह कोवैक्स के माध्यम से किया गया हो या सीधे तौर पर, सार्वजनिक स्वास्थ्य पैमाने पर आधारित होना चाहिए. इसमें शामिल है: मामलों की दर, बीमारी के आक्रमण की दर और स्वास्थ्य प्रणाली क्षमता.

वैक्सीन आवंटन में उस क्षमता को भी ध्यान में रखना होगा, जो देशों को आंतरिक रूप से उन्हें वितरित करने की है. हाल ही में मलावी ने ऑक्सफ़ोर्ड/एस्ट्राजेनेका टीके की 20,000 खुराकें प्राप्त करने के 18 दिन बाद ही जला दीं, क्योंकि उनके एक्सपायर होने का डर था.

दक्षिण सूडान ने घोषणा की है कि सरकार ऑक्सफ़ोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 72,000 खुराक उनके एक्सपायर होने के जोखिम के कारण कोवैक्स को वापस भेज देगी. हालांकि, ये घटनाएं ऑक्सफ़ोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से जुड़ी रक्त के थक्के की विरली घटनाओं के बाद बढ़ी हुई टीका हिचकिचाहट से जुड़ी हैं, यह भी मामला है कि अफ्रीका के कई देशों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में प्रभावी टीकाकरण अभियान चलाने के लिए संसाधनों की कमी है.

पढ़ें- परिवार या माता-पिता के कोविड संक्रमित होने पर कार्मिकों को मिलेगा 15 दिन का अवकाश

इन अभियानों के लिए आवश्यक धन के बिना, वैक्सीन का दान न केवल अपर्याप्त प्रयास है, बल्कि जीवन रक्षक टीके की खुराक की बर्बादी भी है, जैसा कि मलावी और दक्षिण सूडान के मामले बताते हैं.

वर्तमान महामारी से लड़ने और भविष्य के लिए तैयार करने के लिए आने वाले महीनों में एक ठोस योजना पर अमल करना जी20 का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए.

(भाषा)

बाल्टीमोर (अमेरिका) : अंतररार्ष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में कोविड-19 महामारी (covid19 pandemic) को समाप्त करने के लिए वैक्सीन के वितरण (vaccine delivery) की दिशा में किए जा रहे वैश्विक प्रयासों को और तेज करने का आह्वान किया. यह एक स्वागत योग्य कदम था क्योंकि विश्व के नेताओं के पिछले आधिकारिक बयानों में वैक्सीन को जरूरतमंद लोगों, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, तक पहुंचने के लिए कोई खास नीतियां पेश नहीं की गई थी.

आईएमएफ का यह मानना ​​भी सही था कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ सबको वैक्सीन लगाने पर जो खर्च आएगा, वह वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) को मिलने वाले इसके समग्र फायदों से कहीं कम है, लेकिन वह इस बात को स्वीकार करके और आगे बढ़ सकता था कि इस समय वैक्सीन आवंटन के जो आधे अधूरे नियम हैं, उनके स्थान पर नए सहकारी संस्थागत ढांचे और 20 देशों के समूह (जी20) द्वारा सुझाए ठोस उपायों को लागू किया जाना चाहिए.

आईएमएफ समस्या को बहुत संकीर्ण रूप से देख रहा है. यह पूरी तरह से कोवैक्स सुविधा के माध्यम से किए जाने वाले वैक्सीन दान और वितरण का पुरजोर समर्थन करता है.

पढ़ें- भारत बॉयोटेक को चौथी तिमाही में कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण डाटा समीक्षा की उम्मीद

कोवैक्स उन तीन स्तंभों में से एक है, जिन्हें बीमारी के खिलाफ संघर्ष में मुख्य हथियार बताया गया था. अप्रैल 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूरोपीय आयोग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की संयुक्त मेजबानी वाले एक कार्यक्रम में इसे पेश किया गया था.

कोवैक्स को टीकों तक समान पहुंच की सुविधा के लिए बनाया गया था. पहले दो स्तंभ निदान और उपचार के लिए समान पहुंच पर केंद्रित थे, लेकिन समस्या से निपटने के लिए इसका स्वरूप पुराना हो गया है.

पिछले साल इसके निर्माण के बाद से, टीके अधिक उपलब्ध हो गए हैं लेकिन वितरण और अन्य समस्याएं अधिक स्पष्ट हो गई हैं.

कोवैक्स ने अपेक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए एक अच्छा आधारभूत ढांचा प्रदान किया. यह प्राथमिकता लक्ष्य निर्धारित करने के लिए भी उपयोगी था.

पढ़ें- Bihar Corona Death: जांच में बड़ा खुलासा, नीतीश सरकार ने छिपाया 4 हजार मौतों का आंकड़ा

मुख्य बात यह थी कि प्रत्येक देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी को जल्द से जल्द टीका लगाया जाए, लेकिन इस में दो बड़ी खामियां हैं. सबसे पहले, यह मुख्य रूप से जनसंख्या के आकार के अनुपात में टीकों का आवंटन (allotment of vaccines) करता है, जो कि सबसे अच्छा सार्वजनिक स्वास्थ्य पैमाना नहीं है. दूसरा, यह बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाने के लिए देशों की क्षमताओं पर विचार नहीं करता है.

दोष
जनसंख्या के आकार के आधार पर टीका वितरण लक्ष्य निर्धारित करना कई कारणों से त्रुटिपूर्ण है.

पहले तो यह समस्या की जटिलता की उपेक्षा करता है. विभिन्न देश महामारी के बहुत अलग चरणों में हैं. कुछ को भयानक नुकसान हो रहा है और उनकी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. दूसरों के पास पर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की कमी है और इन उपायों का सामाजिक पालन भी अपर्याप्त है.

दूसरी बात यह कि कुछ अन्य देशों को बहुत गंभीर परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ रहा है.

कई अफ्रीकी देशों में टीकों की कमी के बारे में बहुत कुछ कहा गया है, लेकिन इस समस्या की विकरालता की बात करें तो अफ्रीकी देश वर्तमान में भारत, नेपाल, ब्राजील और कई अन्य अमेरिकी देशों में देखे जाने वाले अत्यंत आक्रामक प्रकोपों ​​​​का सामना नहीं कर रहे हैं.

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ये मामले जनसंख्या के आधार पर टीकों के वितरण की कमियों को उजागर करते हैं.

आवंटन के लिए मानदंड
वैक्सीन आवंटन (Vaccine allocation), चाहे वह कोवैक्स के माध्यम से किया गया हो या सीधे तौर पर, सार्वजनिक स्वास्थ्य पैमाने पर आधारित होना चाहिए. इसमें शामिल है: मामलों की दर, बीमारी के आक्रमण की दर और स्वास्थ्य प्रणाली क्षमता.

वैक्सीन आवंटन में उस क्षमता को भी ध्यान में रखना होगा, जो देशों को आंतरिक रूप से उन्हें वितरित करने की है. हाल ही में मलावी ने ऑक्सफ़ोर्ड/एस्ट्राजेनेका टीके की 20,000 खुराकें प्राप्त करने के 18 दिन बाद ही जला दीं, क्योंकि उनके एक्सपायर होने का डर था.

दक्षिण सूडान ने घोषणा की है कि सरकार ऑक्सफ़ोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 72,000 खुराक उनके एक्सपायर होने के जोखिम के कारण कोवैक्स को वापस भेज देगी. हालांकि, ये घटनाएं ऑक्सफ़ोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से जुड़ी रक्त के थक्के की विरली घटनाओं के बाद बढ़ी हुई टीका हिचकिचाहट से जुड़ी हैं, यह भी मामला है कि अफ्रीका के कई देशों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में प्रभावी टीकाकरण अभियान चलाने के लिए संसाधनों की कमी है.

पढ़ें- परिवार या माता-पिता के कोविड संक्रमित होने पर कार्मिकों को मिलेगा 15 दिन का अवकाश

इन अभियानों के लिए आवश्यक धन के बिना, वैक्सीन का दान न केवल अपर्याप्त प्रयास है, बल्कि जीवन रक्षक टीके की खुराक की बर्बादी भी है, जैसा कि मलावी और दक्षिण सूडान के मामले बताते हैं.

वर्तमान महामारी से लड़ने और भविष्य के लिए तैयार करने के लिए आने वाले महीनों में एक ठोस योजना पर अमल करना जी20 का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए.

(भाषा)

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