नई दिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने देश में कोविड-19 महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान 49 लाख से अधिक मामलों की डिजिटल तरीके से सुनवाई के लिए गुरुवार को न्यायपालिका की सराहना की.
उन्होंने कहा कि विगत में देश ने कई समस्याओं और चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन लोगों ने अदालतों द्वारा दिए गए निर्णयों को स्वीकार किया है.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा डिजिटल तरीके से आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा, 'देश कई चुनौतियों के दौरान उथल-पुथल में था, लेकिन न्यायपालिका ने जो फैसले दिए, उसे पूरे देश ने स्वीकार किया, लोगों ने स्वीकार किया और एक रचनात्मक तरीका मिला. इसलिए, मैं हमेशा कहता हूं कि अदालत महत्वपूर्ण क्यों है, क्यों उच्चतम न्यायालय महत्वपूर्ण है.'
प्रसाद ने कहा कि अदालतें ऐसी संस्था हैं जिस पर भारत के लोगों का भरोसा है और विश्वास का यह तत्व एक लोकतांत्रिक सहिष्णुता का अभिन्न अंग है.
उन्होंने कहा, 'मैंने हमेशा कहा है कि अधिकार महत्वपूर्ण हैं, कर्तव्य भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं और मैं कहना चाहूंगा कि न्यायपालिका का सम्मान भी एक कर्तव्य होना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि कोई भी फैसले की आलोचना कर सकता है, लेकिन न्यायपालिका की संस्था का सम्मान करना महत्वपूर्ण है.
प्रसाद ने कहा कि महामारी के दौरान डिजिटल संवाद सामान्य चीज हो गई है. उन्होंने अदालतों द्वारा डिजिटल रूप से सुने गए मामलों का जिक्र किया और कहा कि उच्चतम न्यायालय ने करीब 30,000 मामलों की डिजिटल तरीके से सुनवाई की या उसका निपटारा किया.
उन्होंने कहा कि भारत के उच्च न्यायालयों ने 13.74 लाख मामलों की डिजिटल तरीके से सुनवाई की. वहीं जिला अदालतों ने 35.93 लाख मामलों की इस तरीके से सुनवाई की.