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Marital Rape As Crime : वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर नौ मई को होगी सुनवाई - May 9 date fixed for hearing on petitions

उच्चतम न्यायालय ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने के अनुरोध को लेकर दायर याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई के लिए नौ मई की तारीख तय की.

Marital Rape As Crime
उच्चतम न्यायालय की फाइल फोटो
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Published : Mar 22, 2023, 11:49 AM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने के अनुरोध को लेकर दायर याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई के लिए बुधवार को नौ मई की तारीख तय की. वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया. उन्होंने पीठ से कहा कि मामले में दलीलों और विभिन्न पहलुओं के विश्लेषण के लिए आदेश तैयार है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र का जवाब तैयार है. इसकी जांच की जानी है.

पीठ ने कहा कि मामले को नौ मई 2023 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें. शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी को वैवाहिक दुष्कर्म के अपराधीकरण से संबंधित याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था. इन याचिकाओं में से एक वैवाहिक दुष्कर्म के मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय के खंडित फैसले के संबंध में दायर की गई है. यह अपील, दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दाखिल करने वालों में शामिल खुशबू सैफी की है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल 11 मई को इस मामले में खंडित फैसला सुनाया था.

पढ़ें : वैवाहिक दुष्कर्म मामले में व्यक्ति के खिलाफ मुकदमे का कर्नाटक सरकार ने SC में किया समर्थन

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के अनुसार, रेप के अंतर्गत, एक महिला के साथ गैर-सहमति वाले यौन उत्पीड़न के सभी प्रकार शामिल हैं. हालांकि, धारा 375 के अपवाद 2 के तहत, अगर पत्नी या पति की उम्र 15 साल से ज्यादा है तो उनके बीच अनिच्छा से संभोग 'बलात्कार' नहीं होता है और यही अपवाद, वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में आने से रोकता है. अभी भी देश में वैवाहिक दुष्कर्म को आपराधिक श्रेणी में लाने का संघर्ष जारी है. आपको याद दिला दें कि 29 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने फैसला सुनाया था कि महिला की वैवाहिक स्थिति जो कुछ भी हो, उसे सुरक्षित और कानूनी तरीके से अबॉर्शन कराने का अधिकार है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने के अनुरोध को लेकर दायर याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई के लिए बुधवार को नौ मई की तारीख तय की. वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया. उन्होंने पीठ से कहा कि मामले में दलीलों और विभिन्न पहलुओं के विश्लेषण के लिए आदेश तैयार है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र का जवाब तैयार है. इसकी जांच की जानी है.

पीठ ने कहा कि मामले को नौ मई 2023 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें. शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी को वैवाहिक दुष्कर्म के अपराधीकरण से संबंधित याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था. इन याचिकाओं में से एक वैवाहिक दुष्कर्म के मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय के खंडित फैसले के संबंध में दायर की गई है. यह अपील, दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दाखिल करने वालों में शामिल खुशबू सैफी की है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल 11 मई को इस मामले में खंडित फैसला सुनाया था.

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भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के अनुसार, रेप के अंतर्गत, एक महिला के साथ गैर-सहमति वाले यौन उत्पीड़न के सभी प्रकार शामिल हैं. हालांकि, धारा 375 के अपवाद 2 के तहत, अगर पत्नी या पति की उम्र 15 साल से ज्यादा है तो उनके बीच अनिच्छा से संभोग 'बलात्कार' नहीं होता है और यही अपवाद, वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में आने से रोकता है. अभी भी देश में वैवाहिक दुष्कर्म को आपराधिक श्रेणी में लाने का संघर्ष जारी है. आपको याद दिला दें कि 29 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने फैसला सुनाया था कि महिला की वैवाहिक स्थिति जो कुछ भी हो, उसे सुरक्षित और कानूनी तरीके से अबॉर्शन कराने का अधिकार है.

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(पीटीआई-भाषा)

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