नई दिल्ली: फ्लाइट के अंदर महिला पर कथित तौर पर पेशाब करने वाले शंकर मिश्रा की मुश्किलें बढ़ गई है. बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोमल गर्ग ने बेल पिटीशन पर सुनवाई की. याचिका का शिकायतकर्ता ने कड़ा विरोध किया. अदालत को बताया गया कि मिश्रा अत्यधिक प्रभावशाली है और यदि उन्हें रिहा किया गया तो मामले को प्रभावित कर सकता है.
लोक अभियोजक ने अदालत से कहा, "इस बात की अत्यधिक संभावना है कि वह शिकायतकर्ता को प्रभावित कर सकता है. वह साधन संपन्न और अत्यधिक प्रभावशाली व्यक्ति है. जांच प्रारंभिक चरण में है." शिकायतकर्ता की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने कहा, "अदालत को यह जांच करनी है कि क्या एक अपराधी को जमानत दी जा सकती है जिसने पहले कहा कि उसने ऐसा किया, इसके लिए माफी मांगी. फिर बाद में मुकर गया. वह कह रहा है कि वह नशे में था. नशा कभी बचाव नहीं हो सकता. यह उसका मामला नहीं है कि उन्हें उनकी जानकारी के बिना शराब दी गई थी. यह उनके प्रभाव के कारण था कि एयर इंडिया ने प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का फैसला किया, मेरी शिकायत 28 नवंबर को थी. उनके प्रभाव के कारण ही प्राथमिकी में इतने दिन लग गए.
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कोर्ट को शिकायतकर्ता के वकील ने बताया कि मिश्रा के पिता शिकायतकर्ता को अवांछित व्हाट्सएप संदेश भेज रहे हैं. उसके वकील ने कहा, "आरोपी के पिता मुझे व्हाट्सएप में संदेश भेज रहे हैं. वह कहते हैं कि कर्मा मुझे मारेगा और फिर संदेश को हटा दिया है. इस पर कोर्ट ने शिकायतकर्ता से पूछा कि आपका नंबर आरोपी तक कैसे पहुंचा. शिकायतकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया, "यह एयर इंडिया की गलती है. उन्होंने मुझे अपराधी के सामने बिठाया और उस समय मेरा नंबर बदल दिया गया." मिश्रा की ओर से पेश अधिवक्ता मनु शर्मा ने हालांकि इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. शर्मा ने कहा, "इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं जो लगाए जा रहे हैं.
शर्मा ने जमानत याचिका में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को आधार बनाते हुए जोड़ दिया और कहा कि उनकी गिरफ्तारी में अर्नेश कुमार के दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया है. शर्मा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि मिश्रा ने मामले में गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करने की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए इस मामले में एयर इंडिया की तरफ से शुरू की गई जांच प्रक्रिया से बचने का प्रयास नहीं किया था. मुझे 6 जनवरी को उपस्थित होना था. क्या ऐसा है कि वे 6 जनवरी को अपना मन बना लेंगे कि मैं बच रहा हूं? 4 जनवरी को, जब प्राथमिकी दर्ज की गई थी, एयर इंडिया ने पहले ही आंतरिक जांच शुरू कर दी थी. मैं उनके सामने हाजिर हुआ. मैं भागा नहीं. क्या पहले ही बार में एनबीडब्ल्यू जारी किया जा सकता है.
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