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बालिग पत्नी के साथ नहीं रह सकता नाबालिग पति : हाई कोर्ट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नाबालिग पति का संरक्षण उसकी बालिग पत्नी को सौंपने से इनकार कर दिया है.

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Published : Jun 15, 2021, 2:51 PM IST

अदालत
अदालत

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई काेर्ट (Allahabad High Court) ने नाबालिग पति का संरक्षण उसकी बालिग पत्नी को सौंपने से इनकार कर दिया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि इस विवाह को अमान्य घोषित किया जा सकता है और इसकी अनुमति देना एक वयस्क को एक अवयस्क के साथ रहने की मंजूरी देने जैसा होगा, जो पॉक्सो कानून के तहत दंडनीय अपराध है.

नाबालिग पति अपने मां के साथ रहने को राजी नहीं
चूंकि 16 वर्षीय लड़का (पति) अपनी मां के साथ रहने को राजी नहीं था, इसलिए अदालत ने उसका संरक्षण मां को भी नहीं दिया. अदालत ने संबंधित अधिकारियों को उस लड़के के बालिग होने तक आश्रय स्थल में उसके रहने और खाने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि चार फरवरी, 2022 के बाद वह अपनी पत्नी सहित जिसके साथ भी चाहे रह सकता है.

न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने लड़के की मां एवं आजमगढ़ निवासी हौशिला देवी की याचिका पर आदेश दिया. लड़के की मां की दलील थी कि उसका लड़का नाबालिग है और कानूनी रूप से शादी के लिए सक्षम नहीं है और यह शादी अमान्य है. लड़के को 18 सितंबर, 2020 को अदालत के समक्ष पेश किया गया था. अदालत ने उसका बयान दर्ज किया और कहा कि निःसंदेह यह लड़का कभी किसी तरह के दबाव में अपनी पत्नी के साथ नहीं रहा और ना ही उसे बहलाया फुसलाया गया.

इसे भी पढ़ें :धर्म परिवर्तन कर शादी करने वाले दंपती को सुरक्षा देने के निर्देश: HC

हालांकि अदालत ने नाबालिग लड़के का संरक्षण उसकी पत्नी को देने का उसका अनुरोध ठुकरा दिया. इस नाबालिग लड़के की पत्नी ने एक बच्चे को भी जन्म दिया है. अदालत का यह फैसला 31 मई, 2021 का है.

(पीटीआई-भाषा)

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई काेर्ट (Allahabad High Court) ने नाबालिग पति का संरक्षण उसकी बालिग पत्नी को सौंपने से इनकार कर दिया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि इस विवाह को अमान्य घोषित किया जा सकता है और इसकी अनुमति देना एक वयस्क को एक अवयस्क के साथ रहने की मंजूरी देने जैसा होगा, जो पॉक्सो कानून के तहत दंडनीय अपराध है.

नाबालिग पति अपने मां के साथ रहने को राजी नहीं
चूंकि 16 वर्षीय लड़का (पति) अपनी मां के साथ रहने को राजी नहीं था, इसलिए अदालत ने उसका संरक्षण मां को भी नहीं दिया. अदालत ने संबंधित अधिकारियों को उस लड़के के बालिग होने तक आश्रय स्थल में उसके रहने और खाने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि चार फरवरी, 2022 के बाद वह अपनी पत्नी सहित जिसके साथ भी चाहे रह सकता है.

न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने लड़के की मां एवं आजमगढ़ निवासी हौशिला देवी की याचिका पर आदेश दिया. लड़के की मां की दलील थी कि उसका लड़का नाबालिग है और कानूनी रूप से शादी के लिए सक्षम नहीं है और यह शादी अमान्य है. लड़के को 18 सितंबर, 2020 को अदालत के समक्ष पेश किया गया था. अदालत ने उसका बयान दर्ज किया और कहा कि निःसंदेह यह लड़का कभी किसी तरह के दबाव में अपनी पत्नी के साथ नहीं रहा और ना ही उसे बहलाया फुसलाया गया.

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हालांकि अदालत ने नाबालिग लड़के का संरक्षण उसकी पत्नी को देने का उसका अनुरोध ठुकरा दिया. इस नाबालिग लड़के की पत्नी ने एक बच्चे को भी जन्म दिया है. अदालत का यह फैसला 31 मई, 2021 का है.

(पीटीआई-भाषा)

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