ETV Bharat / bharat

रानीखेत के पास सौनी में बना देश का पहला हिमालयन मसाला गार्डन, उगाए जा रहे 30 प्रजातियों के स्पाइस - सौनी हिमालयन स्पाइस गार्डन

रानीखेत के सौनी में नवनिर्मित देश का पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन अस्तित्व में आ गया है. इस मसाला गार्डन का उद्घाटन प्रसिद्ध इतिहासकार और पद्मश्री शेखर पाठक ने किया. गार्डन में 30 प्रजातियों के मसाले के पौधे हैं.

Himalayan Spice Garden
हिमालयन स्पाइस गार्डन
author img

By

Published : Aug 5, 2022, 1:34 PM IST

अल्मोड़ा/हल्द्वानी: उत्तराखंड के रानीखेत के सौनी में नवनिर्मित देश का पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन अस्तित्व में आ गया है. पूरे भारतीय हिमालयी क्षेत्र और देश में अपनी तरह का पहला हिमालयी मसाला उद्यान का उद्घाटन प्रसिद्ध इतिहासकार और पद्मश्री पुरस्कार विजेता शेखर पाठक ने किया.

यह कश्मीर के केसर से लेकर प्रसिद्ध तेजपात (Bay leaf जो भौगोलिक संकेतक टैग देने के लिए उत्तराखंड की पहली प्रजाति थी), तैमूर, जंगली हींग और उत्तरकाशी जिले के भैरोघाटी क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रमुख हिमालयी मसालों को प्रदर्शित करता है.

Himalayan Spice Garden
पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन अस्तित्व में आया.

ऐसा है हिमालयन मसाला गार्डन: यह स्पाइस गार्डन दो साल की अवधि में जापानी अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) से वित्त पोषण के साथ, रानीखेत में लगभग 4 एकड़ के क्षेत्र में स्थापित किया गया है. इसे उत्तराखंड वन विभाग की रिसर्च विंग द्वारा विकसित किया गया है. वर्तमान में इसमें 30 से अधिक विभिन्न मसाले हैं. इनमें से हिमालय क्षेत्र के एलियम परिवार (प्याज) के 8 मसाले हैं.

Himalayan Spice Garden
गार्डन में मौजूद हैं 30 प्रजातियों के मसालों के पौधे.

विकसित मसाला प्रजातियों में जंबू, काला जीरा, वन अजवाइन, दालचीनी, करी पत्ता, तिमूर, बद्री तुलसी, चक्री फूल, केसर, इलायची, अल्मोड़ापत्ती, लखोरी मिर्च, जंगली हींग, हिमालयन हींग, एलूम, वन हल्दी, तेजपात और डोलू आदि शामिल हैं.

Himalayan Spice Garden
पद्मश्री शेखर पाठक ने किया गार्डन का उद्घाटन.

हिमालयन मसाला गार्डन का उद्देश्य: मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि इस मसाला उद्यान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय हिमालय क्षेत्र के विभिन्न मसालों को लोकप्रिय बनाना. उनके बारे में जागरूकता पैदा करना था. प्राचीन काल से ये मसाले अत्यधिक पोषक, स्वादिष्ट और हिमालयी व्यंजनों का हिस्सा रहे हैं.

Himalayan Spice Garden
हिमालयन स्पाइस गार्डन में केसर.

हालांकि, विभिन्न क्षेत्रों के कारण इन्हें देश के अन्य हिस्सों में उतना लोकप्रिय नहीं किया जा सका. यह महिलाओं के स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के साथ जोड़कर आजीविका के अवसरों को भी बढ़ाएगा.
पढ़ें-NIT उत्तराखंड में प्लेसमेंट शुरू, दो छात्रों को मिले 18 लाख के पैकेज

इसमें काला जीरा (जो बहुत अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में उगता है और अधिक पोषक तत्व/मसालेदार एक आम है), जख्या (गढ़वाल क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय मसालों में से एक, दाल और सब्जियों को तड़का लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है), गंधरायणी (तीखा) सब्जी और दाल में स्वाद बढ़ाने वाले एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला) यहां उगाए जा रहे हैं.

Himalayan Spice Garden
गार्डन में विभिन्न प्रकार के मसाले के पौधे.

इसके साथ ही बद्री तुलसी (ओरिगनम वल्गारे), अल्मोड़ा की लाखोरी मिर्ची (एक बहुत ही विशिष्ट पीला रंग और अल्मोड़ा के लिए अद्वितीय, यह मिर्च बेहद गर्म है और इसमें एंटी डायबिटिक, जीवाणुरोधी गुण और विटामिन से भरपूर हैं) और जम्बू (मसाला और सब्जी और सूप के रूप में भी इस्तेमाल की जाने वाली पत्तियां) शामिल हैं. बगीचे में एक व्याख्या केंद्र भी है, जहां इनके बारे में जानकारी है.

अल्मोड़ा/हल्द्वानी: उत्तराखंड के रानीखेत के सौनी में नवनिर्मित देश का पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन अस्तित्व में आ गया है. पूरे भारतीय हिमालयी क्षेत्र और देश में अपनी तरह का पहला हिमालयी मसाला उद्यान का उद्घाटन प्रसिद्ध इतिहासकार और पद्मश्री पुरस्कार विजेता शेखर पाठक ने किया.

यह कश्मीर के केसर से लेकर प्रसिद्ध तेजपात (Bay leaf जो भौगोलिक संकेतक टैग देने के लिए उत्तराखंड की पहली प्रजाति थी), तैमूर, जंगली हींग और उत्तरकाशी जिले के भैरोघाटी क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रमुख हिमालयी मसालों को प्रदर्शित करता है.

Himalayan Spice Garden
पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन अस्तित्व में आया.

ऐसा है हिमालयन मसाला गार्डन: यह स्पाइस गार्डन दो साल की अवधि में जापानी अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) से वित्त पोषण के साथ, रानीखेत में लगभग 4 एकड़ के क्षेत्र में स्थापित किया गया है. इसे उत्तराखंड वन विभाग की रिसर्च विंग द्वारा विकसित किया गया है. वर्तमान में इसमें 30 से अधिक विभिन्न मसाले हैं. इनमें से हिमालय क्षेत्र के एलियम परिवार (प्याज) के 8 मसाले हैं.

Himalayan Spice Garden
गार्डन में मौजूद हैं 30 प्रजातियों के मसालों के पौधे.

विकसित मसाला प्रजातियों में जंबू, काला जीरा, वन अजवाइन, दालचीनी, करी पत्ता, तिमूर, बद्री तुलसी, चक्री फूल, केसर, इलायची, अल्मोड़ापत्ती, लखोरी मिर्च, जंगली हींग, हिमालयन हींग, एलूम, वन हल्दी, तेजपात और डोलू आदि शामिल हैं.

Himalayan Spice Garden
पद्मश्री शेखर पाठक ने किया गार्डन का उद्घाटन.

हिमालयन मसाला गार्डन का उद्देश्य: मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि इस मसाला उद्यान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय हिमालय क्षेत्र के विभिन्न मसालों को लोकप्रिय बनाना. उनके बारे में जागरूकता पैदा करना था. प्राचीन काल से ये मसाले अत्यधिक पोषक, स्वादिष्ट और हिमालयी व्यंजनों का हिस्सा रहे हैं.

Himalayan Spice Garden
हिमालयन स्पाइस गार्डन में केसर.

हालांकि, विभिन्न क्षेत्रों के कारण इन्हें देश के अन्य हिस्सों में उतना लोकप्रिय नहीं किया जा सका. यह महिलाओं के स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के साथ जोड़कर आजीविका के अवसरों को भी बढ़ाएगा.
पढ़ें-NIT उत्तराखंड में प्लेसमेंट शुरू, दो छात्रों को मिले 18 लाख के पैकेज

इसमें काला जीरा (जो बहुत अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में उगता है और अधिक पोषक तत्व/मसालेदार एक आम है), जख्या (गढ़वाल क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय मसालों में से एक, दाल और सब्जियों को तड़का लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है), गंधरायणी (तीखा) सब्जी और दाल में स्वाद बढ़ाने वाले एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला) यहां उगाए जा रहे हैं.

Himalayan Spice Garden
गार्डन में विभिन्न प्रकार के मसाले के पौधे.

इसके साथ ही बद्री तुलसी (ओरिगनम वल्गारे), अल्मोड़ा की लाखोरी मिर्ची (एक बहुत ही विशिष्ट पीला रंग और अल्मोड़ा के लिए अद्वितीय, यह मिर्च बेहद गर्म है और इसमें एंटी डायबिटिक, जीवाणुरोधी गुण और विटामिन से भरपूर हैं) और जम्बू (मसाला और सब्जी और सूप के रूप में भी इस्तेमाल की जाने वाली पत्तियां) शामिल हैं. बगीचे में एक व्याख्या केंद्र भी है, जहां इनके बारे में जानकारी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.