अगरतला: त्रिपुरा के गोमती जिले के दूर-दराज के गांव खारनसिंग कामी पारा में एक बड़ा परिवर्तन देखा गया है. यहां लगभग 60 परिवार रह रहे हैं, जो निर्बाध बिजली और पीने के पानी के लिए सौर माइक्रोग्रिड से जुड़ गए हैं. त्रिपुरा के उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा ने शनिवार को बायो विलेज सोलर हैमलेट का उद्घाटन किया. यह गांव न सिर्फ सोलर ग्रिड से जुड़ा है बल्कि इसे बायो विलेज भी घोषित किया गया है. शायद यह देश का पहला गांव है जिसे 'बायो विलेज सोलर हैमलेट' के नाम से जाना जाता है (first Bio Village Solar Hamlet in Tripura).
राजधानी अगरतला से 80 किमी दूर स्थित इस गांव में रहने वाले ज्यादातर लोग खेती करते हैं. गांव के 20 साल के युवक शांति साधन जमातिया ने कहा है कि गांव को बिजली और पीने के पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि गांव दूर-दराज के इलाके में स्थित है.
उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि 'हमारे पास बिजली है लेकिन पहाड़ी इलाकों और अन्य मुद्दों के कारण, हमें परेशानी का सामना करना पड़ता है. बरसात के मौसम में अगर एक बार बिजली चली जाए तो सात-सात दिन बाद आती है, ऐसे में हम राज्य के बाकी हिस्सों से अलग-थलग पड़ जाते हैं. हमारे पास तेज़ या अच्छी इंटरनेट सेवा नहीं हो सकती है, फ़ोन के माध्यम से संचार महत्वपूर्ण है और जिसके लिए फ़ोन को चार्ज करना आवश्यक है. तो अब सौर माइक्रोग्रिड की स्थापना के बाद हमारे पास 24×7 निर्बाध बिजली है.'
जबकि इस गांव के निवासी कार्तिक जमातिया ने कहा, 'हमें लगभग 7 साल पहले बिजली कनेक्शन मिले लेकिन पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण कई बार हमें बिना बिजली के रहना पड़ता था. यह बहुत परेशान करने वाला था. यह सोलर माइक्रो ग्रिड मिलने से लोग खुश हैं और हमें 24 घंटे निर्बाध बिजली मिलती है.'
जैव ग्राम की अवधारणा भारत में पहले से ही थी, लेकिन त्रिपुरा सरकार ने बायो विलेज और सोलर हैमलेट को एक साथ जोड़ा है और इसे बायो विलेज 2 के नाम से जाना जाता है. एक साधारण बायो विलेज में सिर्फ जैविक खेती होती है लेकिन इस गांव में राज्य सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देना, पशुधन को बढ़ावा देना, ग्रामीणों को मशरूम उगाना सिखाना जैसे विभिन्न घटक रखे हैं.
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 'हमने डबल क्रॉपिंग के लिए सोलर पंप लगाए हैं. शुद्ध और स्वच्छ जल निस्पंदन फार्म भी स्थापित किया गया, क्योंकि सर्वेक्षण के दौरान हमने पाया है कि इस क्षेत्र के लोग पानी से संबंधित बीमारियों से ग्रसित थे. लोग नहर से पानी ले रहे थे. इसे बायो विलेज 2 के नाम से जाना जाता है और मुझे लगता है कि भारत में कहीं भी ऐसा नहीं किया गया है.'
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यह परियोजना विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत त्रिपुरा सरकार द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित की गई है. ग्रामीण इलाकों में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए, विभाग ने स्ट्रीट सोलर लाइट भी लगाई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी मन की बात में इसका जिक्र किया है.
उपमुख्यमंत्री ने कहा, 'यह अनूठा प्रयास है, हमारी सरकार में ऐसे ही विकास होता है.' सरकार ने सोलर पंप, निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए 7 से अधिक सोलर माइक्रोग्रिड, सोलर स्ट्रीट लाइट, सामुदायिक सोलर पेयजल प्लांट, बायो गैस प्लांट की व्यवस्था की है.