नई दिल्ली : देरी और अन्य कारणों की वजह से करीब 470 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की लागत 4.37 लाख करोड़ रूपये बढ़ गई है. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक लागत वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है.
मंत्रालय की अगस्त 2021 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1718 परियोजनाओं में से 470 की लागत बढ़ी है, जबकि 560 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं. रिपोर्ट में कहा गया है. इन 1718 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 2199181.52 करोड़ रुपये थी. जिसके बढ़कर 2636710.50 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है.
इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 19.90 प्रतिशत या 437528.98 करोड़ रुपये बढ़ी है. रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2021 तक इन परियोजनाओं पर 1252298.40 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. जो कुल अनुमानित लागत का 47.49 प्रतिशत है.
हालांकि मंत्रालय का कहना है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें, तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 373 पर आ जाएगी. रिपोर्ट में 871 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 560 परियोजनाओं में 96 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने की, 128 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 210 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की और 126 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी में चल रही हैं. इन 560 परियोजनाओं की देरी का औसत 46.94 महीने है.
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इन परियोजनाओं की देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख हैं. इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिए जाने में विलंब, परियोजनाओं की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि जैसे कारक भी देरी के लिए जिम्मेदार हैं.
(पीटीआई-भाषा)