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महाराष्ट्र: आत्महत्या के लिए उकसाने के दोषी को चार साल की जेल - चार हजार रुपये का अर्थदंड

महाराष्ट्र में एक 17 वर्षीय लड़की को आत्महत्या करने के लिए उकसाने के दोषी को, ठाणे की एक विशेष अदालत ने चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने दोषी पर चार हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है.

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चार साल जेल की सजा
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Published : Jan 2, 2021, 2:22 PM IST

Updated : Jan 2, 2021, 2:42 PM IST

ठाणे : महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने वर्ष 2016 में 17 वर्षीय एक लड़की को आत्महत्या करने के लिए उकसाने के दोषी को चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है.

हाल में सुनाए गए फैसले में विशेष अदालत के न्यायाधीश जीपी शिरसत ने नवी मुंबई के घंसोली निवासी 33 वर्षीय नितिन मधावी को यह सजा सुनाई. अदालत ने दोषी पर चार हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है.

जिले के सरकारी वकील एवं लोक अभियोजक संजय लोंधे ने अदालत को बताया कि आरोपी पीड़िता के घर के पास ही रहता था. उन्होंने बताया कि मधावी लड़की का यौन उत्पीड़न करता था, जो अनुसूचित जनजाति की थी. वह उसे लगातार बुलाता था. जब पीड़िता ने इसकी जानकारी अपने माता-पिता को दी, तो उन्होंने उसे फटकारा तब भी उस पर इसका कोई असर नहीं हुआ.

पढ़ें : चेहरे की सुंदरता हुई खराब तो लड़की ने कर ली आत्महत्या!

लोंधे ने बताया कि इस उत्पीड़न से तंग आकर लड़की ने दिसंबर 2016 में अपने घर में फांसी लगाकार आत्महत्या कर ली. अदालत ने इससे पहले मधावी को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी करार दिया था.

ठाणे : महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने वर्ष 2016 में 17 वर्षीय एक लड़की को आत्महत्या करने के लिए उकसाने के दोषी को चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है.

हाल में सुनाए गए फैसले में विशेष अदालत के न्यायाधीश जीपी शिरसत ने नवी मुंबई के घंसोली निवासी 33 वर्षीय नितिन मधावी को यह सजा सुनाई. अदालत ने दोषी पर चार हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है.

जिले के सरकारी वकील एवं लोक अभियोजक संजय लोंधे ने अदालत को बताया कि आरोपी पीड़िता के घर के पास ही रहता था. उन्होंने बताया कि मधावी लड़की का यौन उत्पीड़न करता था, जो अनुसूचित जनजाति की थी. वह उसे लगातार बुलाता था. जब पीड़िता ने इसकी जानकारी अपने माता-पिता को दी, तो उन्होंने उसे फटकारा तब भी उस पर इसका कोई असर नहीं हुआ.

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लोंधे ने बताया कि इस उत्पीड़न से तंग आकर लड़की ने दिसंबर 2016 में अपने घर में फांसी लगाकार आत्महत्या कर ली. अदालत ने इससे पहले मधावी को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी करार दिया था.

Last Updated : Jan 2, 2021, 2:42 PM IST
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