नई दिल्ली: श्रीनगर स्थित सीआरपीएफ के हमहामा भर्ती प्रशिक्षण केंद्र (RTC) को पुलवामा के लेथपोरा में स्थानांतरित करने की तैयारी को लेकर बड़ा विवाद छिड़ गया है. हालांकि सीआरपीएफ के वरिष्ठ और सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक वर्ग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और सीआरपीएफ के महानिदेशक से पूरे प्रकरण पर फिर से विचार करने की अपील की है.
आरोप है कि सीआरपीएफ के श्रीनगर सेक्टर की आईजी चारु सिन्हा ने कथित तौर पर आरटीसी को श्रीनगर से पुलवामा स्थानांतरित करने की पहल की है. आरटीसी हमहामा श्रीनगर के मध्य में एक तरह का भर्ती प्रशिक्षण केंद्र है जो वर्ष 1992 में उग्रवाद के चरम पर रहने के दौरान अस्तित्व में आया था. बताया जाता है कि इसके पीछे का विचार नए रंगरूटों को एक ऐसे इलाके में प्रशिक्षित करना था जो वास्तविक समय की तैनाती के समान हो और जो स्थानीय युवाओं के लिए प्रेरणा के रूप में भी काम करे.
हालांकि केंद्र सरकार ने भर्ती प्रशिक्षण केंद्र (RTC) में 2022 तक अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए 200 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इस प्रशिक्षण केंद्र से अभी तक 24 हजार से अधिक रंगरूटों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया जा चुका है. इनमें कई कांस्टेबल से लेकर अफसरों तक राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं. इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए कन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेज वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने आरटीसी को पुलवामा में शिफ्ट करने की पहल को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
उन्होंने कहा कि श्रीनगर में वर्तमान आरटीसी ऐसी जगह स्थित है जहां पर आतंकवादी संगठनों की पहुंच नहीं है. इसी वजह से आज तक यहां पर आतंकवादी हमला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि केवल निहित स्वार्थों के कारण सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों का एक वर्ग इस प्रमुख संस्थान को लेथपोरा में स्थानांतरित कराना चाहता है. उन्होंने कहा कि इस बारे में सीआरपीएफ के श्रीनगर सेक्टर की आईजी चारु सिन्हा ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को पत्र भी लिखे हैं, जिनमें से अधिकांश केवल कुछ वर्षों के लिए सीआरपीएफ में प्रतिनियुक्ति पर हैं.
आरटीसी को स्थानांतरित करने का विरोध करने वाले अधिकारियों की चिंता की बात यह भी है कि पुलवामा में लेथपोरा पूरी तरह से एक आतंकवादी प्रभावित क्षेत्र है. वहीं इस बारे में चारू सिन्हा द्वारा हस्ताक्षरित पत्र के मुताबिक लेखपोरा परिसर सामान्य रूप से और विशेष रूप से बहुत अधिक आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्र है जो राष्ट्रीय राजमार्ग 44 के अंदर करीब 4 किमी है. इसके अलावा उन परिवारों के लिए अनुपयुक्त है जो समूह केंद्र होने पर वहां रहेंगे. दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि तथ्यों से अच्छी तरह वाकिफ होने के बाद भी चारू सिन्हा और अन्य वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी स्वेच्छा से 1500 से अधिक निहत्थे रंगरूटों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं. साथ ही यह आरोप भी लगाया गया है कि यह स्थान परिवारों के लिए अनुपयुक्त है, जिसमें अस्पताल की सुविधा नहीं है, सुरक्षित संपर्क नहीं है और स्कूलों की भी कमी है. सिंह ने कहा, यह जगह बुनियादी और अन्य प्रशिक्षण के लिए अनुपयुक्त है जिसे आरटीसी पूरा करता है.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि लेथपोरा में अच्छी तरह से काम करने वाले संस्थान को स्थानांतरित करने का एकमात्र मकसद एक विशाल परिसर पर कमान रखने के सुखवादी सुखों को पूरा करना है. तेलंगाना कैडर की 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी चारु सिन्हा ने श्रीनगर में अपनी पोस्टिंग से पहले सीआरपीएफ के बिहार सेक्टर में आईजी के रूप में भी काम किया है. वह सीआरपीएफ, आईजी श्रीनगर के रूप में सेवा करने वाली पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं. इस मामले को लेकर नई दिल्ली में सीआरपीएफ मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि यह अधिकारियों का बोर्ड है जो स्थानांतरित करने का सर्वसम्मति से निर्णय लेता है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि आरटीसी को श्रीनगर से पुलवामा स्थानांतरित करने का निर्णय इस मुद्दे में शामिल सभी बिंदुओं और विपक्षियों की जांच के बाद लिया गया था.
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