देहरादून : उत्तराखंड पुलिस स्मार्ट पुलिस बनने की दिशा में कदम तो बढ़ा रही है, लेकिन अब तक पुलिस की तरफ से साइबर क्राइम को लेकर मजबूत होने के जो दावे किए जाते रहे वह हकीकत में हवा हवाई ही साबित हुए हैं. ऐसा केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल की ओर से चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी राज्य को दी गई जानकारी से समझा जा सकता है.
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस पोर्टल ने राज्य में 315 चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले होने की जानकारी दी है. इतनी बड़ी संख्या में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले सामने आने के बाद पुलिस महकमे में भी हड़कंप मच गया है. हालांकि, अब इन मामलों के सत्यापन करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है और इसके लिए विशेष टीमें भी गठित की गई हैं. बड़ी बात यह है कि जिलों में संचालित साइबर क्राइम से जुड़ी टीमों को इसकी हवा भी नहीं लगी.
बताया गया कि 315 चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामलों में से एक मामले में मुकदमा भी देहरादून में दर्ज किया गया है. उत्तराखंड पुलिस अब तक चाइल्ड पोर्नोग्राफी के बहुत ज्यादा मामलों को नहीं पकड़ पाई है, लेकिन अब इतनी बड़ी संख्या में ऐसे मामले आने के बाद माना जा रहा है कि सत्यापन के बाद बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज किए जाएंगे.
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आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत दर्ज होता है मुकदमा
चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री डाउनलोड या शेयर करने पर आरोपित के खिलाफ आइटी एक्ट की धारा 67बी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है. इसमें पांच साल तक का कारावास हो सकता है. इसी तरह अन्य पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री डाउनलोड या शेयर करने पर आइटी एक्ट की धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज होता है. इसमें भी पांच साल की जेल हो सकती है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के सभी साइबर क्राइम थानों को ऐसा कोई भी मामला सामने आने पर इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. साथ ही एक एजेंसी को चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री का आदान-प्रदान और इस्तेमाल करने वालों को चिन्हित करने की जिम्मेदारी सौंपी है. यह एजेंसी अपनी रिपोर्ट सीधे गृह मंत्रालय को भेजती है, जहां से संबंधित राज्य को कार्रवाई के निर्देश दिए जाते हैं, ऐसे में छोटी-सी गलती आपको बड़ी मुश्किल में डाल सकती है.