नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की याचिका पर सुनवाई (SC hearing the plea of ex union minister Sharad Yadav) करते हुए केंद्र से कहा कि उसे मानवीय आधार पर विचार करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की याचिका (EX Union Minister Sharad Yadav plea against order of Delhi HC) पर दी, जिसमें उन्हें 15 दिनों के भीतर सरकारी बंगला खाली करने का निर्देश (Instructions to Sharad Yadav to vacate govt quater) दिया गया था. हाई कोर्ट ने नोट किया था कि उन्हें 2017 में राज्यसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था. इसलिए आधिकारिक निवास को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं हो सकता है.
यादव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ ने कहा कि अयोग्यता को चुनौती देने वाली अपील अभी भी लंबित है. सिब्बल ने कहा, 'वैसे भी, मेरा कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है. इसलिए, मैं एक वचन दूंगा कि कार्यकाल समाप्त होने के बाद वह खाली हो जाएगा. वह वेंटिलेटर पर थे, उन्हें हर दिन डायलिसिस के लिए जाना पड़ता था. वह हिल भी नहीं सकते थे.' यादव अब 75 साल के हो गए हैं.
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने दलील दी कि सरकार सांसदों और मंत्रियों के लिए घरों की कमी का सामना कर रही है. मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद, कमी और अधिक तीव्र हो गई है. जैन ने कहा कि बिहार के एक सांसद को एक आधिकारिक आवास आवंटित किया गया है. उन्हें जुलाई में यह आवास मिलना चाहिए, जिसके लिए अब केवल कुछ महीने बचे हैं.
पीठ ने यादव के वकील से पूछा, 'हमें एक उचित समय बताएं, जिसके द्वारा आप खाली कर सकते हैं. हम सुनवाई स्थगित कर देंगे.' पीठ ने जैन को सरकार से निर्देश लेने और मानवीय आधार पर मामले पर विचार करने को भी कहा. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए सही तारिख तो नहीं दी, लेकिन इस सप्ताह में बाद में सुनवाई करने की बात कही.
पढ़ें : सरकारी बंगला खाली कराने की केंद्र सरकार की मांग पर शरद यादव को हाईकोर्ट का नोटिस
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 15 मार्च को यादव को यहां 7, तुगलक रोड स्थित बंगला 15 दिन के भीतर सरकार को सौंपने का निर्देश दिया था. अदालत ने कहा कि उन्हें एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किए चार साल से अधिक समय बीत चुका है. यादव ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि वह 22 साल से वहां रह रहे हैं और उच्च न्यायालय ने आदेश पारित किया था, भले ही उनकी 'अनुचित और गलत अयोग्यता' को चुनौती अदालत द्वारा तय नहीं की गई थी.
अधिवक्ता जावेदुर रहमान के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने एक निस्तारित आवेदन को पुनर्जीवित किया. उसमें आगे के आदेश पारित किए और हाई कोर्ट के 15 दिसंबर, 2017 के पहले के अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया और याचिकाकर्ता को निर्देश दिया. याचिका में आगे कहा गया है कि राज्यसभा से उनकी अयोग्यता की वैधता को चुनौती अभी भी हाई कोर्ट के समक्ष लंबित है. याचिका में कहा गया है कि उनका मामला उनके खराब स्वास्थ्य के कारण 'सहानुभूतिपूर्ण उपचार का हकदार है' और बताया कि जुलाई 2020 से उन्हें 13 बार अस्पताल में भर्ती कराया गया. आखिरी बार फरवरी में उन्हें छुट्टी दे दी गई थी.
(आईएएनएस)